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सर्वे: लॉकडाउन में 90% मजदूरों का छिना रोजगार, 94 फीसदी राहत योजना के नहीं हकदार, कई के पास तो बैंक खाते भी नहीं!

लॉकडाउन गरीबों और खासकर मजदूर वर्ग के लिए विनाशकारी साबित हो सकता है। एक गैर सरकारी संगठन (NGO) जन साहन द्वारा कराए हालिया सर्वे के मुताबिक देश में पिछले तीन हफ्तों में करीब 90 फीसदी मजदूर अपनी आय के साधन खो चुके हैं।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

कोरोना के कहर से बचाव के लिए देशभर में 21 दिन का लॉकडाउन लागू है। कोरोना के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए इसे आगे बढ़ाए जाने की पूरी संभावना है। ओडिशा में तो लॉकडाउन 30 अप्रैल तक के लिए बढ़ा भी दिया गया है। लेकिन लॉकडाउन से करोड़ों लोगों की की नौकरी जाने की नौबत आ गई है। कहा जा रहा है कि लॉकडाउन गरीबों और खासकर मजदूर वर्ग के लिए विनाशकारी साबित हो सकता है। एक गैर सरकारी संगठन (NGO) जन साहन द्वारा कराए हालिया सर्वे के मुताबिक देश में पिछले तीन हफ्तों में करीब 90 फीसदी मजदूर अपनी आय के साधन खो चुके हैं। हालांकि केंद्र सरकार ने लॉकडाउन की वजह से बेरोजगार हुए निर्माण क्षेत्र से जुड़े श्रमिकों को मुआवजा देने की घोषणा की है। लेकिन इसमें से ज्यादातर श्रमिकों के लिए मुआवजा लेना आसान नहीं होगा।

Published: 10 Apr 2020, 6:00 PM IST

दरअसल देशभर में निर्माण क्षेत्र से जुड़े 3196 श्रमिकों पर कराए सर्वे से पता चला है कि 94 फीसदी मजदूरों के पास सरकार के मुआवजे का लाभ उठाने के लिए जरूरी भवन और निर्माण श्रमिक पहचान पत्र नहीं है। सर्वे के मुताबिक ऐसे 5.1 करोड़ मजदूर हो सकते हैं जो मुआवजे के लिए अयोग्य रह हो सकते हैं। सर्वे कहता है, ‘आंकड़ों के मुताबिक देश में 5.5 करोड़ मजदूर निर्माण क्षेत्र में कार्यरत हैं। ऐसे में 5.1 करोड़ मजूदरों को सरकारी सहायता का लाभ नहीं मिल पाएगा।’ सर्वे में सलाह दी गई कि इन मजदूरों को बोर्ड के दायरे में लाया जाना चाहिए।

Published: 10 Apr 2020, 6:00 PM IST

कई मजदूर तो ऐसे भी हैं जिनका अब तक बैंक में खाता ही नहीं खुला है। सर्वे में शामिल 17 फीसदी मजदूरों के बैंक खाते नहीं है। ऐसे में इनके लिए सरकार से आर्थिक लाभ मिलने में मुश्किल हो सकता है। एनजीओ ने इस मुश्किल से निपटने के लिए कुछ सलाह भी दिए हैं। जन सहस की सलाह है कि उन्हें आधार पहचान, ग्राम पंचायत और डाक घरों का उपयोग करके भुगतान किया जा सकता है। सर्वें में कहा गया है कि ज्यादातर मजदूरों को सरकार द्वारा किसी राहत पैकेज की घोषणा के बारे में जानकारी ही नहीं होती। उन्हें ये भी नहीं पता होता है कि सरकारी आर्थिक राहत को कैसे लिया जाए। सर्वे के मुताबिक 62 फीसदी श्रमिकों का कहना है कि उन्हें नहीं पता कि सरकार के आपातकालीन राहत उपायों तक कैसे पहुंचा जाए, जबकि 37 फीसदी ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि सरकार की मौजूदा योजनाओं का लाभ कैसे उठाया जाए।

Published: 10 Apr 2020, 6:00 PM IST

सर्वे के मुताबिक 42 फीसदी मजदूरों ने बताया कि उनके पास दिनभर का राशन भी नहीं बचा है। सर्वे में 33 फीसदी मजदूरों ने कहा कि उनके पास राशन खरीदने के लिए पैसे नहीं है। 14 फीसदी ने कहा कि उनके पास राशन कार्ड नहीं है। 12 फीसदी ने कहा कि वो राशन नहीं ले सकते क्योंकि मौजूदा स्थिति में वहां मौजूद नहीं थे।

Published: 10 Apr 2020, 6:00 PM IST

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Published: 10 Apr 2020, 6:00 PM IST