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प्रदूषण पर मोदी सरकार के स्वास्थ्य मंत्री का गजब फॉर्मूला!

दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को लेकर पर्यावरण मंत्री डॉ हर्षवर्धन का बयान हास्यस्पद और असंवेदनशील था। प्रदूषण की गहरी समस्या झेल रहे दिल्ली और आसपास के इलाकों को जिम्मेदार नेतृत्व की जरूरत है।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि वायु प्रदूषण हानिकारक तो है, पर लोग इससे मरते नहीं। उन्होंने दूसरी जगह कहा, “वायु प्रदूषण से लोग अफरा-तफरी न मचायें, कुछ दिनों में स्थिति सामान्य हो जायेगी।” डॉ हर्षवर्धन के अनुसार अच्छे जीवनचर्या से वायु प्रदूषण के प्रभावों से बचा जा सकता है। उनके इतने सारे वक्तव्यों के बाद दिल्लीवालों को यह बताना आवश्यक है कि हर्षवर्धन पेशे से डॉक्टर रह चुके हैं और वर्तमान में केन्द्रीय सरकार में कई मंत्रालयों के साथ पर्यावरण मंत्रालय का काम भी देख रहे हैं।

जिस समय प्रधानमंत्री से लेकर लगभग हरेक मंत्री शहर-शहर जाकर नोटबंदी के फायदे जनता को गिना रहे थे और बीजेपी वाले हर जगह को कालाधन-विरोधी दिवस के पोस्टरों से पाट रहे थे, ठीक उसी समय दिल्ली और आसपास का पूरा क्षेत्र प्रदूषण के घने कोहरे से ढक गया था और यह कोहरा बदस्तूर जारी है। कोहरा छंटा नहीं है, अधिकतर समय घना रहता है और कभी-कभी हल्का हो जाता है। वैसे भी, दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर सामान्य या सीमा के भीतर कभी रहता ही नहीं है।

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फोटो: महेन्द्र पाण्डेय

अखिल भारतीय आर्युविज्ञान संस्थान, नई दिल्ली के निदेशक का मानना है कि वायु प्रदूषण से प्रति वर्ष दिल्ली में 30,000 लोगों की मृत्यु हो जाती है। इस बीच लोग आंखों में जलन और सांस लेने में दिक्कत की चर्चा करते रहे, स्कूल बंद होने लगे, बाजार भी लगभग खाली होने लगे, पर पर्यावरण मंत्री लगातार बताते रहे कि हमने सभी आवश्यक कदम उठाये हैं और जल्दी ही इससे छुटकारा मिल जायेगा। किसी भी वक्तव्य में यह नहीं बताया गया कि कौन से कदम उठाये गये हैं। निर्माण कार्य बंद करने और कुछ उद्योगों को बंद करने की बातें सामने आई थीं।

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फोटो: महेन्द्र पाण्डेय

सवाल यह है कि यदि उद्योग प्रदूषण फैला रहे थे या निर्माण कार्यों से धूल उड़ रही थी तो फिर पहले कदम क्यों नहीं उठायें गये। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी अपनी रिश्वतखोरी के लिये जाने जाते हैं, उन पर कभी कार्यवाही क्यों नही होती? केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी भी हर टीवी चैनल पर बेशर्मी से प्रदूषण का स्तर बताते रहें। प्रदूषण जब असहनीय हो जाता है, तब ऐसे अधिकारियों को टीवी चैनलों पर आने का मौका मिल जाता है।

पर्यावरण मंत्री के वक्तव्यों को ध्यान से देखें तो यह आसानी से समझ में आ सकता है कि यहां का प्रदूषण क्यों कम नहीं होता। “प्रदूषण हानिकारक है, पर जान नहीं लेता” कहना ऐसा ही है जैसे चाकू हानिकारक है, पर जान नहीं लेता, जान तो खून के अधिक रिसाव से जाती है। यदि पर्यावरण मंत्री को पता है कि प्रदूषण से कुछ दिनों में मुक्ति मिल जायेगी तो यह भी पता होगा कि प्रदूषण का स्तर कब बढ़ेगा? ऐसे में समय रहते कोई कदम क्यों नहीं उठाये गये? पर्यावरण मंत्री बेहतर जीवनचर्या की बातें करते हैं पर शायद यह नहीं जानते कि आधी से अधिक आबादी ऐसी है जो रोज कमाती है तब खा पाती है। ऐसे लोग अपने जीवनचर्या में बदलाव क्या करेंगे? वे व्यायाम की सलाह भी देते हैं। व्यायाम खुली हवा में किया जाता है और बढ़े प्रदूषण में व्यायाम की सलाह कोई नही देता।

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फोटो: महेन्द्र पाण्डेय

डॉ हर्षवर्धन पर्यावरण मंत्री की हैसियत से कहते हैं कि वायु प्रदूषण से लोग मरते नहीं, जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन भी बताता है कि प्रदूषण से लोग मरते हैं। इससे पहले डॉ हर्षवर्धन बता चुके हैं कि हमें विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों को गंभीरता से लेना चाहिए। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी भी नींद से उठ नहीं रहे हैं क्योंकि पर्यावरण मंत्री को ही प्रदूषण दिखता नहीं। हर तथ्य को नकारना ही इस सरकार का उद्देश्य है।

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