देश के ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी-सी47) ने बुधवार सुबह कार्टोसैट-3 को उसकी कक्षा में सफलतापूर्वक छोड़ दिया और अमेरिका के 13 वाणिज्यिक छोटे उपग्रहों को भी उनकी निर्धारित कक्षा में स्थापित कर दिया। पीएसएलवी-सी47 को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से बुधवार सुबह 9.28 बजे अंतरिक्ष के लिए छोड़ा गया। इस दौरान आसमान में बादल छाए हुए थे। काटरेसैट-3 उपग्रह उच्च गुणवत्ता की तस्वीरें लेने की क्षमता से लैस तीसरी पीढ़ी का उन्नत उपग्रह है। यह 509 किलोमीटर ऊंचाई पर स्थित कक्षा में 97.5 डिग्री पर स्थापित होगा।
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जिस समय PSLV C-47 को प्रक्षेपित किया गया था उस समय आसमान में बादल छाए हुए थे। भारतीय अंतरिक्ष विभाग के न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) के साथ हुए एक समझौते के तहत PSLV अपने साथ अमेरिका के 13 वाणिज्यिक छोटे उपग्रहों को भी लेकर गया है।
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बता दें कि ISRO ने उपग्रह की लॉन्चिंग के लिए मंगलवार सुबह करीब साढ़े सात बजे काउंट डाउन शुरू किया था। कार्टोसेट अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट के ज़रिए पृथ्वी पर मौजूद किसी व्यक्ति के हाथ में बंधी घड़ी के समय को भी साफ तौर पर देखा जा सकता है। इस उपग्रह का कार्य मुख्य रूप से अंतरिक्ष से भारत की जमीन की निगरानी करना है।
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इससे पहले इसरो ने अप्रैल और मई में 2 सर्विलांस सैटेलाइट लॉन्च किए थे। 22 मई को सर्विलांस सैटेलाइट रीसैट-2 बी और एक अप्रैल को ईएमआईसैट लॉन्च किया गया था। दोनों का मुख्य काम दुश्मनों की रडार पर नजर रखना है। बता दें कि ISRO ने जुलाई में चंद्रयान का सफल प्रक्षेपण किया था। एक के बाद एक पड़ाव पार करते हुए ऑर्बिटर ने विक्रम लैंडर को चांद की कक्षा में प्रवेश करा दिया था। हालांकि अंतिम पड़ाव में चांद की सतह से महज 500 मीटर की दूरी पर ISRO का लैंडर से संपर्क टूट गया था।
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उधर कार्टोसेट 3 की सफल लॉन्चिंग पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ISRO की टीम को बधाई दी है।पीएम ने कह, “ मैं इसरो टीम को बधाई देता हूं, जिन्होंने एक बार फिर से PSLV C-47 के जरिए एक और सफल स्वदेशी कार्टोसैट -3 उपग्रह और संयुक्त राज्य अमेरिका के एक दर्जन से अधिक नैनो उपग्रहों को प्रक्षेपित किया है। उन्नत कार्टोसैट -3 हमारी उच्च संकल्प इमेजिंग क्षमता को बढ़ाएगा। इसरो ने एक बार फिर देश को गौरवान्वित किया है।
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(आईएएनएस के इनपुट के साथ)
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