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विदेशी कंपनी आईएल एंड एफएस को 90 हजार करोड़ के कर्ज से उबारने के लिए मोदी सरकार कर रही विदेशी गठजोड़: कांग्रेस

कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने आईएल एंड एफएस कंपनी द्वारा भारतीय बैंकों से लिए 90 हजार करोड़ रुपये के कर्ज का मामला उठाते हुए आरोप लगाया कि मोदी सरकार भारतीयों के पैसे से बेलआउट देकर एक विदेशी कंपनी को मदद पहुंचाने की कोशिश कर रही है।

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया आईएल एंड एफएस कंपनी के कर्ज के मामले में कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग की 

कांग्रेस ने बुधवार को हजारों करोड़ रुपये के कर्ज में डूबी आईएल एंड एफएस (इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियन सर्विसेस लिमिटेड) कंपनी का मामला उठाया और कहा कि 2017-2018 में इस कंपनी का घाटा 2395 करोड़ रुपये था, लेकिन पिछले 36 महीने के दौरान इसके कर्ज में 44 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा कि आईएलएंडएफएस के ऊपर 91 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है और उसके पास कर्ज चुकाने के लिए पैसा नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस कंपनी में विदेशी निवेशकों का पैसा लगा है और मोदी सरकार एलआईसी जैसी संस्था पर इस कंपनी को बैलआउट पैकेज देने का दबाव बना रही है।

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मनीष तिवारी ने पीएम मोदी के विपक्ष पर विदेशी गठजोड़ कर साजिश रचने के आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा कि विदेशी निवेशकों का पैसा बचाने के लिए बेलआउट पैकेज के लिए दबाव बनाने को विदेशी गठजोड़ कहते हैं। कांग्रेस नेता ने कहा कि यह विजय माल्या, मेहुल चौकसी और नीरव मोदी के घोटाले से भी कई गुना बड़ा मामला है। उन्होंने कहा कि अगर यह कंपनी दिवलिया हुई तो बाजार में भूचाल आ जाएगा, जिसका सीधा असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में इस मामले की एक मल्टी एजेंसी जांच की मांग की।

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कांग्रेस नेता ने कहा कि इस बात की गहराई से जांच होनी चाहिए कि एलआईसी, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, सेंट्रल बैंक के जो शीर्ष अधिकारी इस कंपनी के बोर्ड में नामित थे, उनकी क्या भूमिका थी। उन्होंने कहा कि किन परिस्थितियों में हालात यहां तक पहुंचे कि आज बैंकों, वित्तीय संस्थाओं और यहां तक की सरकारी संस्थाओं से कर्ज के रूप में लिया गया 91,000 करोड़ रुपया खतरे में पड़ गया है। मनीष तिवारी ने कहा कि ये परिस्थिति कोई एक दिन में नहीं आई। इस में वित्त मंत्रालाय और खुद वित्त मंत्री की सबसे बड़ी जिम्मेदारी बनती है। उन्होंने कहा कि अब सरकार भारत के आम लोगों के पैसे इस कंपनी में लगे विदेशी लोगों के पैसे को बचाना चाहती है।

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राफेल मामले को लेकर कहा कि दो सवाल हैं, जिनके जवाब देने से ये सरकार भागती है। उन्होंने कहा कि पहला सवाल ये है कि 570 करोड़ रुपए का लड़ाकू विमान 1,670 रुपए में क्यों खरीदा गया और 126 की जगह महज 36 विमान क्यों खरीदे गए? उन्होंन कहा कि इसकी संयुक्त संसदीय समिति के द्वारा जांच होनी चाहिए, जिससे दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए।

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