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दिल्ली की गौशाला में 36 गायों की मौत, कहां हैं गोरक्षा के नाम पर मॉब लिंचिंग करने वाले !

राजधानी दिल्ली के छावला इलाके की एक गौशाला में बीते दो दिनों के अंदर 36 गायों की मौत का मामला सामने आया है। इसी हफ्ते मध्य प्रदेश में भी एक गोशाला में 25 गायों की मौत हो गई थी।

फाइल फोटोः सोशल मीडिया
फाइल फोटोः सोशल मीडिया 

दिल्ली के द्वारका जिले के छावला थाना इलाके की एक गौशाला में दो दिन के अंदर 36 गायों के मरने का मामला सामने आया है। इस गौशाला में डेढ़ से दो हजार गायों को रखा जाता है। लेकिन खानपान में कमी और उचित रखरखाव और स्वास्थ्य देखभाल के अभाव में यहां रहने वाली गायों की स्थिति बहुत बुरी है। शुरूआती जांच पड़ताल के बाद डॉक्टरों का कहना है कि संभवतः गायों की मौत गंदगी और कीचड़ की वजह से हुई किसी बीमारी की वजह से हुई है। यह कोई पहला मामला नहीं है, जब एक साथ इतनी गायों ने दम तोड़ा। इसी हफ्ते मध्य प्रदेश के अलीराजपुर जिले के नानपुर की एक गौशाला में भी 25 गायों की मौत हो गई थी। यहां शुरुआती जांच में मौके पर पहुंचे डॉक्टरों ने कहा था कि गायों की मौत की वजह फूड प्वाइजनिंग हो सकती है। इससे पहले उत्तर प्रदेश में भी ऐसी घटना सामने आई थी जिसमें एक गौशाला में करीब 250 गायों की मौत हो गई थी। इसके अलावा राजस्थान से भी लगातार इस तरह की घटनाएं सामने आ चुकी हैं।

ऐसे में सवाल उठता है कि इतनी बड़ी संख्या में गायों के मारे जाने पर वे गोरक्षक कहां चले जाते हैं, जो कभी गोतस्करी, तो कभी गोमांस के नाम पर अक्सर देश के अलग-अलग हिस्सों में किसी गरीब, बूढ़े, लाचार को पीट-पीटकर मार डालते हैं। हाल ही में राजस्थान के अलवर में मवेशी लेकर आ रहे एक शख्स रकबर की गो रक्षकों ने पीट-पीटकर हत्या कर दी। ठीक एक साल पहले इसी अलवर में पहलू खान नाम के एक बुजुर्ग को गोरक्षकों ने गोतस्करी के आरोप में पीट-पीटकर मार डाला था। इसके अलावा हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, झारखंड, बिहार में गोरक्षका के नाम पर हिंसा और मार-पीट की कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं।

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हर बार इन घटनाओं के बाद बीजेपी और आरएसएस जैसे संगठनों के नेता अपने बचाव में ये तर्क देते हैं कि अगर लोग बीफ खाना बंद कर दें तो मॉब लिंचिंग जैसे अपराध रुक सकते हैं। अलवर की घटना के बाद खुद आरएसएस के नेता इंद्रेश कुमार ने कहा कि लोग गाय का मीट खाना बंद कर दें तो इस तरह के अपराधों पर लगाम लग जाएगी। ऐसे में सवाल उठता है कि महज गोतस्करी के संदेह में लोगों को मार डालने वाले वे लोग इतनी बड़ी संख्या में गायों के गौशालाओं के अंदर मारे जाने पर कहां छिप जाते हैं। अब तक जितनी भी जगह ऐसी घटनाएं सामने आई हैं, सभी जगहों पर जानबूझकर देखरेख में लापरवाही और खानपान में कमी वजह बतायी गयी है। ऐसे में तो ये सभी घटनाएं एक तरह से हत्याएं ही मानी जाएंगी। लेकिन महज शक और अफवाह पर किसी लाचार, गरीब, कमजोर को मार डालने वाले इन घटनाओं पर चुप क्यों रहते हैं। क्या इन गौशालाओं में मरने वाली गायें उनकी मां नहीं होतीं !

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