देश

पंजाब: कोरोना के कारण बेरंग रही बैसाखी, स्वर्ण मंदिर में भी रहा सन्नाटा

आज के दिन पूरे विश्व में बैसाखी धूमधाम से मनाई जाती थी लेकिन इस बार चौतरफा सन्नाटा पसरा हुआ है। कोरोना वायरस ने हर रास्ता सुनसान कर दिया है। बैसाखी पर अमृतसर स्थित श्री स्वर्ण मंदिर और जलियांवाला बाग में विशेष समारोह आयोजित किए जाते थे।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

आज के दिन पूरे विश्व में बैसाखी धूमधाम से मनाई जाती थी लेकिन इस बार चौतरफा सन्नाटा पसरा हुआ है। कोरोना वायरस ने हर रास्ता सुनसान कर दिया है। बैसाखी पर अमृतसर स्थित श्री स्वर्ण मंदिर और जलियांवाला बाग में विशेष समारोह आयोजित किए जाते थे, जिनमें लाखों लोग शिरकत करते थे। इस बार दोनों ऐतिहासिक महास्थल वीरान हैं। श्री स्वर्ण मंदिर साहिब और जलियांवाला बाग के इतिहास में ऐसा पहली बार है कि बैसाखी पर रत्तीभर भी हलचल नहीं।

Published: undefined

आज (सोमवार) सुबह (लगभग 5 बजे) श्री हरमंदिर साहिब और वह सरोवर, जिसमें लाखों लोग स्नान करते थे, में एक भी श्रद्धालु नहीं था। 2020 से पहले यहां तिल रखने के लिए जगह नहीं होती थी। श्री हरमंदिर साहब की स्थापना श्री गुरु अमरदास जी ने 1577 में की थी। तब के 433 वर्षों के इतिहास में पहली बार है कि बैसाखी पर आज कोई भी श्रद्धालु वहां नहीं था। श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह इसकी पुष्टि करते हुए कहते हैं कि, "कोरोना वायरस ने हर रफ्तार रोक दी है। हमने पूरे विश्व समुदाय से अपील की इस बार बैसाखी घरों में ही बैठकर मनाई जाए और वह भी दुनिया को बचाने के लिए प्रार्थना करने के साथ, यही संदेश सिख गुरुओं का है।"

Published: undefined

1919 के बाद शहीदी स्मारक बने जलियांवाला बाग में भी आज कुछ नहीं हुआ। औपचारिक तौर पर सरकारी अधिकारियों ने कुछ दिए जलाकर शहीदों को श्रद्धांजलि दी। कोरोना वायरस के चलते पहली बार ऐसा हुआ कि पहली जिस जगह शहीदों को श्रद्धांजलि देने जहां महात्मा गांधी आए थे तब से लगातार समारोह होते रहे लेकिन इस बार कुछ भी नहीं! लगातार 70 साल से जाने वाले अमृतसर निवासी अमृतलाल जेटली के मुताबिक ऐसा मंजर पहली बार दरपेश हुआ है। पंजाब में आज के दिन शहीदों को भी जगह-जगह याद किया जाता है। 'इकट्ठ' होते थे लेकिन इस बार नदारद। अमृतसर से लेकर तमाम जगह यही आलम है। सड़क किनारे खेत नजर आते हैं और पकी हुई फसलों को देखकर मन आहत होता है। पंजाब में जिस से भी बात कीजिए, जानने-सुनने को यही मिलेगा कि ऐसी मनहूस बैसाखी कभी नहीं देखी! लॉक डाउन और कर्फ्यू के चलते पूरा सूबा एकांतवास में है तो पर्व-त्योहार कहां से आ जाएंगे।

Published: undefined

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia

Published: undefined