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बजट 2019: जीरो बजट खेती को बढ़ावा देने पर जोर, जानिए क्या है ये और कैसे है आधुनिक खेती से अलग

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज बजट पेश किया। बजट भाषण में निर्मला सीतरमण ने जीरो बजट खेती पर जोर दिया। इस तरह की खेती में कीटनाशक रासायनिक खाद और हाईब्रिड बीज का जैसे किसी भी आधुनिक उपाय का इस्तेमाल नहीं होता है।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज (शुक्रवार) मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश किया। अपने बजट भाषण में निर्मला सीतरमण ने किसानों की आर्थिक हालत में सुधार के लिए कई कदम उठाए जाने का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार का केंद्र बिंदु गांव, किसान और गरीब है। निर्मला सीतारमण ने कहा कि दालों के उत्पादन के मामले में हमारा देश आत्मनिर्भर बना है और अब हमें तिलहन उत्पादन में निर्भर बनना है। उन्होंने अन्नदाता को ऊर्जादाता बनाने की बात कही। इसके साथ ही उन्होंने पुराने दौर में लौटते हुए जीरो बजट खेती की बात कही। इसके जरिए सीतरमण ने किसानों को आत्‍मनिर्भर बनाने और कर्ज से मुक्ति दिलाने के लिए सरकार द्वारा पहल की बात कही है।

Published: 05 Jul 2019, 5:00 PM IST

कैसे होती है जीरो बजट खेती?

जीरो बजट खेती यानी जिसमें आपको कोई पैसे खर्च न करना पड़े। इस तरह की खेती में कीटनाशक रासायनिक खाद और हाईब्रिड बीज का जैसे किसी भी आधुनिक उपाय का इस्तेमाल नहीं होता है। ऐसी खेती जिसमें सब कुछ प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर है। इसीलिए इसे जीरो बजट खेती का नाम दिया गया है।

Published: 05 Jul 2019, 5:00 PM IST

इस खेती में रासायनिक खाद के स्थान पर देशी खाद का इस्तेमाल होता है। यह खाद गाय के गोबर, गौमूत्र, चने के बेसन, गुड़, मिटटी तथा पानी से बनती है। वहीं रासायनिक कीटनाशकों के स्थान पर नीम, गोबर और गौमूत्र से बना ‘नीमास्त्र’ इस्तेमाल किया जाता है। इससे फसल को कीड़ा नहीं लगता है। इस तरह की खेती में देशी बीजों का इस्तेमाल किया जाता है। जीरो बजट खेती में खेतों की सिंचाई, मड़ाई और जुताई का सारा काम बैलो की मदद से किया जाता है। इसमें किसी भी प्रकार के डीजल या ईधन से चलने वाले संसाधनों का प्रयोग नहीं होता है जिससे काफी बचत होती है।

Published: 05 Jul 2019, 5:00 PM IST

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Published: 05 Jul 2019, 5:00 PM IST