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खुद को तेजी से बदल रहा है कोरोना, अब तक COVID 19 के 30 प्रकार मिले, लेकिन भारत के लिए अच्छी खबर 

कोरोना वायरस शुरू से ही पहले बना हुआ है। इसके प्रभाव के बारे में कभी एक रूपता नहीं रही। न तो यह सभी लोगों के लिए खतरनाक रहा और कई जगहों पर बहुत ही ज्यादा खतरनाक। इसके अलावा इसके म्यूटेशन को लेकर भी स्थिति अस्पष्ट है।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

कोरोना वायरस चीन के वुहान शहर से फैलना शुरू हुआ था। अब यह दुनिया की 200 से ज्यादा देश में फैल चुका है। इस वायरस की वजह से अब तक करीब 2 लाख लोग अपनी जान गवां चुके हैं। वहीं 25 लाख से ज्यादा इस वायरस के संक्रमण के शिकार हो चुके हैं। इस तरह फैल रहा कोरोना का यह रूप सार्स कोव-2 (SARS CoV-2) शुरू से ही यह पहेली बना हुआ है। अब चीन के ताजा शोध से पता चला है कि इसके 30 अलग प्रकार हो चुके हैं।

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यह वायरस शुरू से ही पहले बना हुआ है। इसके प्रभाव के बारे में कभी एक रूपता नहीं रही। न तो यह सभी लोगों के लिए खतरनाक रहा और कई जगहों पर बहुत ही ज्यादा खतरनाक। इसके अलावा इसके म्यूटेशन को लेकर भी स्थिति अस्पष्ट है। कभी यह खुद को म्यूटेट करने लगता है तो कभी बहुत दिनों तक इसका म्यूटेशन बंद रहता है।

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चीन के होनजोऊ स्थित झेजियांग यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर लांजुआन और उनकी टीम का मानना है कि दुनिया ने सार्स कोव -2 के खुद को म्यूटेट करने की क्षमता को काफी कम आंका है। प्रोफेसर ली का दावा है कि उनकी टीम ने इस कोरोना वायरस का सबसे खतरनाक स्ट्रेन खोज निकाला है।

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शोध में पता चला है कि इस वायरस के अलग-अलग स्ट्रेन दुनिया के विभिन्न भागों में प्रभावी रहे हैं। इसीलिए इसका इलाज ढूंढने में इतनी परेशानी हो रही है। शोधकर्ताओं ने होनजोउ के 11 कोरोना ग्रस्त मरीजों के स्ट्रेन का विश्लेषण किया। शोधकर्ताओं ने इस वायरस के 30 अलग म्यूटेशन पाए जिसमें से अब तक 19 के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। प्रोफेसर ली ने अपने शोधपत्र में कहा है कि सार्स कोव-2 ने खुद में ऐसे म्यूटेशन किए है जिससे वह अपनी घातकता बदल पा रहा है। कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने सार्स कोव-2 के तीन स्ट्रेन पता लगाए थे। इनमें इसका सबसे पहला स्ट्रेन टाइप ए पहले पैंगोलिन से चमगादड़ में और फिर इंसानों में आया था। लेकिन यह स्ट्रेन अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में सबसे ज्यादा फैला। उस शोध में शामिल पीटर फेर्सटर और उनकी टीम ने पाया कि टाइप बी स्ट्रेन ब्रिटेन, चीन, बेल्जियम, जर्मनी, फ्रांस, स्विट्जरलैंड, और नीदरलैंड में फैला. जबकि टाइप सी जो टाइप बी से बना चीन के बाहर अपने रूप में आया और पहले सिंगापुर और फिर यूरोप में फैला।

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भारत में फैले सार्स कोव-2 के बारे में कहा जा रहा है कि यह अभी म्यूटेट नहीं हो रहा है। आईसीएमआर पहले ही इस बात की पुष्टि कर चुकी है। भारत में फैला सार्स कोव 2 सिंगल म्यूटेशन वाला माना जा रहा है। अगर यह म्यूटेट नहीं होता है तो इसके खत्म होने की जल्दी संभावना है। भारत में अब तक संक्रमित हुए लोगों का आंकड़ा 20 हजार के पार पहुंच चुका है जिनमें से 3800 से ज्यादा लोग ठीक हो चुके हैं जब की 640 लोगों की मौत हो चुकी है।

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