अफगान अधिकारियों ने बगराम एयरबेस पर फिर से कब्जा करने की अमेरिकी धमकियों को सिरे से खारिज कर दिया है। उन्होंने जोर दिया है कि विदेशी सैन्य उपस्थिति को फिर से स्थापित करने के किसी भी प्रयास का डटकर विरोध किया जाएगा।
जनरल डायरेक्टरेट ऑफ इंटेलिजेंस के पहले डिप्टी मुल्ला ताजमीर जवाद ने अमेरिका के रणनीतिक हवाई क्षेत्र पर फिर से कब्जा करने के ऐलान पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि अफगान सरकार मौजूदा व्यवस्था को बनाए रखेगी।
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अफगान रक्षा मंत्री मोहम्मद याकूब मुजाहिद ने मीडिया से कहा, "हमारा जवाब है, अगर आप नहीं जाते और हवाई अड्डे चाहते हैं तो हम आपसे अगले 20 साल तक लड़ने के लिए तैयार हैं।"
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, अफगान विदेश मंत्रालय के राजनीतिक निदेशक जाकिर जलाली ने अमेरिका की वापसी की धारणा को खारिज करते हुए कहा कि अफगानों ने 'अपने क्षेत्र में विदेशी सैनिकों को कभी स्वीकार नहीं किया है।'
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उन्होंने यह भी कहा कि वाशिंगटन के साथ किसी भी बातचीत में बगराम एयरबेस को शामिल नहीं किया जाना चाहिए।
यह मामला ऐसे समय सामने आया है, जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शनिवार (अमेरिकी समयानुसार) को अफगानिस्तान को कड़ी चेतावनी देते हुए बगराम एयरबेस अमेरिका को फिर सौंपने की बात कही।
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ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर पोस्ट किया, "अगर अफगानिस्तान बगराम एयरबेस को उसके निर्माणकर्ताओं यानी संयुक्त राज्य अमेरिका को वापस नहीं करता है तो बुरी घटनाएं घटेंगी।"
ट्रंप ने पहले दोहराया था कि वाशिंगटन इस एयरबेस पर नियंत्रण पाने के लिए प्रयास कर रहा है। यह एयरबेस 11 सितंबर 2001 के हमलों के बाद अमेरिकी सेना के लिए एक प्रमुख संचालन केंद्र था।
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अमेरिकी राष्ट्रपति ने शुक्रवार को पत्रकारों को संबोधित करते हुए पुष्टि की थी कि इस मामले पर अफगानिस्तान के साथ बातचीत चल रही है।
2021 में अमेरिकी सेना की वापसी के बाद अफगानिस्तान में सबसे बड़ा अमेरिकी सैन्य अड्डा रहे बगराम एयरबेस पर तालिबान ने कब्जा कर लिया था।
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वहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने लंदन में पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा था कि हम बगराम एयरबेस को फिर से अपने कब्जे में लेना चाहते हैं।
यहां तक कि ट्रंप ने अगस्त 2021 में अमेरिकी सेना की अफगानिस्तान से वापसी के मुद्दे पर पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन की नीति की आलोचना भी की थी।
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काबुल से 50 किलोमीटर उत्तर में स्थित बगराम एयरबेस ने अमेरिकी नेतृत्व वाले सैन्य गठबंधन बलों की 20 साल की सैन्य उपस्थिति के दौरान अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों के मुख्य सैन्य अड्डे के रूप में कार्य किया था।
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