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गर्मी में कम नहीं होगा कोरोना का कहर! वैज्ञानिकों के नए रिसर्च से भारत की बढ़ी चिंता

भारत में जो लोग ऐसा मान रहे थे कि गर्म देश होने की वजह से यहां कोरोना का असर कम होगा, उनकी उम्मीदों को इस रिसर्च से बड़ा झटका लगा होगा। भारत के गिने-चुने हिस्सों में ही पारा 50 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच पाता है।

फोटो: सोशल मीडिया    
फोटो: सोशल मीडिया    

कोरोना वायरस की चपेट में अबतक दुनियाभर से 20 लाख से ज्यादा लोग आ गए हैं, वहीं इस भयानक वायरस से मरने वालों का आंकड़ा भी एक लाख से ऊपर चला गया है। विश्वभर में कहर बरपा रहे इस वायरस के इलाज ढूंढने की कोशिश अभी भी जारी है। अगल-अलग देशों के वैज्ञानिक और शोधकर्ता दिन रात इसकी वैक्सीन तैयार करने में लगे हैं। माना जा रहा है कि वैक्सीन को तैयान होने में अभी एक साल लग सकता है। वहीं दुनियाभर के लोग ये भी मान रहे थे कि ज्यादा तापमान में ये वायरस काम नहीं कर पाता है यानी की जितनी ज्यादा गर्मी होगी उतनी जल्दी इस वायरस से दुनिया बच सकती है, लेकिन एक नई रिपोर्ट ने सबको हैरान कर दिया है।

Published: 15 Apr 2020, 1:00 PM IST

गर्मी में कोरना वायरस कम होगा?

कोरोना वायरस को लेकर नई बात सामने आई है कि यह हाई टेंपरेचर में भी लंबे समय तक सक्रिय रह सकता है। फ्रांस में वैज्ञानिकों की एक टीम द्वारा किए गए शोध में इस बात का खुलासा हुआ है। काफी पहले से ऐसे दावे किए जा रहे थे कि कोरोना वायरस अधिक तापमान में निष्क्रिय हो जाता है। दक्षिणी फ्रांस की एइक्स मार्सियेले यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रेमी शेरेल ने अपने साथियों के साथ मिलकर इस भ्रांति से पर्दा उठाया है। रेमी ने इस टेस्ट में कोरोना वायरस को 60 डिग्री सेल्सियस तापमान पर टेस्ट किया है।

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Published: 15 Apr 2020, 1:00 PM IST

वैज्ञानिकों के रिसर्च ने बढ़ाई भारत की चिंता!

60 डिग्री सेल्सियस तापमान पर करीब एक घंटा टेस्ट करने के बाद रेमी और उनकी टीम ने पाया कि वायरस की कुछ किस्म अब भी संक्रमण फैलाने में सक्षम थीं। यानी इतने टेंपरेचर में रहकर भी वायरस का निष्क्रिय होना असंभव है। वैज्ञानिकों की टीम ने इस शोध के लिए पहले अफ्रीका में पाई जाने वाली बंदरों की एक विशेष प्रजाति के किडनी सेल्स को संक्रमित किया। सेल्स को संक्रमित करने के लिए बर्लिन में एक आइसोलेटेड कोरोना मरीज के शरीर से वायरस लिया गया था। इसके बाद वायरस को दो अलग-अलग ट्यूब में भरा गया जो कि दो बिल्कुल अलग तरह के परिवेश (गंदा और साफ) में पनप रहा था। आखिर में टेस्ट के बाद सामने आए परिणाम से वहां मौजूद सभी वैज्ञानिक चौंक उठे।

Published: 15 Apr 2020, 1:00 PM IST

दरअसल, साफ-सुथरे वातावरण से लिया गया कोरोना वायरस हाई टेंपरेचर में निष्क्रिय हो गया। लेकिन गंदगीभरे माहौल में पनपा वायरस अभी भी संक्रमण फैलाने के लिए सक्रिय था। हाई टेंपरेचर के बाद वायरस थोड़ा कमजोर जरूर पड़ा, लेकिन उसमें अभी भी संक्रमण फैलाने की पर्याप्त क्षमता थी। बता दें कि कोरोना वायरस का सैंपल लेने के लिए इतने ज्यादा टेंपरेचर में अधिक मात्रा में वायरस लोड करना भी खतरनाक साबित हो सकता है। भारत में जो लोग ऐसा मान रहे थे कि गर्म देश होने की वजह से यहां कोरोना का असर कम होगा, उनकी उम्मीदों को इस रिसर्च से बड़ा झटका लगा होगा। भारत के गिने-चुने हिस्सों में ही पारा 50 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच पाता है।

Published: 15 Apr 2020, 1:00 PM IST

फ्रांस के वैज्ञानिकों ने रिसर्च में क्या पाया ?

फ्रेंच वैज्ञानिकों ने यह भी मानना है कि ओवरहीटिंग के जरिए इस समस्या का समाधान किया जा सकता है. मिसाल के तौर पर वायरस के नमूनों को 15 मिनट के लिए 92 डिग्री सेल्सियस पर गर्म किए जाने से इसे पूरी तरह निष्क्रिय किया जा सकता है। बता दें कि पूरी दुनिया में कोरोना वायरस के अब तक 20 लाख से भी ज्यादा पॉजिटिव केस सामने आ चुके हैं। इनमें से सवा लाख से भी ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। मौत के सबसे ज्यादा मामले अमेरिका से सामने आए हैं। यहां अब तक 26,000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि स्पेन में 18,000, इटनी में 21,000 और फ्रांस में 15,000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।

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Published: 15 Apr 2020, 1:00 PM IST

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Published: 15 Apr 2020, 1:00 PM IST