
हमास ने रविवार को फिलिस्तीनी कैदियों और बंदियों की रिहाई को स्थगित करने के इजरायली फैसले की निंदा की। फिलिस्तीनी ग्रुप ने कहा कि इजरायल का यह दावा कि बंधकों को सौंपने के दौरान 'अपमानजनक' समारोह आयोजित हो रहा है, पूरी तरह झूठ है और यह गाजा युद्ध विराम समझौते के तहत शर्तों और दायित्वों से बचने का एक बहाना है।
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मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक हमास राजनीतिक ब्यूरो के सदस्य इज्जत एल रश्क ने एक बयान में कहा, इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का फैसला समझौते को बाधित करने के लिए जानबूझकर किया गया प्रयास है। यह समझौते की शर्तों का स्पष्ट उल्लंघन है और दर्शाता है कि कब्जे वाली (इजरायली) सरकार अपने दायित्वों को लागू करने में विश्वसनीय नहीं है।" रश्क ने कहा कि समारोहों में बंधकों का कोई अपमान नहीं किया गया, बल्कि उनके साथ मानवीय और सम्मानजनक व्यवहार किया गया। उन्होंने कहा कि 'वास्तविक अपमान' वह है जो रिहाई प्रक्रिया के दौरान फिलिस्तीनी कैदियों के साथ किया जाता है।
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इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने रविवार को फिलिस्तीनी कैदियों की रिहाई स्थगित करने का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि जब तक हमास इजरायली बंधकों की रिहाई के दौरान होने वाले 'अपमानजनक समारोह' बंद नहीं कर देता तब तक यह रोक जारी रहेगी। समझौते के तहत शनिवार को हमास ने 6 इजरायली बंधकों को रिहा कर दिया और इसके बदले में इजरायल को 602 फिलिस्तीनी कैदियों को उसी दिन रिहा करना था लेकिन यहूदी राष्ट्र ने ऐसा नहीं किया।
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19 जनवरी को युद्ध विराम शुरू होने के बाद से हमास ने 25 इजरायली बंधकों को रिहा किया है। लगभग सभी की एक सार्वजनिक समारोह में रिहाई हुई है जिन्हें इजरायल फिलिस्तीनी ग्रुप का प्रचार स्टंट बताता है। हालांकि शनिवार को बंधक हिशाम अल-सईद की रिहाई एक अपवाद रही। हमास ने बिना किसी सार्वजनिक कार्यक्रम के उन्हें रेडक्रॉस को सौंप दिया। हिशाम रिहा होने वाले पहले मुस्लिम इजरायली हैं। इससे पहले शनिवार सुबह हमास ने पांच बंधकों की रिहाई पूरे धूम-धाम से की थी।
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