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आतंकी हमले से उठे सवालः सीरिया, इराक के बाद कहीं मिस्र में तो अपनी जड़ें नहीं जमा रहा इस्लामिक स्टेट 

मिस्र के उत्तरी प्रांत सिनाई में हुए आतंकी हमले के पीछे इस्लामिक स्टेट का हाथ होने की आशंका है। माना जा रहा है कि इराक और सीरिया में मात खाने के बाद आईएस मिस्र में पैर जमाने की कोशिश कर रहा है। 

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया मिस्र के सिनाई प्रांत में आतंकी हमला

24 नवंबर को शुक्रवार के दिन मिस्र के उत्तरी प्रांत सिनाई में हुए आतंकी हमले में अब तक 235 लोगों की मौत की पुष्टी हो चुकी है। इस हमले में 130 से ज्यादा लोगों के गंभीर रूप से घायल हुए हैं। हमले के बाद मिस्र के राष्ट्रपति अब्दुल फतह अल सीसी ने तीन दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा करते हुए सिनाई में हुए हमले का बदला लेने का संकल्प लिया है। अल सीसी ने कहा कि हम अब पहले से भी ज्यादा मजबूती के साथ आतंकवाद का मुकाबला करेंगे। मिस्र के उत्तरी प्रांत सिनाई में अल आरिश के करीब अल रावदा नामक जगह पर शुक्रवार को करीब 40 बंदूकधारियों ने एक मस्जिद पर हमला कर दिया था। उस समय मस्जिद में काफी संख्या में लोग नमाज अदा कर रहे थे। ये मस्जिद सूफी पंथ से जुड़ी बताई जा रही है।

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फोटो: सोशल मीडिया 

शुक्रवार को हुआ हमला आधुनिक मिस्र के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा आतंकी हमला माना जा रहा है। हालांकि, अब तक इस हमले की जिम्मेदारी किसी भी संगठन ने नहीं ली है। लेकिन माना जा रहा है कि इस हमले के पीछे इस्लामिक स्टेट का हाथ है। अरब मामलों को समझने वाले कई जानकारों का मानना है कि इस हमले के पीछे इस्लामिक स्टेट का हाथ हो सकता है। और अगर ऐसा है तो ये बहुत गंभीर बात होगी। पिछले कुछ समय से आईएस की पकड़ इराक और सीरिया में बहुत कमजोर हुई है। ऐसे में माना जा रहा है कि मिस्र के इस इलाके में आईएस अपनी पकड़ बनाने की कोशिश कर रहा है और इस तरह के हमलों को अंजाम देकर अभी भी अपने आप को ताकतवर होने का संदेश अपने समर्थकों तक पहुंचाना चाह रहा है।

मिस्र में आईएस की बढ़ती पैठ को इसी बात से समझा जा सकता है कि पिछले करीब एक साल से देश के उत्तरी सीमाई क्षेत्र में संगठन के लोग आम लोगों को निशाना बनाते आ रहे हैं। इन हमलों में उनके निशाने पर ईसाई समुदाय के लोग खासतौर पर रहते थे। 24 नवंबर को हुए हमले को भी इसी कड़ी से जोड़कर देखा जा रहा है। अल आरिश के करीब अल रावदा में जिस मस्जिद को निशाना बनाया गया वो सूफी मत की लोकप्रिय मस्जिद थी। सूफी मत के लोग भारी संख्या में यहां इकट्ठे होते थे। इसके अलावा उत्तरी सिनाई के लोग आईएस के विरुद्ध जंग में सरकार की मदद भी कर रहे थे। ऐसे में हमले की वजहों के तौर पर इन कोणों को भी देखा जा रहा है।

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ताजा हमले में इस इलाके के रहने वाले बद्दू कबायली लोगों का ज्यादा नुकसान हुआ है। इससे पहले भी इसी क्षेत्र में हुए एक आतंकी हमले में 18 पुलिसकर्मियों की मौत हुई थी। अब माना जा रहा है कि मिस्र की सरकार अगर अब इस इलाके में कड़ी कार्रवाई करती है तो यहां के स्थानीय लोग खुलकर आईएस के खिलाफ सरकार के साथ खड़े हो सकते हैं।

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फोटो: सोशल मीडिया 

मिस्र की अल सीसी सरकार के सामने आईएस की संभावित चुनौती से निपटना एक बहुत बड़ी चुनौती है। हालांकि राष्ट्रपति सीसी आतंकवाद और चरमपंथ के खिलाफ पहले से ही सख्त रवैया अपनाए हुए हैं। जिस वजह से सिनाई इलाके में पिछले लंबे समय से सख्त सैन्य कार्रवाई जारी है। हालांकि सख्त सैन्य कार्रवाइयों के बावजूद इस तरह के हमले होना कई सवाल खड़े करता है। राष्ट्रपति सीसी को आगे और सख्त फैसले लेने पड़ सकते हैं। साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी उन्हें आईएस के खिलाफ लड़ाई में सहयोग लेने की जरूरत होगी।

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