‘क्वाड’ (चतुष्पक्षीय सुरक्षा संवाद) के नेताओं की बैठक के बाद संयुक्त रूप से जारी एक घोषणा पत्र में कहा गया कि चार देशों का यह समूह अच्छे मकसद से बनाया गया है और रणनीतिक रूप से पहले से कहीं अधिक एकजुट है।
‘क्वाड’ शिखर सम्मेलन की मेजबानी अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने डेलावेयर में अपने गृहनगर विलमिंगटन में शनिवार को की, जिसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज और जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने भाग लिया।
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‘क्वाड’ की इस चौथी बैठक के बाद जारी विलमिंगटन घोषणापत्र में कहा गया, ‘‘क्वाड को नेता-स्तरीय प्रारूप में उन्नत किए जाने के चार साल बाद यह समूह रणनीतिक रूप से पहले से कहीं अधिक एकजुट है। ‘क्वाड’ अच्छे मकसद से बनाया गया समूह है जो हिंद-प्रशांत के लिए वास्तविक, सकारात्मक और स्थायी प्रभाव छोड़ता है।’’
घोषणापत्र में कहा गया, ‘‘हम इस तथ्य का जश्न मनाते हैं कि केवल चार साल में ‘क्वाड’ एक महत्वपूर्ण और स्थायी क्षेत्रीय समूह बन गया है जो आगामी कई दशकों तक हिंद प्रशांत को मजबूत करेगा।’’
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इसमें कहा गया, ‘‘हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चार प्रमुख समुद्री लोकतांत्रिक देशों के रूप में हम इस गतिशील क्षेत्र में उस शांति और स्थिरता को बनाए रखने के लिए स्पष्ट रूप से खड़े हैं जो वैश्विक सुरक्षा एवं समृद्धि के लिए अनिवार्य है।’’
उन्होंने चीन का परोक्ष रूप से जिक्र करते हुए कहा कि समूह किसी भी ऐसी अस्थिरकारी या एकतरफा कार्रवाई का दृढ़ता से विरोध करता है, जो बल या दबाव के जरिए यथास्थिति को बदलने की कोशिश करती है।
चीन का दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन सागर में कई देशों से विवाद हैं। वह पूरे दक्षिण चीन सागर पर अपनी संप्रभुता का दावा करता है। दूसरी ओर, वियतनाम, मलेशिया, फिलीपीन, ब्रुनेई और ताइवान भी इस क्षेत्र पर अपने-अपने दावे करते हैं।
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