यमन के नागरिक तलाल अब्दो महदी की हत्या के मामले में फंसी भारत की नर्स निमिषा प्रिया को बचाने की कोशिशों को झटका लगा है। महदी के परिवार ने निमिषा को माफ करने से इनकार कर दिया है। तलाला महदी के भाई अब्देल फत्तह महदी ने साफ कहा है कि वह अपने भाई की हत्या के मामले में कोई माफी या समझौता नहीं चाहता। भले ही सजा में देरी हो, लेकिन बदला चाहिए।
दरअसल आरोप है कि जुलाई 2017 में निमिषा ने विवाद होने पर कारोबारी साझेदार तलाल अब्दो महदी महदी को बेहोशी का इंजेक्शन दिया, लेकिन इसका असर नहीं हुआ। फिर निमिषा ने महदी को ओवरडोज दे दिया, जिससे उसकी मौत हो गई। खबरों के मुताबिक, निमिषा ने महदी के शरीर के टुकड़े कर वाटर टैंक में फेंक दिए। इसके बाद पुलिस ने निमिषा को गिरफ्तार कर लिया।
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यमन की सुप्रीम ज्यूडिशियल काउंसिल ने निमिषा को महदी की हत्या के आरोप में मौत की सजा सुनाई। निमिषा ने यमन की सुप्रीम कोर्ट में माफी की अपील की, जिसे 2023 में खारिज कर दिया गया। राष्ट्रपति रशद ने भी 30 दिसंबर 2024 को सजा को मंजूरी दे दी। निमिषा को 16 जुलाई को मौत की सजा दी जानी थी, लेकिन उसे बचाने की शुरू हुई कोशिशों के चलते इसे फिलहाल टाल दिया गया है।
इस बीच बीबीसी अरबी को दिए एक इंटरव्यू में तलाल महदी के भाई ने कहा कि हम शरियत कानून के तहत ‘किसास’ यानी बदले की मांग करते हैं। निमिषा को मौत की सजा मिलनी चाहिए। महदी ने कहा कि चाहे कोई भी कितना दबाव डाले या मिन्नतें करे, हम क्षमा नहीं करेंगे और ब्लड मनी (खून के बदले दी जाने वाली रकम) नहीं लेंगे। महदी ने कहा कि न्याय की जीत होगी। उन्होंने यह भी कहा कि सिर्फ हत्या ही नहीं, बल्कि सालों तक चले इस केस की लंबी कानूनी लड़ाई ने भी हमारे परिवार को काफी नुकसान पहुंचाया है। इसलिए वे मुआवजे की कोई रकम नहीं लेना चाहते।
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महदी ने यह भी कहा कि कुछ भारतीय मीडिया जानबूझकर ऐसे झूठे दावे फैला रही है कि तलाल ने निमिषा का पासपोर्ट जब्त कर लिया था या उसका शोषण किया गया था। लेकिन यह पूरी तरह से गलत है। महदी ने दावा किया कि न तो खुद निमिषा प्रिया ने और न ही उसकी कानूनी टीम ने कभी अदालत में ऐसा कोई आरोप लगाया। उसने यह भी कहा कि निमिषा की पूरी कानूनी प्रक्रिया में भारतीय दूतावास की तरफ से नियुक्त वकील मौजूद थे और सभी कार्यवाही पारदर्शी रही। महदी ने भारतीय मीडिया पर यह भी आरोप लगाया कि वह दोषी को पीड़ित के रूप में प्रस्तुत कर रही है।
निमिषा मामले में उस समय उम्मीद की किरण दिखी, जब 15 जुलाई को भारत के केरल के कंथापुरम के ग्रैंड मुफ्ती एपी अबूबकर मुसलियार और यमन के चर्चित सूफी विद्वान शेख हबीब उमर बिन हाफिज ने इस मसले पर बातचीत की, जिससे निमिषा को 16 जुलाई को होने वाली फांसी को टाल दिया गया। इसमें यमन के सुप्रीम कोर्ट के एक जज और मृतक का भाई भी शामिल था। यमन के शेख हबीब को बातचीत के लिए मुफ्ती मुसलियार ने मनाया था। ऐसा पहली बार हुआ, जब पीड़ित परिवार का कोई करीबी सदस्य बातचीत को तैयार हुआ हो। यह बातचीत शरिया कानून के तहत हुई, जो पीड़ित परिवार को दोषी को बिना किसी शर्त के या फिर ब्लड मनी के बदले में माफ करने का कानूनी अधिकार देता है।
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निमिषा प्रिया मामले में भारत सरकार यमन सरकार से मुख्य रूप से नॉन-रेजिडेंट राजदूत के जरिए बात करती है। फिलहाल भारत सरकार रियाद में मौजूद राजदूत के जरिए बातचीत कर रही है। दरअसल भारत के पास यमन में स्थायी राजनयिक मिशन नहीं है। 2015 में राजनीतिक अस्थिरता के कारण राजधानी सना में भारतीय दूतावास बंद कर दिया गया था और इसे जिबूती (अफ्रीका) में ट्रांसफर कर दिया गया था।
भारत के सुप्रीम कोर्ट ने भी निमिषा मामले पर चिंता जताई है। सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि वो निमिषा के मामले में ज्यादा कुछ नहीं कर सकती है। अटॉर्नी जनरल ने कोर्ट को बताया कि हम एक हद तक ही जा सकते हैं और हम वहां तक पहुंच चुके हैं। इस मामले में 'सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल' के वकील ने कोर्ट को बताया कि उसे बचाने का एकमात्र रास्ता यह है कि मृतक का परिवार 'ब्लड मनी' स्वीकार कर ले। पीड़ित के परिवार को 10 लाख अमेरिकी डॉलर (लगभग 8.5 करोड़ रुपए) की पेशकश की गई थी, लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया है।
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निमिषा को बचाने के लिए उनकी मां ने अपनी संपत्ति बेचकर और क्राउड फंडिंग के जरिए 'ब्लड मनी जुटाने की भी कोशिश की। 2020 में निमिषा को सजा से बचाने और ब्लड मनी इकट्ठा करने के लिए ‘सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल’ बनाई गई। केरल के एक जाने-माने बिजनेसमैन ने निमिषा को बचाने के लिए 1 करोड़ रुपए देने का ऐलान किया। शरिया कानून के मुताबिक, पीड़ित पक्ष को अपराधियों की सजा तय करने का हक है। हत्या के मामले में मौत की सजा है, लेकिन पीड़ित का परिवार पैसे लेकर दोषी को माफ कर सकता है। इसे 'दीया' या 'ब्लड मनी' कहा जाता है।
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