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तालिबान पत्रकारों को दे रहा जुबान काटने की धमकी, सत्ता में आने के बाद से 318 अफगान मीडिया हाउस बंद

रिपोर्टर्स विदाउट के अनुसार अफगानिस्तान में बीते साल अगस्त में इस्लामिक अमीरात के सत्ता में आने के बाद कम से कम 50 पत्रकारों और मीडियाकर्मियों को हिरासत में लिया गया, जिनमें से कई पत्रकारों को घंटों और कई पत्रकारों को लगभग एक सप्ताह तक हिरासत में रखा गया।

फोटोः IANS
फोटोः IANS 

अफगानिस्तान में तालिबान वहां के पत्रकारों को जुबान काटने की धमकी दे रहा है। रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (आरएसएफ) ने तालिबान शासन के तहत अफगानिस्तान में पत्रकारों और मीडिया संस्थान के खिलाफ हिंसा बढ़ने की चेतावनी दी है। इस बीच इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट्स (आईएफजे) ने भी अफगानिस्तान में मीडिया की स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि 34 प्रांतों में से 33 में तालिबान सरकार आने के बाद से कम से कम 318 मीडिया आउटलेट बंद हो गए हैं।

टोलो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार आरएसएफ ने कहा है कि अफगानिस्तान में पत्रकारों और मीडियाकर्मियों को तालिबानी खुफिया विभाग के बढ़ते उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है। आरएसएफ ने कहा है कि पत्रकारों को दी जाने वाली धमकियां, पूछताछ और मनमानी गिरफ्तारी बढ़ गई हैं। यह कार्रवाई अफगानिस्तान के प्रेस कानून का उल्लंघन है।

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आरएसएफ के अनुसार, पिछले साल अगस्त में इस्लामिक अमीरात के सत्ता में आने के बाद से कम से कम 50 पत्रकारों और मीडियाकर्मियों को हिरासत में लिया गया है, जिनमें से कई पत्रकारों को घंटों और कई पत्रकारों को तो लगभग एक सप्ताह तक हिरासत में रखा गया।
आरएसएफ के ईरान-अफगानिस्तान डेस्क के प्रमुख रेजा मोइनी ने कहा, कुछ विषयों को कवर करने से रोकने के लिए पत्रकारों की जुबान काटने की धमकी देना पूरी तरह से अस्वीकार्य है।

मोइनी ने कहा कि पत्रकारों को गिरफ्तारी और यातना के स्थायी खतरे के बिना अपनी ड्यूटी करने में सक्षम होना चाहिए। उन्होंने कहा कि तालिबान की ओर से दी जानी वाली गैरकानूनी धमकियां अफगान मीडिया कानून का उल्लंघन तो करती ही हैं, साथ ही इससे समाचार और सूचना के अधिकार का भी उल्लंघन हो रहा है और अब स्थिति और भी अधिक भयावह हो चुकी है। आरएसएफ के अनुसार, तालिबान की कार्यवाहक सरकार ने पिछले साल नवंबर में एक फरमान जारी किया था, जिसमें अफगानिस्तान में मीडिया के लिए कुछ नियमों को परिभाषित किया गया था।

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इसके अलावा इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट्स (आईएफजे) ने भी अफगानिस्तान में मीडिया की स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा है कि अफगानिस्तान के 34 प्रांतों में से 33 में पश्चिम समर्थित सरकार के गिरने के बाद से कम से कम 318 मीडिया आउटलेट बंद हो गए हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि इस संकट ने अखबारों को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है और अब 114 में से सिर्फ 20 का ही प्रकाशन जारी है। आईएफजे की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार, 51 टीवी स्टेशनों, 132 रेडियो स्टेशनों और 49 ऑनलाइन मीडिया आउटलेट्स ने संचालन बंद कर दिया है।

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आईएफजे के मुताबिक, नौकरी गंवाने वाले पत्रकारों में 72 फीसदी महिलाएं हैं। वर्तमान में 243 महिलाएं अभी भी कार्यरत हैं। टोलो न्यूज ने अफगान स्वतंत्र पत्रकारों के प्रमुख हुजतुल्लाह मुजादीदी के हवाले से कहा, "यदि देश में मीडिया की स्थिति के लिए तत्काल कदम नहीं उठाए जाते हैं, तो निकट भविष्य में अफगानिस्तान में कुछ निश्चित मीडिया संगठन ही सक्रिय होंगे।"

अफगानिस्तान पत्रकार परिषद के प्रमुख हाफिजुल्ला बराकजई ने कहा, "हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मौजूदा अफगान स्थिति में सूचना तक पहुंच की प्रक्रिया की रक्षा के लिए मीडिया में निवेश करने का आह्वान करते हैं।" एक पत्रकार समीउल्लाह पाम ने कहा, "अगर मीडिया पर लगाए गए प्रतिबंध लागू रहते हैं, तो मीडिया संगठन काम करना बंद कर देंगे और ढह जाएंगे।"
पत्रकार नसीम ने कहा, "हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अफगान मीडिया की स्थिति पर गंभीरता से विचार करने का आह्वान करते हैं। हम सरकार से सूचना तक पहुंच में मीडिया की सहायता करने का आह्वान करते हैं।"

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