दुनिया

कार्बन से पर्यावरण-फ्रेंडली ऊर्जा स्रोतों में बदलाव पर खतरा, कोरोना संकट से लंबे प्रयासों पर असर

हर साल दावोस में नेताओं और बड़े उद्योगपतियों के शिखर सम्मलेन का आयोजन करने वाले वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम का कहना है कि ऊर्जा के क्षेत्र में इस समय कीमतें अस्थिर हैं, मांग गिर रही है, निवेश रुका है और इस क्षेत्र के लाखों कामगार अनिश्चितता का सामना कर रहे हैं।

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया 

वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (डब्ल्यूईएफ) ने अपनी सालाना ऊर्जा परिवर्तन रिपोर्ट में चेतावनी दी है कि कोरोना वायरस संकट की वजह से सालों से पूरी दुनिया में हो रहे कार्बन ईंधनों से पर्यावरण-फ्रेंडली ऊर्जा के स्रोतों की तरफ बढ़ने के प्रयासों पर खतरा पैदा हो गया है। हर साल स्विट्जरलैंड के दावोस में नेताओं और बड़े उद्योगपतियों के शिखर सम्मलेन का आयोजन करने वाले इस थिंकटैंक का कहना है कि ऊर्जा के क्षेत्र में इस समय कीमतें बड़ी अस्थिर हैं, मांग गिर रही है, निवेश रुका हुआ है और इस क्षेत्र में काम करने वाले लाखों कामगार अनिश्चितता का सामना कर रहे हैं।

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हालांकि डब्ल्यूईएफ के ऊर्जा विशेषज्ञ रोबेर्तो बोका का यह भी कहना है कि महामारी की वजह से आर्थिक बहाली और पर्यावरण को समर्थन देने के लिए अपरंपरागत नीतियां पर काम करने का भी अवसर मिल रहा है। उनका कहना है कि जिस तरह सभी ने कोविड-19 महामारी से लड़ने के लिए भारी त्याग करना स्वीकार कर लिया है, "एक सफल ऊर्जा परिवर्तन के लिए भी इसी तरह की कोशिशों की जरूरत है।"

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रिपोर्ट में सुरक्षित और अफोर्डेबल ऊर्जा और पर्यावरण के बीच कैसे अलग अलग देशों में संतुलन लाने की कोशिश की जा रही है, उसे लेकर देशों की एक सालाना रैंकिंग भी दी गई है। इसका नाम है 2020 एनर्जी ट्रांजीशन इंडेक्स और इसमें स्वीडन, स्विट्जरलैंड, फिनलैंड, डेनमार्क और नॉर्वे ने सबसे ऊपर के पांच स्थान पाए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया के सबसे बड़े ऊर्जा के उपभोक्ता जो देश हैं, उनमें मतभेद है और वो अलग अलग विचारों वाले समूहों में बंटे हुए हैं।

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इनमें से भारत और चीन तो पिछले कुछ सालों में लगातार टिकाऊ ऊर्जा नीतियों की तरफ बढ़े हैं, लेकिन ब्राजील, कनाडा, ईरान और अमेरिका उल्टी दिशा में जा रहे हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पिछले साल पूरे विश्व में मीथेन गैस का जितना उत्सर्जन हुआ उसमें आधे से ज्यादा हिस्सा नार्थ अमेरिका में तेल और गैस के उत्पादन से हुए उत्सर्जन का था। डब्ल्यूईएफ का कहना है कि ऊर्जा परिवर्तन की प्रक्रिया में प्राकृतिक गैस की अहमियत को देखते हुए, मीथेन के उत्सर्जन को कम करने वाली तकनीक और प्रतिबंधों को तुरंत लागू किया जाना चाहिए।

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