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चौतरफा दबाव में योगी सरकार ने माना बेकसूर किए गए गिरफ्तार, CAA विरोध में जेल भेजे गए लोगों की समीक्षा होगी

चौतरफा दबाव के बाद आखिरकार उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने मान लिया है कि नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हुए प्रदर्शनों में कई बेकसूर लोगों पर मुकदमे दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया गया है। अब यूपी सरकार ने इन मुकदमों की समीक्षा करने का फैसला किया है।

फोटो : सोशल मीडिया
फोटो : सोशल मीडिया 

उत्तर प्रदेश में पुलिस की बर्बरता और बेकसूर लोगों को निशाना बनाए जाने का मामला लगातार बढ़ता जा रहा है। चौतरफा आवाजें उठ रही हैं कि बीजेपी सरकार ने अपने एजेंडे के तहत तमाम निर्दोष लोगों को गिरफ्तार किया है जिनमें से ज्यादातर अल्पसंख्यक समुदाय से हैं। इतना ही नहीं बहुत से लोगों को प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा में सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की भरपाई करने का कानूनी नोटिस भी भेजा गया है। जिन लोगों को ऐसे नोटिस मिले हैं उनमें से ज्यादातर गरीब तबके से हैं जो किसी तरह मजदूरी आदि कर जीवन चलाते हैं।

मुजफ्फरनगर जेल से चार निर्दोष लोगों मोहम्मद फारुक, अतीक अहमद, शोएब और मोहम्मद खालिद की करीब 10 दिन बाद रिहाई के बाद उत्तर प्रदेश सरकार और पुलिस के दावों की पोल खुलना शुरु हो गई है कि किस तरह बेकसूर लोगों को निशाना बनाया गया है।

Published: 02 Jan 2020, 2:28 PM IST

मुजफ्फरनगर के सहायक पुलिस अधीक्षक सतपाल ने पत्रकारो को बताया कि जिन चार लोगों को रिहा किया गया है उनमें से एक सरकारी विभाग में लिपिक है और उसे सीआरपीसी की धार 169 के तहत रिहा किया गया है। इस धारा में प्रावधान है कि जांच के बाद उसका किसी भी हिंसा में हाथ नहीं पाया गया है।

Published: 02 Jan 2020, 2:28 PM IST

उधर रामुपर में जिला प्रशासन ने 28 लोगों को सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की भरपाई के लिए 25 लाख रुपए की रिकवरी का नोटिस भेजा है। जिलाधिकारी अनुजनेय कुमार सिंह ने बताया कि इनमें से दो लोगों के खिलाफ भेजे गए नोटिस को वापस लिया जा सकता है,क्योंकि उपद्रव में उनकी भूमिका नहीं पाई गई है। उन्होंने बताया कि उन्होंने उपद्रव में शामिल लोगों की पहचान कर ली है।

राजधानी लखनऊ में भी अधिकारियों ने बताया कि एक महिला ने अपने बेटे को निर्दोष साबित कर दिया है। उसका बेटा इस समय जेल में है और उसकी रिहाई का आदेश जल्द जारी होगा। उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी ने कहा कि सरकार ने सभी मामलों की समीक्षा का फैसाल किया है और जो भी निर्दोष पाया जाएगा उसे रिहा किया जाएगा।

Published: 02 Jan 2020, 2:28 PM IST

गौरतलब है कि इससे पहले उत्तर प्रदेश सरकार ने सीएए विरोध के प्रदर्शनों के दौरान हुए उपद्रव की जांच का जिम्मा जिला स्तर पर एसआईटी (स्पेशल जांच टीम) के हवाले किया है। इन टीमों की अगुवाई अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक करेंगे। टीम का काम ऐसे लोगों की पहचान करना है जो वास्तव में उपद्रव में शामिल थे। अवनीश अवस्थी ने बताया कि, “एसआईटी इसलिए बनाई गई है ताकि किसी निर्दोष की गिरफ्तारी न हो और अगर वह गलती से गिरफ्तार हुआ है तो उसे रिहा किया जाए।”

Published: 02 Jan 2020, 2:28 PM IST

गौरतलब है कि गिरफ्तार किए गए लोगों पर विभिन्न धाराओं में मुकदमे कायम किए गए हैं। इनमें गैरकानूनी सभा, हत्या का प्रयास, गैरकानूनी प्रतिरोध, आपराधिक मंशा और सरकारी कर्मचारी पर आपराधिक हमले आदि शामिल हैं। इन लोगों पर आपराधिक साजिश रचने और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का मामला भी दर्ज किया गया है।

सिविल सोसायटी और राजनीतिक दलों के सदस्यों का दावा है कि पुलिस ने एक विशेष समुदाय के घरों पर हमले किए और सामाजिक कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया। इनमें बहुत से बेकसूर लोगों को भी पत्थरबाजी के आरोप में गिरफ्तार किया गया। पुलिस का दावा है कि पत्थकबाजी में करीब 200 पुलिस वाले जख्मी हुए हैं।

उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में इस समय पुलिस बर्बरता का जबरदस्त खौफ है। लेकिन अब जीवन धीरे-धीरे सामान्य हो रहा है, लेकिन लोगों को अब भी भय है कि पुलिस किसी भी समय आकर उनको निशाना बना सकती है।

Published: 02 Jan 2020, 2:28 PM IST

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Published: 02 Jan 2020, 2:28 PM IST