समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने रविवार को आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने 30 दिन तक हिरासत में रहने पर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्रियों को पद से हटाने से संबंधित विधेयक संसद में इसलिए पेश किए हैं, ताकि विपक्षी नेताओं को परेशान किया जा सके और क्षेत्रीय दलों के भीतर विद्रोह भड़काया जा सके। अखिलेश यादव ने कहा कि केंद्र सरकार का यह कदम राजनीति से प्रेरित है।
ये तीन विधेयक हैं:
केंद्र शासित प्रदेशों की सरकार (संशोधन) विधेयक 2025,
संविधान (130वां संशोधन) विधेयक 2025
जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2025।
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अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी मुख्यालय में संवाददाताओं से कहा, "यह सरकार विपक्षी नेताओं को परेशान करना चाहती है, क्षेत्रीय दलों पर दबाव बनाना चाहती है और उनके भीतर विद्रोह भड़काना चाहती है।”
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने असली मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए यह विधेयक पेश किया है, ताकि वह चुनावों के दौरान कैसे डकैती करते हैं और वोट चोरी करते हैं।
समाजवादी पार्टी प्रमुख ने सत्तारूढ़ दल पर अपने ही नेताओं के खिलाफ आपराधिक मामलों को चुनिंदा तरीके से वापस लेने और प्रतिद्वंद्वियों को दबाने के लिए कानूनी कार्रवाई का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया।
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अखिलेश यादव ने कहा, "हमारे मुख्यमंत्री (योगी आदित्यनाथ) को पता था कि यह विधेयक एक न एक दिन आएगा, इसीलिए अपने खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस ले लिए। अपने तो लिए ही लिए, उप मुख्यमंत्री के खिलाफ भी मुकदमे वापस ले लिए। जो इस विधेयक को ला रहे हैं, उन्होंने कई जगह स्वीकार किया कि उन पर झूठे मुकदमे लगे थे, उन्हें फंसाया गया था। अगर उन्हें झूठे मामलों में फंसाया जा सकता है, तो कल किसी और को भी फंसाया जा सकता है।"
समाजवादी पार्टी प्रमुख ने पार्टी नेताओं के जेल जाने के उदाहरण दिए, जिनमें मोहम्मद आजम खान, पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति, पूर्व विधायक इरफान सोलंकी और विधायक और पूर्व सांसद रमाकांत यादव का नाम लिया। उन्होंने कहा, "देखिए कैसे हमारे नेताओं को सालों से जेल भेजा जा रहा है। यह सत्ता के दुरुपयोग को दर्शाता है।"
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अखिलेश यादव ने दोहराया कि उनकी पार्टी इस विधेयक का कड़ा विरोध करती है और यह लोकतांत्रिक मूल्यों और क्षेत्रीय राजनीतिक आंदोलनों पर हमला है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गंभीर आरोपों में लगातार 30 दिनों तक हिरासत में रहने पर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को हटाने के लिए बुधवार को लोकसभा में तीन विधेयक पेश किए थे, जिसका विपक्षी सांसदों ने कड़ा विरोध किया और मसौदा कानून की प्रतियां फाड़ दीं।
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