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सीएए विरोधी आंदोलन में हिस्सा लेने का मामला पुलिस ने फिर खोला, कांग्रेस के अलीगढ़ उम्मीदवार को किया जिला बदर

उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार ने अब विरोधियों को नए सिरे से निशाना बनाना शुरु कर दिया है। इसी कड़ी में अलीगढ़ जिला प्रशासन ने सीएए विरोधी आंदोलन में हिस्सा लेने के मामले में कांग्रेस उम्मीदवार सलमान इम्तियाज के खिलाफ जिला बगर की कार्रवाई की है।

फोटो आस मोहम्मद कैफ
फोटो आस मोहम्मद कैफ 

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी छात्र संघ के निवर्तमान अध्यक्ष और अलीगढ़ विधानसभा से कांग्रेस प्रत्याशी सलमान इम्तियाज को स्थनीय प्रशासन ने जिला बदर कर दिया है। आदेश जारी हुआ है कि वे अगले 6 महीने तक जिले में प्रवेश नहीं कर सकते। इसका उल्लंघन करने पर उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है।

सलमान इम्तियाज ने दो दिन पहले ही अपना नामांकन कराया है। उन्होंने प्रशासन की इस कार्यवाही को प्रशासनिक पक्षपात और समाज भय पैदा करने की साजिश करार दिया है। उन्होंने कहा है कि वे इस आदेश को ऊपरी अदालत में चुनौती देंगे।

प्रशासन ने उन पर गुंडा एक्ट के तहत कार्यवाही की है और उनके घर के बाहर जिला बदर का नोटिस चस्पा कर दिया है। अलीगढ़ कांग्रेस कमेटी ने भी प्रशासन की इस कार्रवाई को ऊपरी अदालत में चुनौती देने की बात कही है।

उधर अलीगढ़ जिला प्रशासन का कहना है कि सलमान इम्तियाज़ को 2020 में अलीगढ़ में हुए सीएए विरोधी आंदोलन से जुड़े मुकदमों में तत्कालीन एसएसपी मुनिराज की रिपोर्ट के बाद एडीएम सिटी की अदालत से कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था, और उन्हें 4 सितंबर 2020 तक नोटिस का जवाब देना था। प्रशासन के मुताबिक 4 सितंबर 2020 तक सलमान इम्तियाज़ की तरफ़ से कोई जवाब नहीं आया, जिसके बाद एडीएम कोर्ट से सलमान को जिला बदर करने का आदेश जारी किया गया हैं। सलमान इम्तियाज़ पर आंदोलन के दौरान 9 मुकदमे दर्ज किए गए थे।

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एडीएम सिटी अदालत से जारी आदेश में कहा गया है कि 'मंजिल मोहल्ला निवासी सलमान इम्तियाज को छह माह के लिए जिला बदर करके कासगंज के थाना गंजडुडवारा से संबद्ध कर आरोपित को आदेशित किया जाता है कि तामील की तिथि से जिले से बाहर चला जाए। छह माह के लिए जिले की सीमा में प्रवेश न करे। साथ ही थाना गंजडुंडवारा में अपनी उपस्थिति दर्ज कराए। यदि किसी विशेष परिस्थिति में घर आना आवश्यक हो तो जिला प्रोबेशन अधिकारी की अनुमति लेनी होगी। अनुमति की अवधि समाप्त होने के बाद वापस जाना होगा।'

सलमान इम्तियाज ने कहा है कि "जिस तरीके से उन्हें साजिशन फंसा कर ज़िला बदर किया गया है, इससे ये साफ़ पता चलता है कि विपक्ष में मुझको लेकर कितना खौफ है। वो मुझे किसी भी क़ीमत पर जीतने नहीं देना चाहते। क्योंकि उन्हें इस बात का बहुत अच्छी तरह से अंदाज़ा है कि अगर वो इस चुनाव में विजयी हुआ तो जिस तरह की राजनीति करने का इनका मंसूबा है वो उस राजनीति को नहीं कर पाएंगे। अगर शहर की अवाम ने मुझे चुना तो मैं विपक्ष की नफरत की राजनीति, जातिवाद की राजनीति, धर्म के नाम पर की जाने वाली राजनीति, लालच की राजनीति, पावर की राजनीति, पैसे के बल पर राजनीति नहीं होने दूंगा।"

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सलमान इम्तियाज़ ने कहा, "इस बार हर धर्म और हर जाति के लोग ये भलीभांति जानते हैं कि उन्हें कैसा नेता चाहिए। अलीगढ़ शहर की जनता ये निर्णय कर चुकी है कि इस बार चुनाव में ऐसे प्रतिनिधि को जिताना है जो कि न्याय क़ायम कर सके, और जो मज़लूमो के साथ कंधे से कांधा मिलाकर चल सके, और ज़ालिमों का किसी भी परिस्थिति में डट कर मुक़ाबला कर सके, ज़ालिमों के आगे झुके नहीं।"

एएमयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष व कांग्रेस प्रत्याशी सलमान इम्तियाज़ ने कहा कि, "आज मुझे ज़िला बदर करके ये बात साबित हो गयी है कि इंसाफ़ का झंडा लेकर चलने वाले सलमान इम्तियाज़ का खौफ ज़ुल्म करने वालों के दिलों मे बैठ चुका है।" उन्होंने कहा कि जिस्म में खून के एक-एक क़तरा के बाकी रहते जुल्म के खिलाफ इंसाफ की लड़ाई लड़ते रहेंगे।

इस आदेश पर कांग्रेस के जिलाध्यक्ष ठा. संतोष सिंह ने भी सलमान इम्तियाज़ के विरुद्ध गुंडा एक्ट की कार्रवाई को बीजेपी का षड्यंत्र करार दिया है। संतोष सिंह ने कहा कि "बीजेपी को हार का डर है, इसलिए वो हर हथकंडे अपना रही है। पहले सिविल लाइंस इंस्पेक्टर ने कांग्रेस प्रत्याशी सलमान को धमकी दी। अब बिना किसी पूर्व सूचना के उनके घर पर नोटिस चस्पा कर दिया। बीजेपी कुछ भी कर ले, चाहे जेल भी भेज दे, मगर सलमान चुनाव लड़ेंगे। उनके खिलाफ साजिश के तहत कार्रवाई की गई है।"

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सलमान इम्तियाज़ ने दो दिन पहले ही अलीगढ़ शहर विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में नामांकन किया था। सलमान इम्तियाज़ पर हुईं गुंडा एक्ट की कार्रवाई के बाद शहर विधानसभा में राजनीति तेज़ हो गई हैं। लोग प्रशासन की इस कार्रवाई के राजनैतिक मायने भी निकाल रहें हैं क्योंकि सलमान पिछले काफ़ी समय से शहर विधानसभा में आम जनता से जुड़े मुद्दों को उठा रहें थे और वो इन्हीं मुद्दों को लेकर चुनावी मैदान में भी उतरे थे।

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