हालात

उत्तर प्रदेश: चुनावी लाभ के लिए मोदी-योगी ने फोड़ दिए ‘नारियल’, पर काम न होने थे, न हुए

वर्ष 2021-22 की त्वरित विकास योजना के लिए 2,000 करोड़ रुपये का आवंटन हुआ लेकिन शिलान्यास 10 हजार करोड़ से अधिक का करा दिया गया। योगी के शहर गोरखपुर में 103 करोड़ की 223 विकास योजनाओं का शिलान्यास भी हो गया। लेकिन प्राधकिरण को सिर्फ 10 करोड़ रुपये मिले हैं।

नवजीवन
नवजीवन 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दिसंबर-जनवरी के दौरान चंद दिनों में ही 1.7 लाख करोड़ के लोकार्पण और शिलान्यास तो कर दिए लेकिन वाराणसी से लेकर गोरखपुर तक लोगों को काम शुरू होने का इंतजार तो है ही, अधूरे निर्माण की लंबी फेहरिस्त भी नजर आती है। अरबों के शिलान्यास के बाद अफसर बजट मांगने के लिए फाइलों के पेट भर रहे हैं।

प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के सुसुवाही की वीर नगर कॉलोनी में सड़क का शिलान्यास महीनों पहले हो गया लेकिन यह बनी अब तक नहीं। टूटी और कीचड़ से सनी सड़कों से गुजर रहे नागरिक सवाल करते हैं कि जब प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र का यह हाल है, बाकी का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।

मुख्यमंत्री योगी के शहर गोरखपुर की कहानी इससे जुदा नहीं है। चुनाव से ऐन पहले त्वरित विकास योजना से 103 करोड़ की 223 विकास योजनाओं का शिलान्यास योगी ने किया था। गोरखपुर विकास प्राधिकरण ने 27 कार्यों को छोड़कर सभी का वर्क ऑर्डर भी कर दिया। इन कार्यों के लिए प्राधिकरण को सिर्फ10 करोड़ रुपये मिले हैं। ठेकेदार चुनावी मौसम में काम को रफ्तार देने को तैयार नहीं है। उनका कहना हैं कि बैंकों से कर्ज या उधारी लेकर काम कराना खतरनाक है। सरकार बदली तो सारी पूंजी फंस जाएगी।

Published: undefined

यह भय यूं ही नहीं है। वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए त्वरित विकास योजना के लिए 2,000 करोड़ रुपये का आवंटन हुआ लेकिन शिलान्यास 10 हजार करोड़ से अधिक कार्यों का करा दिया गया। आगरा में शिलान्यास का पत्थर तो चमक रहा है लेकिन काम शुरू नहीं हुआ है। यहां हेमा पेट्रोल पंप के सामने मेयर नवीन जैन ने बारिश के बीच सड़क निर्माण का शिलान्यास किया। ग्रेनाइट पत्थर पर 15वें वित्त आयोग से दो करोड़ रुपये से बन रही सड़क का ब्योरा दर्ज हुआ, काम शुरू नहीं हुआ। यहां शिलान्यास के बाद दहतोरा से बोदला चौराहे के बीच दोनों साइड की सड़कें खोद कर छोड़ दी गई हैं। जो काम हो गए, उनका भुगतान नहीं हो रहा। ऐसे में, ठेकेदार बकाया भुगतान नहीं होने से नए काम शुरू करने से परहेज कर रहे हैं।

योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर में प्राधिकरण द्वारा बनाए गए 1500 पीएम आवास का कब्जा आवंटियों को दे दिया। लेकिन प्रदेश सरकार ने अपने हिस्से का 18 करोड़ अभी तक प्राधिकरण को नहीं दिया है। प्राधिकरण के एक अधिकारी कहते हैं कि बसपा के शासन काल में कांशीराम योजना के तहत बनने वाले आवासों के लिए एडवांस में 25 करोड़ रुपये मिल गए थे। लेकिन योगी सरकार इस मामले में फिसड्डी है।

Published: undefined

बीजेपी के नेता आरोप लगाते हैं कि समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पिछले चुनाव से ऐन पहले दिसंबर, 2016 में महज पांच घंटे में 60 हजार करोड़ की विकास योजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास कर डाला था। लेकिन वे यह नहीं देख रहे कि बीजेपी इससे काफी आगे निकल गई है। वित्तीय वर्ष 2021-22 में प्रदेश का बजट 5.5 लाख करोड़ रुपये है। इसके एक तिहाई हिस्से के बराबर की योजनाओं का लोकार्पण- शिलान्यास प्रधानमंत्री मोदी, केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी और योगी आदित्यनाथ ने ही कर डाला। इनमें से करीब 30 हजार करोड़ की विकास योजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास तो सिर्फ सीएम योगी ने ही किया। 40 जिलों में सीएम के भव्य कार्यक्रमों में ही सरकार ने करीब 100 करोड़ से अधिक की रकम खर्च कर दी।

सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने यूपी के 13 जिलों में 80 हाईवे का लोकार्पण और शिलान्यास किया। इन विकास योजनाओं पर 69,539 करोड़ रुपये से ज़्यादा की लागत आनी है। गोरखपुर से नेपाल बॉर्डर के सोनौली तक फोर लेन सड़क के लिए टेंडर पहले आमंत्रित किए गए लेकिन निर्माण के लिए 2,555 करोड़ रुपये के बजट का आवंटन बाद में हुआ। प्रधानमंत्री मोदी से इसका शिलान्यास कराने की तैयारी थी लेकिन ऐसा नहीं हो सका। वहीं मोदी ने दिसंबर में 72,234 करोड़ की विकास योजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया। मोदी के सात कार्यक्रमों में से 5 पूर्वांचल में हुए हैं। आदर्श ठेकेदार संघ के अध्यक्ष शरद कुमार सिंह का कहना है कि ‘बजट की उम्मीद में इस सरकार ने रिकॉर्ड तोड़ टेंडर निकाला है। समय से भुगतान नहीं होने से ठेकेदारों को काफी नुकसान हुआ है।’

Published: undefined

दिसंबर और जनवरी में मोदी ने जो लोकार्पण किए, उनका उपयोग सिर्फ सरकार को पता है। मसलन, 9,800 करोड़ की सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना किसानों को राहत देने के बजाए किसानों की फसलों को डुबो रही है। करीब 8,600 करोड़ रुपये की लागत से तैयार गोरखपुर के हिन्दुस्तान उवर्रक रसायन लिमिटेड का यूरिया प्लांट लोकार्पण के बाद अभी ट्रायल रन पर ही है। योगी के जिले के रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर (आरएमआरसी) को अब भी जर्मन और अमेरिकी मशीनों का इंतजार है। 2,329 करोड़ की लागत से तैयार नौ मेडिकल कॉलेजों में लोकार्पण के बाद अभी सिविल वर्क चल रहा है। गोरखपुर नगर निगम के नए भवन और रामगढ़ झील के पास वाटर स्पोर्ट्स काम्पलेक्स का कागजी लोकार्पण हो गया।

राजनीतिक विश्लेषक डॉ. आनंद पांडेय कहते हैं कि ‘लोकार्पण और शिलान्यास के बहाने चुनाव को लेकर माहौल बनता है। इसीलिए सरकारें इनकी झड़ी लगा देती हैं। लेकिन परिणाम बताते हैं कि जनता की नजरों से हकीकत को छुपाया नहीं जा सकता है।’ वहीं वरिष्ठ पत्रकार उत्कर्ष सिन्हा कहते हैं कि ‘2024 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए बीजेपी के साथ ही विपक्ष के लिए भी यूपी चुनाव ‘करो या मरो’ वाला है। मुलायम सिंह ने 2007 में बेरोजगारी भत्ता दिया था। अखिलेश ने लैपटॉप और कन्या विद्याधन दिया। योगी ने भी चुनाव से पहले खजाना खोल कैश ट्रांसफर किया। लेकिन जनता को अब लगता है कि सरकार किसी की भी हो, यह करना ही है। इसीलिए चुनाव के परिणाम घूस देने वाली सत्तारूढ़ पार्टी के मनमाफिक आए, यह जरूरी नहीं है।’

Published: undefined

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia

Published: undefined