हालात

पंजाब में पराली जलाने पर पाबंदी, किसानों को मिल रहा मुआवजा, हवा की गुणवत्ता सुधरी 

पंजाब में सरकारी मुआवजा नीति और मुकदमे दर्ज होने के बाद पराली जलाने का सिलसिला काफी हद तक थम गया है। पुलिस और पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने महज दो दिनों में खेतों में पराली जलाने के दोष में 1700 से ज्यादा अपराधिक मामले दर्ज किए हैं।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और आसपास के इलाकों की आबोहवा में प्रदूषण और पराली जनित जहरीले धुएं का जहर जानलेवा होने की हद तक बढ़ जाता है। दो दिन से थोड़ी राहत जरूर है। लेकिन हालत खराब होते देर नहीं लगती पंजाब में भी हालात बदतर हैं। बावजूद इसके सूबे के किसान, तमाम सरकारी पाबंदियों और सख्त अदालती आदेशों को सरेआम धत्ता बताकर बड़े पैमाने पर पराली फूंकते रहे। सरकारी मुआवजा नीति और मुकदमे दर्ज होने के बाद यह सिलसिला काफी हद तक थम गया है, लेकिन पूरी तरह से नहीं। समूचा राज्य पराली के खतरनाक धुंए की चपेट में आकर बेतहाशा हांफ रहा है। पुलिस और पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने महज दो दिनों में खेतों में पराली जलाने के दोष में 1700 से ज्यादा अपराधिक मामले दर्ज किए हैं। इस कवायद ने फिलहाल तो मुफीद असर दिखाया है और सुप्रीमकोर्ट की सख्ती ने भी। पराली जलाने वाले कई किसान अपने इस कदम को गैर वैकल्पिक बताकर जगह-जगह सरकारी कारगुजारी और अदालती आदेशों के खिलाफ धरना प्रदर्शन भी कर रहे हैं। उनकी एक प्रमुख मांग यह है कि गिरफ्तार किसानों को तत्काल रिहा किया जाए। कोर्ट के आदेश के बाद सरकार ने पराली ना जलाने के एवज में 2500 रुपए प्रति एकड़ मुआवजा राशि का प्रावधान किया है। इस तरह आर्थिक राहत देकर पराली जलाने की परंपरा रोकने की कोशिश पहली बार की गई है।

Published: undefined

जानकारी के मुताबिक पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पराली ना जलाने वाले छोटे और सीमांत किसानों को आर्थिक सहायता देनी शुरू कर दी है। 15 दिन की विदेश यात्रा पर जाने से पहले मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट का आदेश तुरंत लागू करने के लिए कृषि विभाग को निर्देश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पराली जलाने वाले किसानों पर कार्रवाई के लिए कहा है। इसके मद्देनजर मुख्यमंत्री ने भी पंजाब में पराली जलाने पर लगाई पाबंदी का उल्लंघन करने वाले किसानों पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। हालांकि कैप्टन का कहना है कि इस समस्या के स्थाई समाधान के लिए केंद्र सरकार को राज्य का सहयोग करना होगा, जो वह फिलहाल तक नहीं कर रही। मुख्यमंत्री मानते हैं कि व्यापक और सामूहिक रणनीति के बगैर इस अलामत से निजात संभव नहीं। जबकि हालात बेहद नासाज हैं।

Published: undefined

पराली के जलने से हवा में फैलते जहर के घातक नुकसान से बहुत सारे किसान भी बखूबी वाकिफ हैं। जालंधर जिले के लोहिया में एक पढ़े लिखे किसान ने अपने 6 एकड़ खेतों में धान के अवशेष (पराली) जलाए। उनके मुताबिक, "अब पंजाब में प्रवासी मजदूर आने कम हो गए हैं, नतीजतन किसान धान की फसल काटने के बाद पराली खेत में ही जलाना मुनासिब समझता है। पंजाब ही नहीं हरियाणा में भी यही हो रहा है।" वहींं पटियाला के कृषि शोधार्थी इकबाल सिंह ढिल्लों कहते हैं, "स्थिति इसलिए भी विकराल है क्योंकि किसानों को पराली ना जलाने के विकल्प और साधन ठीक से मुहैया नहीं हैंं। सरकार अकेले अपने दम पर सब दुरुस्त नहीं कर सकती और न ही सख्ती आखिरी हल है। इस गंभीर समस्या के लिए उद्योग जगत को भी आगे आना होगा ताकि पराली से उर्जा पैदा करने तथा उपयोगी निर्माण के लिए पुख्ता योजनाएं अमल में लाई जा सकेंं, तभी रास्ता निकलेगा। नहीं तो हर साल यही होगा और हवा में जहर की मात्रा खतरनाक हद तक बढ़ती जाएगी और पीढ़ियां दर पीढ़ियां इसका खामियाजा भुगतेंगीं।"

Published: undefined

इस बारे में समाजशास्त्री डॉक्टर विजय पाल शर्मा कहते हैं कि आज जो हालत दिल्ली और पंजाब के शहरों सहित अन्य क्षेत्रों की है, उसके लिए सिर्फ पंजाब की पराली का धुआंं ही जिम्मेदार नहीं है बल्कि बड़े-बड़े वाहनों की भीड़, एयर कंडीशनर और निर्माण तथा उद्योगों का प्रदूषण भी बराबर का जिम्मेदार है। पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, लुधियाना के डॉक्टर जसविंदर सिंह के अनुसार पराली का प्रदूषण अब भयंकर रूप अख्तियार करता जा रहा है और इससे निपटने के लिए केंद्रीय स्तर की बड़ी परियोजना की दरकार है। उनके मुताबिक वह दिन दूर नहीं जब यह बाकायदा महामारी की तरह चप्पे-चप्पे मे फैल जाएगा। उन्होंने कहा, "समय के साथ कृषि और पशुपालन के तौर-तरीकों में बुनियादी बदलाव आया है, जिसके चलते पराली व्यर्थ की चीज बन गई है। बहुत कम किसान वाकिफ या जागरूक हैं कि पराली की व्यर्थतता को कैसे सार्थकता में तब्दील किया जाए। दरअसल, पराली का अच्छा उपयोग हो सकता है पर इसके लिए किसानों को चेतन करना होगा और बड़े पैमाने पर उनकी स्कूलिंग-ट्रेनिंग भी।"

Published: undefined

राज्य कृषि विभाग के एक आला अधिकारी नाम नहीं छापने की शर्त पर कहते हैं कि, हम पराली के विकल्प तब जोर-शोर से प्रचारित करते हैं जब राष्ट्रीय राजधानी और दूसरे अशहरों में वायु प्रदूषण की मात्रा खतरनाक स्तर तक जा पहुंचती है, जैसे कि अब हो रहा है। वैसे, इसमें संदेह भी नहीं कि वायु प्रदूषण के लिए पराली जलाने वाले किसान ही नहीं शासन व्यवस्था के पैरोकार भी गुनाहगार हैं। वो तब जागते हैं जब सांस लेना एकदम दूभर हो जाता है।

Published: undefined

कुछ किसान पराली जलाने के दुष्प्रभावों से अच्छी तरह वाकिफ हैं। वो पराली का इस्तेमाल किसी और काम में कर रहे हैं। पटियाला जिले के गांव बिशनपुर छन्ना के 20 एकड़ जमीन के मालिक किसान राजमोहन सिंह कालेका ने बीते दो दशक से कभी पराली को आग नहीं लगाई और उसका इस्तेमाल पशु चारा बनाने में किया। इसी तरह धर्मगढ़ के किसान बलबीर सिंह जड़िया ने पराली से पशुओं की खुराक बनाई और एमोनिया ट्रीटमेंट तैयार किया। यह दोनों किसान पंजाब सरकार और कृषि विश्वविद्यालय से सम्मानित हो चुके हैं। हालांकि ऐसे जागरूक किसानों की तादाद फिलहाल कम है।

Published: undefined

बता दें कि इस साल अब तक सूबे में पराली जलाने की 42,994 घटनाएं हुईं जो बीते साल के मुकाबले बहुत ज्यादा हैंं। पराली जलाने से फैला प्रदूषण पंजाब को भी बेजार किए हुए है। इससे पैदा हुई बीमारियों के मरीजों का सरकारी, गैरसरकारी अस्पतालों में तांता लगा हुआ है। जालंधर, लुधियाना, नवांशहर में एच यू आई 300, बठिंडा, मानसा, फरीदकोट में 296, पटियाला में 289, अमृतसर में 283 है, जो कि काफी खतरनाक है। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने वायु प्रदूषण रोकने के लिए मुख्य सचिवों को 29 नवंबर को पेश होकर प्रदूषण रोकने के कदमों की जानकारी देने को कहा है। उसके पिछले आदेश को लागू करने की रिपोर्ट 25 नवंबर तक देनी है। नामचीन कृषि विशेषज्ञ डॉक्टर दविंदर शर्मा का कहना है, "सरकार को मुआवजा देने के साथ-साथ और ज्यादा सख्त कदम उठाने चाहिएंं। जिन किसानों ने पराली नहीं जलाई, उन्हें तो इनाम के तौर पर मुआवजा और शाबाशी मिल जाएगी लेकिन जिन्होंने जलाई है, उन्हें सजा जरूर मिलनी चाहिए । निश्चित रूप से पराली ना जलाने वालों को प्रोत्साहित करना चाहिए, लेकिन जिन्होंने गलती की है, उन्हें भी एहसास दिलवाया जाना चाहिए कि वह ऐसी गलती दोबारा ना करें।

Published: undefined

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia

Published: undefined