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भीमा कोरेगांव मामला: गौतम नवलखा की नजरबंदी खत्म, ट्रांजिट रिमांड पर दिल्ली हाई कोर्ट की रोक

दिल्ली हाई कोर्ट ने भीमा-कोरेगांव मामले में गिरफ्तार किए गए पांच कार्यकर्ताओं में शामिल गौतम नवलखा को नजरबंदी से सोमवार को मुक्त कर दिया। इसके अलावा कोर्ट ने नवलखा की ट्रांजिट रिमांड संबंधी निचली अदालत के फैसले को खारिज कर दिया।

फोटो: सोशल मीडिया 
फोटो: सोशल मीडिया  भीमा कोरेगांव मामले में गौतम नवलखा की नजरबंदी खत्म

दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को भीम कोरेगांव मामले में नजरबंद सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा की नजरबंदी खत्म कर दी। इसके साथ गौतम नवलखा की ट्रांजिट रिमांड संबंधी निचली अदालत के फैसले को दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया। दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा की नजरबंदी का कानून के मुताबिक कोई औचित्य नहीं है, इसलिए उन्हें आजाद किया गया है।

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अपने फैसले में जस्टिस मुरलीधर ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने संविधान और अपराध प्रक्रिया संहिता प्रावधानों का उल्लंघन किया है। पिछले 29 अगस्त को सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने कहा था कि गिरफ्तारी का मेमो मराठी भाषा में था तो कोई व्यक्ति अपनी गिरफ्तारी की वजह कैसे जान सकता है। जस्टिस मुरलीधर ने एएसजी अमन लेखी से पूछा था कि अब तक सभी संबंधित दस्तावेजों का अनुवाद क्यों नहीं हुआ।

इसके पहले साकेत कोर्ट ने पुणे पुलिस को नवलखा को साथ ले जाने की मंजूरी दे दी थी। हालांकि बाद में दिल्ली हाई कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी। बता दें कि दिल्ली हाई कोर्ट का आदेश सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के बाद आया है जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने गौतम नवलखा के अलावा मानवाधिकार कार्यकर्ताओं वरवर राव, वरनन गोंजालविस, अरुण फरेरा और सुधा भारद्वाज की नजरबंदी चार हफ्तों के लिए बढ़ाई थी। ये सभी पिछले 29 अगस्त से अपने घरों में नजरबंद है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में एसआईटी जांच का आदेश देने से भी इनकार कर दिया था।

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भीमा कोरेगांव हिंसा की साजिश रचने और नक्सलवादियों से संबंध रखने के आरोप में पुणे पुलिस ने बीते 28 अगस्त को देश के अलग-अलग हिस्सों से गौतम नवलखा, वरवर राव, सुधा भारद्वाज, अरुण फरेरा और वरनन गोंजालवेस को गिरफ्तार किया था। इसके बाद 29 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने इन गिरफ्तारियों और ट्रांजिट रिमांड पर रोक लगा दी और हिरासत में लिए गए सभी मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को अपने ही घर में नजरबंद रखने के लिए कहा था।

महाराष्ट्र पुलिस ने पिछले साल 31 दिसंबर को हुए एलगार परिषद सम्मेलन के बाद दर्ज की गई एक एफआईआर के सिलसिले में 28 अगस्त को इन कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था।

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