
‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) और ‘बिहार इलेक्शन वॉच’ के विश्लेषण के अनुसार बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में जीते 243 विधायकों में से 53 प्रतिशत यानी 130 के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। वहीं 90 फीसदी विधायक करोड़पति हैं, जबकि सिर्फ 12 प्रतिशत महिलाएं चुनाव जीती हैं।
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इन दोनों सस्थानों ने विधानसभा चुनाव के 243 विजेता उम्मीदवारों के शपथ-पत्रों का विश्लेषण किया है। एडीआर के अनुसार, 2020 के विधानसभा चुनाव में 241 में से 163 यानी 68 प्रतिशत विधायकों ने आपराधिक मामले घोषित किए थे। रिपोर्ट के मुताबिक, इस बार 102 (42 प्रतिशत) विधायकों ने गंभीर आपराधिक मामले घोषित किए हैं, जबकि 2020 में यह संख्या 123 (51 प्रतिशत) थी। छह के खिलाफ हत्या से संबंधित मामले दर्ज हैं, जबकि 19 विधायकों पर हत्या के प्रयास से जुड़े मामले हैं।
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इसके अनुसार महिलाओं के खिलाफ अत्याचार के नौ मामले भी विजेताओं ने अपने हलफनामों में घोषित किए हैं। एडीआर के विश्लेषण के अनुसार बीजेपी के 89 विजेताओं में 43 (48 प्रतिशत), जेडीयू के 85 में 23 (27 प्रतिशत), आरजेडी के 25 में 14 (56 प्रतिशत), एलजेपी के 19 में 10 (53 प्रतिशत), कांग्रेस के छह में तीन (50 प्रतिशत), एआईएमआईएम के पांच में चार (80 प्रतिशत), राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) के चार में एक (25 प्रतिशत), सीपीआई (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन के दो में एक (50 प्रतिशत), सीपीएम के एकमात्र विजेता, इंडियन इन्क्लूसिव पार्टी के एक विजेता और बीएसपी के एक विजेता ने गंभीर आपराधिक मामले घोषित किए हैं।
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रिपोर्ट के अनुसार, इस बार जीते 90 प्रतिशत विधायक करोड़पति हैं और उनकी औसत घोषित संपत्ति 9.02 करोड़ रुपये है। शिक्षा के स्तर पर, 35 प्रतिशत विजेताओं ने अपनी योग्यता पांचवीं से बारहवीं तक बताई है, जबकि 60 प्रतिशत स्नातक या इससे अधिक शिक्षित हैं। पांच विजेताओं ने डिप्लोमा और सात ने स्वयं को साक्षर बताया है।
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वहीं, आयु वर्ग के अनुसार, 25 से 40 वर्ष आयु के 38 विजेता (16 प्रतिशत), 41 से 60 आयु के 143 विजेता (59 प्रतिशत), 61 से 80 आयु के 62 विजेता (26 प्रतिशत) हैं। राज्य की 243 सदस्यीय विधानसभा में इस बार केवल 29 (12 प्रतिशत) महिला उम्मीदवार विजयी हुई हैं, जबकि पिछले विधानसभा में यह संख्या 11 प्रतिशत थी।
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