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राकेश अस्थाना की नियुक्ति पर कांग्रेस ने उठाए सवाल, कहा- ऐसा कौन सा राज है उनके पास जो बनाया दिल्ली का कमिश्नर

दिल्ली के पुलिस कमिश्नर पद पर राकेश अस्थाना की नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों को खुला उल्लंघन है। साथ ही यूपीएससी के नियमों की भी अवहेलना है। यह बात आज कांग्रेस ने दिल्ली में एक प्रेस कांफ्रेंस में कही।

फोटो : सोशल मीडिया
फोटो : सोशल मीडिया 

कांग्रेस ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर के पद पर गुजरात कैडर के आईपीएस अफसर राकेश अस्थाना की नियुक्ति पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस ने कहा है कि मोदी सरकार ने अस्थाना की नियुक्ति में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश और यूपीएससी के नियमों की धज्जियां उड़ाई हैं। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि, “jeकेश अस्थाना की नियुक्ति चर्चा में हैं और विवादास्पद और चर्चित इसलिए भी हैं कि नरेन्द्र मोदी जी जहाँ-जहाँ जाते हैं, इनको अपने साथ ऐसी जगहों पर जरुर रखना चाहते हैं, जहाँ वो एक-दूसरे का ध्यान रख सकें। इंग्लिश में जिसको कहते हैं blue - eyed boy अब चार दिन उनके बचे थे रिटायरमेंट के।“

उन्होंने कहा कि कल रात को गृह मंत्रालय ने आदेश निकाला और उनको एक साल का एक्सटेंशन दे दिया और साथ ही में दिल्ली पुलिस का कमिश्नर बना दिया। पवन खेड़ा ने कहा कि जो आदेश निकला गृह मंत्रालय का, उसमें है ‘एज ए स्पेशल पब्लिक इंटरेस्ट’... खेड़ा ने सवाल उठाया कि यह कौन सी पब्लिक है जिसका इंट्रस्ट है, ये हम सरकार से जानना चाहते हैं?

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पवन खेड़ा ने कहा कि जो अफसर सिर्फ 4 दिन में रिटायर होने वाला हो उसे सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के मुताबिक डीजीपी या समकक्ष पद पर नियुक्त नहीं किया जा सकता। उन्होंने प्रकाश सिंह बनाम यूनियन ऑफ इंडिया केस की याद दिलाते हुए कहा कि उस केस में सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा था कि किसी भी अफसर को रिटायरमेंट से 6 महीने पहले तक डीजीपी या समकक्ष पद पर नियुक्त नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि इसके अलावा सरकार ने अस्थाना की नियुक्तिके लिए यूपीएससी की भी कोई अनुमति नहीं ली है।

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि, “राकेश अस्थाना जब सीबीआई में थे, इन पर इनके आपस में अफसरों की लड़ाई हुई। इन पर लगभग 6 क्रिमिनल केस दर्ज हुए। आलोक वर्मा जी को जब सीबीआई से चलता किया गया, अक्टूबर, 2018 में, उसके 10 दिन बाद आरटीआई के जवाब में मालूम पड़ा कि अब सिर्फ एक केस बचा है अस्थाना जी के लिए। भारत में सिविल सेवाएं जो होती हैं, वो अलग-अलग राज्यों की, वो कैडर होते हैं।“

उन्होंने एडीएमयूटी कैडर का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम एंड यूनियन टेरिटरी के अफसरों को आम तौर पर पुलिस कमिश्नर बनाया जाता है, लेकिन मोदी सरकार ने गुजरात कैडर के अफसर को कमिश्नर बनाया है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या मोदी सरकार एजीएमयूटी कैडर के अफसरों को नाकारा समझती है।

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पवन खेड़ा ने पूछा कि आखिर यह सरकार इस किस्म के आदेश रात में ही क्यों जारी करतीहै। उन्होंने कहा कि, “अचानक नोटिफिकेशन आती है रात को। ये सरकार सारे इस तरह के काम रात के 8 बजे के आस-पास करती है। आपको ना यूपीएससी का सम्मान है आपकी नजरों में, ना किसी और इंस्टीट्यूशन का, संस्था का सम्मान है, माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का भी आप अपमान कर रहे हैं। ऐसी आपकी क्या मजबूरी है, क्या डर है, क्या घबराहट है अस्थाना जी से आपको कि आपको उनको तुरंत एडजस्ट करना है? कारण क्या है? आपने पहले उन्हें सीबीआई में रखा, कोशिश की सीबीआई डायरेक्टर बनाने की, नहीं बना पाए। फिर उनको आपने सिविल एविएशन में भेज दिया, बीएसएफ में भेज दिया। फिर से कोशिश की सीबीआई डायरेक्टर बनाने की, फिर सुप्रीम कोर्ट ने आपको याद दिलाया। अब आपने कोई और तिकडम लगाकर आपने उनको पुलिस आयुक्त बना दिया, वो भी दिल्ली, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली।“

उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस साहब, जस्टिस रमन्ना ने वाईसी मोदी और राकेश अस्थाना, दोनों के विषय में प्रधानमंत्री को याद दिलाया था कि प्रकाश सिंह जजमेंट को देखो, 2019 की ये जजमेंट है, ज्यादा पुरानी नहीं है, डेढ़-दो साल पुरानी जजमेंट है। दोनों अफसरों का 6 महीने से कम समय बचा है, इसलिए सीबीआई डायरेक्टर भी उनको नहीं बनाया जा सकता है। गया। ऐसे अफसर को आप फिर पिछले दरवाजे से लाकर दिल्ली पर थोप रहे हैं क्यों? उन्होंने कहा कि आखिर अस्थाना के पास सरकार के ऐसे कौन से राज हैं जिसके लिए सारे नियम ताक पर रखे जा रहे हैं।

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पवन खेड़ा ने कहा कि मोदी सरकार ऐसी गलती पहली बार नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि, “जो व्यक्ति राफेल के जमाने में वित्त सचिव था, उसको आपने सीएजी बना दिया, राजीव महर्षि जी को। इन अफसरों के खिलाफ हमें कुछ कहने की जरुरत नहीं है। कोई हमारा उनसे ना निजी संबंध किसी से रखते हैं, ना किसी से दुश्मनी है। लेकिन सिस्टम की बात हो रही है। जो व्यक्ति राफेल की पुरानी डील और नई डील को जब आप चेंज कर रहे थे, उस वक्त वित्त सचिव था, उसको आपने सीएजी बनाया और सीएजी ने क्या किया, सीएजी ने राफेल में इंडियन नेगोशिएटिंग टीम का डिसेंट नोट रिकॉर्ड पर लिया ही नहीं। ये होता है क्विड प्रो कुओ”

पवन खेड़ा ने कहा कि, “जिस व्यक्ति की सीबीआई डायरेक्टर की पोस्ट रिजेक्ट हो गई, क्योंकि 6 महीने नहीं थे रिटायरमेंट में, उस व्यक्ति को, सेम नियम है, सब कुछ सेम है, फिर आपने बना दिया पुलिस आयुक्त दिल्ली। हम फिर जानना चाहते हैं कि सरकार को नियम, कानून से इतनी दुश्मनी क्यों है, इतना बैर क्यों है? सुप्रीम कोर्ट की इतनी अवमानना क्यों करती है ये सरकार? नियम, कानून नहीं फॉलो करने, यूपीएससी को नहीं देखना, सुप्रीम कोर्ट को नहीं देखना। मोदी जी आप इतना डरते क्यों है? हमें तो अब भरोसा हो गया है कि मोदी जी कुछ अफसरों से डरते हैं और उन्हीं अफसरों को सब जगह बैठा देते हैं।

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