भारत में कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ जंग में एक और हथियार जल्द जुड़ने जा रहा है। देश को जल्द ही चौथी वैक्सीन मिलने वाली है। भारत के औषधि महियंत्रक ने मंगलवार को अमेरिकी कंपनी मॉडर्ना की कोरोना वैक्सीन के भारत में आपात इस्तेमाल की मंजूरी दे दी। साथ ही इस वैक्सीन को भारत में आयात करने के लिए सिप्ला कंपनी को इजाजत दी गई है। हालांकि, खबर है कि सिप्ला को देश में 100 लोगों पर मॉडर्ना के ब्रिज ट्रायल की शर्त को पूरा करना होगा।
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अमेरिकी कंपनी की मॉडर्ना वैक्सीन पहली ऐसी इंटरनेशनल वैक्सीन है, जो पूरी तरह तैयार होकर विदेश से भारत आएगी। इसीलिए मॉडर्ना को भारत में पहली इंटरनेशनल वैक्सीन भी कहा जा रहा है। इससे पहले देश में कोवीशील्ड, कोवैक्सिन और स्पुतनिक-V को भी मंजूरी मिल चुकी है, जिनमें से कोवीशील्ड और स्पुतनिक-V हैं तो विदेशी वैक्सीन पर उनका निर्माण भारत में साझेदारी के तहत हो रहा है। वहीं मॉडर्ना भारत में सीधे इंपोर्ट होगी। देश में इसका निर्माण नहीं होगा।
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बता दें कि मॉडर्ना और फाइजर ने भारत सरकार से आपात इस्तेमाल की मंजूरी के लिए लोकल ट्रायल की बाध्यता को खत्म करने की अपील की थी। दरअसल किसी विदेशी वैक्सीन को भारत में मंजूरी लेने के लिए पहले 1500-1600 लोगों पर ट्रायल करना होने की शर्त थी। लेकिन 15 अप्रैल को सरकार ने इस पॉलिसी में बदलाव कर इसे 100 लोगों तक सीमित कर दिया था। अब सिप्ला को 100 लोगों पर ब्रिज ट्रायल की शर्त के साथ मॉडर्ना वैक्सीन के आयात की इजाजत मिल गई है।
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खास बात ये है कि मॉडर्ना ने ये शर्त रखी थी कि उन्हें भारत में इन्डेम्निटी मिलेगी तभी वे वैक्सीन भारत भेजेंगे। बता दें कि यह इन्डेम्निटी वैक्सीन कंपनियों को सब तरह की कानूनी जवाबदेही से मुक्त रखती है। अगर भविष्य में वैक्सीन की वजह से किसी तरह की गड़बड़ी हुई तो इन कंपनियों से उसका मुआवजा नहीं मांगा जा सकता और उन पर कार्रवाई भी नहीं हो सकती है। हालांकि यह साफ नहीं हो पाया है कि मॉडर्ना को इन्डेम्निटी मिली है या नहीं।
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