हालात

हवा में बारूद : विवाद के बावजूद कर्नाटक में आर्म्स ट्रेनिंग के बाद उत्तराखंड में बजरंग दल का शिविर

कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ (मंगलोर) जिले में बजरंग दल द्वारा शिविर लगाकर युवाओं को आर्म्स ट्रेनिंग पर विवाद जारी ही है, इसी बीच उत्तराखंड में 22 मई से इस किस्म के आयोजन को अंतिम रूप दिया जा रहा है।

फोटो : सोशल मीडिया
फोटो : सोशल मीडिया 

कोर्ट की टिप्पणियों और सामाजिक आलोचना के बावजूद जिस तरह मंदिर-मस्जिद विवादों को रोजाना ही जगह-जगह बढ़ाया जा रहा है, उसी तरह हिन्दुत्ववादी संगठन प्रशिक्षण शिविरों के नाम पर आर्म्स ट्रेनिंग कैम्प करने से बाज नहीं आ रहे। अभी तो कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ (मंगलोर) जिले में बजरंग दल शिविर पर विवाद जारी ही है, उत्तराखंड में 22 मई से इस किस्म के आयोजन को अंतिम रूप दिया जा रहा है।

पहले बात कर्नाटक की। यहां बजरंग दल शिविर में प्रशिक्षण के लिए एयर राइफलों का उपयोग किया गया। इनकी कीमत 5,000 से 30,000 रुपये के बीच होती है। जब कथित इस्लामी आतंकियों के स्लीपर सेल हैदराबाद में इसका उपयोग टारगेट प्रैक्टिस करते पाए गए थे, तब 2016 में ये शस्त्र कानून के तहत प्रतिबंधित श्रेणी में डाल दिए गए थे। विराजपेट डीएसपी निरंजन राज उर्स बताते हैं कि ऐसे एयर राइफलों के लिए ‘लाइसेंस की जरूरत होती है जिनकी बंदूक के सिरे की ऊर्जा 20 जूल (ऐसी ऊर्जा जो किसी बंदूक के बैरल से निकलने के बाद पैदा होती है) से अधिक होती है और उनके उपयोग के लिए अनुमति की जरूरत होती है।’

Published: undefined

इस शिविर की तस्वीरें सोशल मीडिया में वायरल होने और इस बारे में शिकायत दर्ज किए जाने के बाद भी कहीं कोई कार्रवाई होती तो नजर नहीं आ रही है। 5 मई को यह शिविर आरंभ हुआ और 19 मई को सार्वजनिक सभा- हिन्दू समाजोरसावा के साथ इसका समापन हुआ।

कर्नाटक में अगले साल विधानसभा चुनाव हैं। यहां हाल के महीनों में कई विवाद बारी-बारी से हुए हैं- पहले हिजाब, फिर हलाल, उसके बाद मुस्लिम व्यापारियों का आर्थिक बहिष्कार, अजान। शिविर पर विवाद होने पर बीजेपी के कर्नाटक अध्यक्ष एन के कतील और बजरंग दल ने इस ‘प्रशिक्षण’ शिविर के पक्ष में कई तर्क दिए। जिस स्कूल- साई शंकर एजुकेशनल इंस्टीट्यूट में इसका आयोजन किया गया, उसने कहा कि यह सांस्कृतिक आयोजन था इसलिए उसे अनुमति देना उचित है। विश्व हिन्दू परिषद के जिला अध्यक्ष पी कृष्णमूर्ति ने इसे व्यक्तित्व विकास शिविर बताते हुए दावा किया कि बजरंग दल के गठन के बाद 1984 से ही इस तरह का वार्षिक आयोजन होता रहा है।

Published: undefined

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) ने इस शिविर के आयोजन के खिलाफ पुलिस में शिकायत की है। स्टूडेन्ट्स डिमॉक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया ने कहा है कि क्या बिना अनुमति उसे भी इस किस्म के आयोजन की छूट दी जाएगी? दरअसल, पुलिस यह तो नहीं कह रही कि उसने इसकी अनुमति दी है लेकिन शिविर के अंतिम दिन उसने जुलूस और सार्वजनिक समारोह के लिए सुरक्षा-व्यवस्था मुहैया कराई थी।

चूंकि बीजेपी की सत्ता कई राज्यों में है इसलिए इस किस्म के देशव्यापी विरोध के बावजूद बजरंग दल आगामी 22 मई से हल्द्वानी में भी एक सप्ताह का ‘शौर्य प्रशिक्षण वर्ग’ शिविर का आयोजन करने जा रहा है। इसमें भी युवाओं को आत्मरक्षा के नाम पर लाठी-डंडों और तलवार आदि का प्रशिक्षण दिया जाएगा।

बजरंग दल के प्रदेश संगठन मंत्री अमित जी के अनुसार, केन्द्रीय नेतृत्व के निर्देशानुसार 29 मई तक चलने वाले इस शिविर में 22 से लेकर 35 साल की उम्र के युवा शामिल होंगे। शिविर में विहिप की अनुशांगिक शाखा- दुर्गा वाहिनी की युवा सदस्य आत्मरक्षा के गुर सीखेंगी। इस शिविर को प्रशासन की अनुमति के बारे में पूछे जाने पर अमित जी ने अनभिज्ञता प्रकट करते हुए कहा कि इसकी जानकारी संगठन की स्थानीय शाखा को होगी।

Published: undefined

इस बारे में पूछने पर नैनीताल के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक पंकज भट्ट का कहना था कि पुलिस की जानकारी में बजरंग दल द्वारा हल्द्वानी से लगभग 25 किलोमीटर दूर कालाढुंगी में ऐसा कोई कैंप आयोजित करने की जानकारी तो है, मगर उन्हें पता नहीं कि उन्हें इसकी अनुमति मिली या नहीं क्योंकि अनुमति एसडीएम कालाढुंगी द्वारा दी जानी है। कालाढुंगी एसडीएम सुश्री रेखा कोहली ने पूछने पर बताया कि अब तक उनसे कोई अनुमति नहीं ली गई है। इन पंक्तियों के लिखे जाने तक इसकी अनुमति नहीं ली गई थी।

बजरंग दल के एक वरिष्ठ कार्यकर्ता के अनुसार, कोरोना के कारण पूरे दो साल बाद उत्तराखंड में इस तरह का प्रशिक्षण आयोजित किया जा रहा है। इससे पहले देवबंद में शिविर के आयोजन का प्रयास किया गया, मगर प्रशासन ने अनुमति नहीं दी। शिविर की शुरुआत ‘वीर बजरंगे-हर हर महादेव’ के जयकारे के साथ शुरू होगी। वैसे, इस कार्यकर्ता ने बताया कि युवाओं को आत्मरक्षा के गुर मार्शल आर्ट विशेषज्ञ सिखाएंगे। उन्होंने बातचीत के दौरान स्वीकार किया कि पहले कुछ लोग अपने लाइसेंसी हथियारों का उपयोग भी निशानेबाजी सीखने-सिखाने के लिए करते रहे हैं।

Published: undefined

मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी की राज्य कमेटी के सदस्य अनंत आकाश कहते हैं कि दंगों को लेकर बजरंग दल का जिस तरह का इतिहास रहा है, उसमें इस तरह का आयोजन चिंताजनक है। समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. एन.एन. सचान के अनुसार, बजरंग दल पंजीकृत संगठन नहीं है, लिहाजा इस तरह का आयोजन गलत तो ही है, उस पर प्रतिबंध भी लगना चाहिए। प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष सूर्यकान्त धसमाना भी कहते हैं कि हाल ही दिल्ली के जहांगीरपुरी में उत्पात में बजरंग दल का हाथ साफ तौर पर सामने आया और अब ये लोग देवभूमि उत्तराखंड को अशांत करना चाहते हैं। अगर उनके इरादे हिंसक नहीं तो फिर लाठी-डंडों और तलवारों की ट्रेनिंग क्यों?

Published: undefined

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia

Published: undefined