हालात

हंगामे की भेंट चढ़ा संसद का पूरा बजट सत्र, लोकसभा में 34.85%, तो राज्यसभा में सिर्फ 24.4% काम हुआ

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने मोदी सरकार को जिम्मेदार बताते हुए कहा कि सत्तारूढ़ बीजेपी के सांसदों ने ही सदन में विघ्न डालने का काम किया और संसद को नहीं चलने दिया। वहीं सरकार की तरफ से पलटवार करते विपक्ष पर आरोप लगाया गया है।

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया 

अडानी समेत विभिन्न मामलों पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच जारी घमासान के कारण संसद का बजट सत्र पूरी तरह से हंगामें की भेंट चढ़ गया। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने संसद नहीं चलने के लिए मोदी सरकार को जिम्मेदार बताते हुए कहा कि सत्तारूढ़ बीजेपी के सांसदों ने ही सदन में विघ्न डालने का काम किया और संसद को नहीं चलने दिया। वहीं सरकार की तरफ से पलटवार करते हुए केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने आरोप लगाया कि कांग्रेस और उनके साथियों ने सदन को चलने नहीं दिया। उन्होंने काले कपड़े पहनकर सदन में आने को संसद का अपमान बताते हुए कहा कि यह देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण अवस्था है। एक कांग्रेस नेता राहुल गांधी के लिए कांग्रेस पार्टी और उसके साथियों ने जो किया है वो देश देख रहा है।

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संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो जाने के बाद सरकार की तरफ से सत्र में हुए कामकाज की जानकारी देने के लिए सामने आए संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने सदन नहीं चलने देने के लिए विपक्षी दलों को जिम्मेदार बताते हुए आरोप लगाया कि असली मुद्दा अडानी नहीं बल्कि कुछ और है। वे चाहते हैं कि राहुल गांधी के लिए अलग कानून बने। खड़गे के आरोप को पूरी तरह से खारिज करते हुए मेघवाल ने यह भी कहा कि बजट पर चर्चा के लिए सत्ता पक्ष अपनी मांग से पीछे हटने को तैयार था लेकिन विपक्ष अपनी मांग से पीछे हटकर चर्चा के लिए तैयार नहीं हुआ।

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सरकार और विपक्ष के आरोप-प्रत्यारोप के बीच सच्चाई यही है कि हंगामे के कारण, संसद के बजट जैसे महत्वपूर्ण सत्र के दौरान भी सुचारू ढंग से कामकाज नहीं हो पाया। पूरे बजट सत्र के दौरान, लोक सभा में जहां सिर्फ 34.85 प्रतिशत ही कामकाज हो पाया, वहीं उच्च सदन राज्य सभा में तो हालात इससे भी बुरे रहे। बजट सत्र के दौरान, राज्य सभा की उत्पादकता सिर्फ 24.4 प्रतिशत ही रही। राज्य सभा में हंगामे के कारण 103 घंटे और 30 मिनट का समय बर्बाद हुआ।

सत्र के दौरान, लोक सभा में वित्त विधेयक, 2023 सहित कुल 6 विधेयक पारित हुए वहीं राज्य सभा में भी वित्त विधेयक, 2023 सहित कुल 6 विधेयकों को पारित किया गया या लौटाया गया। संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित किए गए या लौटाए गए विधेयकों की कुल संख्या भी 6 ही है। सत्र के दौरान, लोक सभा में कुल 8 विधेयक को पुर्न:स्थापित किया गया।

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बता दें कि, संसद के बजट सत्र की शुरूआत 31 जनवरी, 2023 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में दिए गए अभिभाषण से शुरू हुई थी। बजट सत्र का पहला चरण 13 फरवरी तक चला था। एक महीने के अवकाश के बाद बजट सत्र का दूसरा चरण 13 मार्च को शुरू हुआ। जिसका समापन आज 6 अप्रैल को हो गया। गुरुवार को संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया।

बजट सत्र के पहले भाग के दौरान लोक सभा और राज्य सभा की कुल 10 बैठक हुई। सत्र के दूसरे भाग के दौरान, दोनों सदनों की 15 बैठकें हुई। पूरे बजट सत्र के दौरान, कुल मिलाकर 25 बैठकें हुई। सरकार के मुताबिक, राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर लोक सभा में 13 घंटे 44 मिनट और राज्य सभा में 12 घंटे 42 मिनट चर्चा हुई। चर्चा के दौरान, लोक सभा में 143 सांसदों और राज्य सभा में 48 सांसदों ने अपनी-अपनी बात रखी।

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वहीं वर्ष 2023-24 के केंद्रीय बजट पर दोनों सदनों में सत्र के पहले भाग के दौरान सामान्य चर्चा हुई। बजट पर लोक सभा में 14 घंटे 45 मिनट की सामान्य चर्चा हुई जिसमें 145 सांसदों ने भाग लिया। वहीं राज्य सभा में इसके लिए आवंटित 12 घंटे के स्थान पर सिर्फ 2 घंटे 21 मिनट ही चर्चा हो पाई, जिसमें सिर्फ 12 सांसद ही शामिल हो पाए। हंगामे और नारेबाजी के बीच ही संसद के सदनों में संपूर्ण वित्तीय कार्य 31 मार्च, 2023 से पहले पूरा कर लिया गया था।

वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 में संशोधन करने के लिए वन (संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2023 को लोक सभा में पुर:स्थापन करने के बाद दोनों सदनों में प्रस्ताव स्वीकृत होने पर संसद के दोनों सदनों की संयुक्त समिति के पास भेजा गया। वहीं भारत में प्रतिस्पर्धा विनियमन को सु²ढ़ करने का उपबंध करने वाले प्रतिस्पर्धा (संशोधन) विधेयक, 2023 को भी इस सत्र के दौरान संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित किया गया।

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