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गणतंत्र दिवस से पहले किसानों ने दिखाया ‘ट्रेलर’, कृषि कानूनों के खिलाफ पेरीफेरल एक्सप्रेसवे पर ट्रैक्टर मार्च

सरकार द्वारा लाये गये तीन नये कृषि कानूनों की वापसी की मांग पर किसान अड़े हुए है। हर दिन किसान संगठनो द्वारा आंदोलन को तेज किया जा रहा है। इसी क्रम में ट्रैक्टर मार्च भी एक नया कदम है। इससे पहले ये मार्च बुधवार को निकाला जाने वाला था।

फोटो: विपिन
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राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर पिछले 43 दिन से किसानों का प्रदर्शन जारी है। किसान गुरुवार को ट्रैक्टर मार्च निकाल रहे हैं। किसान संगठनो का कहना है कि ये मार्च 26 जनवरी को होने वाले ट्रैक्टर परेड की रिहर्सल है। दरअसल सरकार द्वारा लाये गये तीन नये कृषि कानूनों की वापसी की मांग पर किसान अड़े हुए है। हर दिन किसान संगठनो द्वारा आंदोलन को तेज किया जा रहा है। इसी क्रम में ट्रैक्टर मार्च भी एक नया कदम है। इससे पहले ये मार्च बुधवार को निकाला जाने वाला था।

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संयुक्त किसान मोर्चा के तत्वाधान में गाजीपुर बॉर्डर से पलवल तक किसान ट्रैक्टर मार्च निकाल रहे हैं। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने आईएएनएस को बताया, ये सरकार के खिलाफ किसान भाइयों का गुस्सा है, सरकार को किसानों की बात सुननी चाहिए। ट्रैक्टर मार्च निकाला जा रहा है। ये तो सरकार को सोचना है कि कितनी जल्दी बात खत्म कर सकते हैं। हम तो बस कानून वापस लेने की मांग कर रहे हैं।

हालांकि इस मार्च को देखते हुए पुलिस प्रशासन की तरफ से एडवाइजरी भी जारी की गई है। ताकि आम लोगों को किसी तरह की कोई परेशानी न हो। पुलिस प्रशासन ने कहा, यह ट्रैक्टर यात्रा ईस्टर्न पेरीफेरल रोड पर दुहाई, डासना, बील अकबरपुर, सिरसा होते हुए पलवल तक जाएगी और वहां से वापस आएगी।

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इस दौरान बील अकबरपुर और सिरसा कट से पलवल की तरफ जाने वाले वाहन 12 बजे दिन से सायं 3 बजे तक पेरीफेरल रोड पर नहीं जा पाएंगे, इनको डाइवर्ट किया जाएगा।

इसी प्रकार सिरसा कट और बील अकबरपुर से सोनीपत की तरफ जाने वाले वाहन 2 बजे से 5 बजे तक पेरीफेरल रोड पर नहीं जा पाएंगे, उन्हें डाइवर्ट किया जाएगा।

बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा लागू कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीद की कानूनी गारंटी देने की मांग को लेकर किसान 26 नवंबर 2020 से दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं।

इस मसले के समाधान के लिए किसानों की सरकार के साथ सातवें दौर की वार्ता सोमवार को बेनतीजा रहने के बाद अब अगले दौर की वार्ता आठ जनवरी को तय की गई है।

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