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उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में गंगा का जलस्तर बढ़ा, श्रद्धालुओं और नाविकों की बढ़ीं मुश्किलें

दशाश्वमेध घाट पर पूजा-पाठ कराने वाले तीर्थ पुरोहित भी इस स्थिति से परेशान हैं। पुरोहित प्रीतम कुमार मिश्रा ने बताया कि बढ़ते जलस्तर के कारण घाटों पर पूजा-पाठ कराना मुश्किल हो गया है।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

उत्तराखंड में लगातार हो रही बारिश और बांधों से पानी छोड़े जाने के कारण प्रयागराज में गंगा और यमुना नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। पूरा संगम क्षेत्र पानी में डूब गया है, जिससे स्थानीय लोगों, तीर्थ पुरोहितों और नाविकों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

इसी बीच, आज से सावन का पवित्र महीना शुरू हो गया है, जिसके कारण संगम और दशाश्वमेध घाट पर श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ने की उम्मीद है। लेकिन, गंगा नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ने से स्थिति मुश्किल हो गई है।

स्थानीय नाविक राजीव ने बताया कि पिछले एक हफ्ते में गंगा का जलस्तर अचानक बढ़ गया है। आमतौर पर इस समय जलस्तर 10 फीट के आसपास होता है, लेकिन अब यह 20-25 फीट तक पहुंच गया है। इससे नाविकों को यात्रियों की संख्या में कमी का सामना करना पड़ रहा है, जिससे उनकी कमाई पर बुरा असर पड़ा है। हमारी रोजी-रोटी खतरे में है। कम यात्री आने से हमें आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

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दशाश्वमेध घाट पर पूजा-पाठ कराने वाले तीर्थ पुरोहित भी इस स्थिति से परेशान हैं। पुरोहित प्रीतम कुमार मिश्रा ने बताया कि बढ़ते जलस्तर के कारण घाटों पर पूजा-पाठ कराना मुश्किल हो गया है।

उन्होंने कहा, "सावन शुरू हो चुका है और इस समय श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ती है। लेकिन जलस्तर बढ़ने से हम पूजा कैसे कराएं? घाट जलमग्न हैं और हमें बार-बार पीछे हटना पड़ रहा है।"

इसके अलावा, घाटों पर दूध और अन्य सामान बेचने वाले छोटे व्यापारियों को भी परेशानी हो रही है। लोगों का कहना है कि यदि जलस्तर इसी तरह बढ़ता रहा, तो स्थिति और गंभीर हो सकती है। गंगा का पानी हनुमान मंदिर तक पहुंचने की आशंका जताई जा रही है। लोगों ने जल्द राहत और समाधान की मांग की है। फिलहाल, बाढ़ की इस स्थिति ने प्रयागराज में जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित कर दिया है। 

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