देश में कोरोना के घटते मामलो के बीच स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बड़ा कदम उठाया है। खबरों के मुताबिक, स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोविड-19 टीके और नहीं खरीदने का तय की है। यही नहीं स्वास्थ्य मंत्रालय ने टीकाकरण के लिए आवंटित 4,237 करोड़ रुपये वित्त मंत्रालय को लौटा भी दिए हैं। सूत्रों के अनुसार, 1.8 करोड़ से अधिक टीके अब भी सरकार के स्टॉक में मौजूद हैं, जो छह महीने तक टीकाकरण अभियान चलाने के लिहाज से पर्याप्त हैं।
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दरअसल, कोरोना के मामलो में कमी वजह से टीका लगवाने वालों की संख्या में भी कमी आई है। अब टीकाकरण को लेकर लोग उत्साह भी नहीं दिखा रहे हैं। इस साल मोदी सरकार ने सभी वयस्कों को मुफ्त में बूस्टर खुराक देने के लिए अमृत महोत्सव नाम से 75 दिवसीय कोविड टीकाकरण अभियान चलाया था, लेकिन टीके की अधिक मांग नहीं दिखी।
खबरों के मुताबिक, केंद्र और राज्य सरकार के पास काफी मात्रा में वैक्सीन के स्टॉक पड़े हुए हैं। इन सब वजहों को देखते हुए ही सरकार ने अब वैक्सीन न खरीदने का फैसला किया है।
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16 अक्टूबर 2022 तक देश में 219.32 करोड़ से अधिक लोग कोरोना का टीका लगवा चुके थे। देश की 98 फीसदी वयस्क आबादी कोविड-19 टीके की कम से कम एक खुराक लगवा चुकी है, जबकि 92 फीसदी लोगों का पूर्ण टीकाकरण हो चुका है। इसके अलावा देश के 15 से 18 साल के 83.7 फीसदी किशोरों को भी टीके की एक खुराक लग चुकी है, जबकि 72 फीसदी किशोर दोनों खुराक लगवा चुके हैं। 12 से 14 वर्ष के वर्ग में 87.3 फीसदी लोगों को पहली खुराक लग चुकी है, जबकि 68.1 फीसदी को टीके की दोनों खुराकें लग चुकी हैं। 18 वर्ष और इससे अधिक उम्र के पात्र लोगों में से 27 फीसदी लोग बूस्टर खुराक लगवा चुके हैं।
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