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इतिहासकार, कला विदुषी कपिला वात्स्यायन का निधन, कला जगत में शोक की लहर

पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित जानी-मानी इतिहासकार और कला विदुषी कपिला वात्स्यायन का निधन हो गया है। वह 91 साल की थीं। उनके निधन से कला जगत में शोक की लहर छा गई है।

फोटोः IANS
फोटोः IANS 

कला, वास्तुकला, भारतीय शास्त्रीय नृत्य की जानी-मानी विदुषी और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र की संस्थापक, निदेशक कपिला वात्स्यायन का बुधवार को 92 वर्ष की आयु में दिल्ली स्थित उनके घर पर निधन हो गया। वह संसद की सदस्य भी रह चुकी थीं।

पद्म विभूषण सम्मान (2011) से नवाजी जा चुकीं कपिला वात्स्यायन ने कला के विभिन्न स्वरूपों और इतिहास पर करीब 20 किताबें लिखी हैं। जिनमें 'द स्क्वायर एंड द सर्कल ऑफ इंडियन आर्ट्स' (1997), 'भारत: द नाट्य शास्त्र' (1996), 'ट्रेडिशंस इन इंडिया फोक डांस' (1987) शामिल हैं। वह इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में एशियाई कला परियोजना की अध्यक्ष भी थीं।

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कथक और मणिपुरी नृत्य में प्रशिक्षित कपिला वात्स्यायन ने दिल्ली विश्वविद्यालय से अंग्रेजी से एमए और अमेरिका में मिशिगन विश्वविद्यालय से शिक्षा में एमए की पढ़ाई पूरी करने के बाद बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की थी। उन्हें 1970 में संगीत नाटक अकादमी फैलोशिप से भी सम्मानित किया गया।

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कवि और कला समीक्षक केशव मलिक की छोटी बहन कपिला वात्स्यायन ने देश के शुरूआती कला प्रशासकों में से एक होने के नाते, भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के तत्वावधान में दुनिया भर में सर्वश्रेष्ठ भारतीय कलाकारों को पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

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इनके निधन पर लेखक और राजनेता पवन के वर्मा ने ट्वीट किया, "आज सुबह उनके निधन की सूचना पर गहरा शोक हुआ। वह प्राचीन भारतीय संस्कृति और सभ्यता की गहरी परिष्करण की सच्ची विदुषी थीं। उनकी पुस्तक 'द स्क्वायर एंड द सर्कल ऑफ इंडियन आर्ट्स' एक क्लासिक है। ओम शान्ति।"

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