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जुमलों के शहंशाह ने छिड़का परेशान देश के जख्मों पर झूठ का नमक: पीएम के इंटरव्यू पर कांग्रेस का पलटवार

पीएम मोदी ने कथित इंटरव्यू के नाम पर जो एकालाप किया है उससे फिर साबित हो गया कि वे संवादात्मक बातचीत से बचते रहे हैं। अगर उनमें इतना ही नैतिक साहस है तो प्रेस कांफ्रेंस क्यों नहीं करते, जहां उनसे पहले से तय सवालों के अलावा भी सवाल किए जा सकें। 

फोटो : सोशल मीडिया
फोटो : सोशल मीडिया 

आरोप कांग्रेस ने रविवार को प्रधानमंत्री के उन इंटरव्यू के बाद लगाया जो उन्होंने दो अलग-अलग संस्थानों को दिए हैं।

कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने रविवार को एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि यूं तो कहा यह जा रहा है कि प्रधानमंत्री ने विभिन्न मुद्दों पर खुलकर विचार रखे। लेकिन पहले से तय कथित प्रश्नों के पूर्व नियत और निर्धारित उत्तरों में वे अपनी सरकार की एक भी उपलब्धि या पहल नहीं बता पाए। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि अपने एकालाप में पीएम ने अर्थव्यवस्था और विकास पर सफेद झूठ बोला और सामाजिक समरसता के तहस नहस होने पर घड़ियाली आंसू बहाए। उन्होंने कहा कि देश प्रधानमंत्री से यह एकतरफा कथ्य की नहीं बल्कि सत्य सुनना चाहता है। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि पीएम ने एक बार लोगों को अच्छे दिनों का झांसा देने की कोशिश की।

कांग्रेस ने कहा कि 2014 में उन्होंने देश को सुनहरे सपने दिखाए थे, कि 60 महीने में अच्छे दिन आ जाएंगे, लेकिन जब सरकार का कार्यकाल पूरा हो रहा है और वे हर मोर्चे पर नाकाम हुए हैं तो सपनों की डेडलाइन 2022 कर दी गई है यानी 108 महीने। पवन खेड़ा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी पीएम को बताना चाहती है कि उनकी सरकार अब सिर्फ 9 महीने से ज्यादा नहीं चल पाएगी। और भले ही वे विपक्ष को कितने उलाहने दें और बुरा भला कहें, देश के लोग बीजेपी और मोदी को 2019 में करारा जवाब देंगे।

कांग्रेस ने उन सभी मुद्दों को उठाया, जिन्हें प्रधानमंत्री ने अपने कथित इंटरव्यू में पेश किया था कांग्रेस ने कहा कि प्रधानमंत्री ने हर साल 2 करोड़ नौकरियां और रोजगार का वादा किया था। लेकिन उनकी सरकार हर साल सिर्फ कुछ लाख नौकरियां और रोजगार ही दे सके। प्रधानमंत्री ने 20 जुलाई को अविश्वास प्रस्ताव के दौरान अपने भाषण में कहा था कि बीते एक साल में एक करोड़ रोजगार पैदा हुए हैं। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि यह कुछ नहीं बस लोगों को गुमराह करने वाला बयान है, जिसका उपहास आम लोग उड़ा रहे हैं।

कांग्रेस ने कहा कि सिर्फ ईपीएफओ में पंजीकरण का मतलब ही रोजगार या नौकरी की उपलब्धता नहीं मानी जा सकती, क्योंकि ये आंकड़े सिर्फ उन लोगों के होते हैं जो अनौपचारिक क्षेत्र से औपचारिक क्षेत्र में काम शुरु कर देते हैं। पवन खेड़ा ने बताया कि कोई भी उपक्रम अगर 20 या अधिक लोगों को अपने यहां काम पर रखता है तो उसे नियमानुसार ईपीएफओ में सभी को पंजीकृत कराना जरूरी है। उन्होंने बताया कि अगर कोई ऐसा संस्थान जिसके यहां पहले से 19 कर्मचारी काम कर रहे थे और वहां एक और व्यक्ति को काम मिलता है तो उसे ईपीएफओ मे पंजीकरण कराना होता है। यह नई बीस नौकरियां नहीं हैं, बल्कि सिर्फ एक नई नौकरी है।

उन्होंने कहा कि नोटबंदी ने अनौपचारिक क्षेत्र की कमर तोड़कर रख दी और एक अव्यवस्थित और जल्दबाज़ी में लागू जीएसटी ने ट्रेडर और कारोबारियों की जिंदगी दुश्वार कर दी है। उन्होंने बताया कि नोटबंदी के पहले दो महीने में ही कम से कम 1.26 करोड़ लोगों से रोजगार छिन गया था। आईएलओ का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि उसके मुताबिक 2019 तक देश के 77 फीसदी कामकाजी लोगों के सामने नौकरी का खतरा मंडराता रहेगा।

कांग्रेस ने कहा कि प्रधानमंत्री मुद्रा ऋण योजना को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करते रहे हैं। पवन खेड़ा ने बताया कि अगर प्रधानमंत्री के शब्दों से ही गणना करें तो पता चलता है कि इस योजना के 91 फीसदी लाभार्थियों को मात्र 23,000 रुपए का कर्ज मिला। इस पैसे से क्या कोई पकोड़े की दुकान खोलेगा?

प्रधानमंत्री द्वारा जीएसटी पर पूछे सवाल में डकैत शब्द का इस्तेमाल किए जाने पर पवन खेड़ा ने कहा कि असंसदीय शब्दों का इस्तेमाल करना प्रधानमंत्री की आदत बन चुकी है। सब जानते हैं कि वे आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री बन गए हैं जिनके आपत्तिजनक और असंसदीय शब्दों को संसद की कार्यवाही से निकाला गया है। ऐसे में उनसे डकैत शब्द सुनना अधिक हैरान नहीं करता। हकीकत यह है कि देश भर में अब भी जीएसटी का विरोध हो रहा है। अभी पिछले महीने ही देश भर ट्रकों की हड़ताल थी और इसका सर्वाधिक असर बीजेपी शासित महाराष्ट्र और गुजरात में था। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि हर चुनाव से पहले प्रधानमंत्री जीएसटी दरों में फेरबदल कर कुछ सामान सस्ते कर देते हैं ताकि वोटरों को लुभाया जा सके।

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कांग्रेस ने बैंकों के लगातार बढ़ते एनपीए पर भी प्रधानमंत्री पर हमला बोला और कहा कि उनके शासन में बैंकों के एनपीए में जबरदस्त इजाफा हुआ है। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि असम के एनआरसी को प्रधानमंत्री विभाजनकारी नीति और ध्रुवीकरण के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। कांग्रेस ने कहा कि प्रधानमंत्री विदेशियों को देश से भगाने के मुद्दे पर झूठ बोलना बंद करें। कांग्रेस ने कहा कि संसद में दिए गए जवाबों से साबित होता है कि 2005 से 2013 के बीच यूपीए सरकार ने 82,728 बांग्लादेशी विदेशियों को देश से बाहर भेजा, जबकि मोदी सरकार के कार्यकाल में मात्र 1,822 बांग्लादेशियों को ही देश से बाहर भेजा गया है।

कांग्रेस ने एक बार फिर राफेल विमान सौदे का मुद्दा उठाया। कांग्रेस ने प्रधानमंत्री से सीधे सवाल पूछे कि आखिर देश को हर विमान की कीमत क्यों नहीं बताई जा रही? ऑफसेट कांट्रेक्ट हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड से छीनकर एक ऐसी निजी कंपनी को क्यों दिया गया जिसे इस क्षेत्र का कोई अनुभव नहीं है? 26 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने से पहले सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति से मंजूरी क्यों नहीं ली गई?

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