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केंद्र के खिलाफ केरल के CM विजयन का विरोध मार्च, मोदी सरकार पर 'वित्तीय अन्याय' का लगाए आरोप

सीएम विजयन ने कहा, "हम भारतीय गणतंत्र के ऐतिहासिक मोड़ पर हैं। एक लोकतंत्र जिसकी परिकल्पना 'राज्यों के संघ' के रूप में की गई थी, वह धीरे-धीरे और लगातार 'राज्यों के ऊपर संघ' में तब्दील हो रहा है।"

केरल के CM विजयन का विरोध मार्च, केंद्र पर 'वित्तीय अन्याय' का आरोप
केरल के CM विजयन का विरोध मार्च, केंद्र पर 'वित्तीय अन्याय' का आरोप फोटो: विपिन

केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने अपने मंत्रिमंडल और शीर्ष वामपंथी सदस्यों के साथ गुरुवार को दिल्ली के जंतर-मंतर पर 'वित्तीय अन्याय' को लेकर केंद्र के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। सीएम विजयन दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल, पंजाब के सीएम भगवंत मान और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री- फारूक अब्दुल्ला के साथ केरल हाउस से विरोध स्थल की ओर चले।

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विरोध स्थल पर सीएम विजयन ने कहा, "हम भारतीय गणतंत्र के ऐतिहासिक मोड़ पर हैं। एक लोकतंत्र जिसकी परिकल्पना 'राज्यों के संघ' के रूप में की गई थी, वह धीरे-धीरे और लगातार 'राज्यों के ऊपर संघ' में तब्दील हो रहा है।"

विजयन ने कहा,“हम देश भर में, विशेषकर विपक्ष शासित राज्यों में इसकी अभिव्यक्तियां देख रहे हैं। हम सभी इसके खिलाफ अपना कड़ा विरोध दर्ज कराने और भारत के संघीय ढांचे को बनाए रखने के लिए एक साथ आए हैं। आज हम एक नए सिरे से लड़ाई की शुरुआत कर रहे हैं, जो राज्यों के साथ न्यायसंगत व्यवहार सुनिश्चित करने की शुरुआत करेगी। यह लड़ाई केंद्र-राज्य संबंधों में संतुलन बनाए रखने का भी प्रयास करेगी। इस प्रकार, 8 फरवरी 2024, भारत गणराज्य के इतिहास में एक महत्वपूर्ण दिन बनने जा रहा है।”

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विजयन ने कहा,“सबसे पहले, मैं उन सभी लोगों का गर्मजोशी से स्वागत करता हूं और शुभकामनाएं देता हूं, जो विभिन्न राज्य सरकारों और विपक्षी राजनीतिक दलों का प्रतिनिधित्व करने के लिए यहां एकत्र हुए हैं। उन्‍होंने कहा, यह सुनिश्चित करने की लड़ाई कि भारत एक संप्रभु धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य बना रहे, जिसकी पहचान संघवाद है, एक लंबी लड़ाई होगी।”

विजयन ने कहा, “वर्षों से संघ ऐसे कानून बना रहा है, जो कई क्षेत्रों में राज्यों की शक्तियों और कर्तव्यों का अतिक्रमण करते हैं, यहां तक कि कानून और व्यवस्था पर भी, जो संविधान में राज्य सूची में है। संघ द्वारा कृषि, शिक्षा, बिजली, सहयोग आदि क्षेत्रों में राज्यों के अधिकारों को कमजोर करने वाले कानून बनाए गए हैं। यहां तक कि सहकारिता मंत्रालय भी बनाया गया है। राज्यों को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर राज्यों की राय लिए बिना, उनकी सहमति लेना तो दूर, बहुराष्ट्रीय समझौते किए जा रहे हैं। ये उदाहरण बता रहे हैं कि कैसे राज्यों के अधिकारों को कुचला जा रहा है और कैसे भारत को एक अलोकतांत्रिक 'राज्यों के ऊपर संघ' में बदला जा रहा है।

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विजयन ने कहा, भारत के संघीय ढांचे को झटका संघ द्वारा राज्यों के वित्तीय संसाधनों को खा जाने से लग रहा है। यह आरोप लगाया जा रहा है कि जो लोग सहकारी संघवाद का ढिंढोरा पीटते हैं, उन्होंने ही वित्त आयोग द्वारा राज्यों को आवंटित किए जाने वाले संसाधनों में कटौती करने की कोशिश की है। इसके अलावा, हम देख रहे हैं कि अपनी योजनाओं के लिए संघ का आवंटन साल-दर-साल कम हो रहा है, जबकि राज्यों को अधिक से अधिक योगदान देने के लिए मजबूर किया जा रहा है।''

आईएएनएस के इनपुट के साथ

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