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खनौरी बॉर्डरः 24 दिन से अनशन पर बैठे किसान नेता डल्लेवाल की तबीयत बिगड़ी, अचानक हुए बेहोश

इस बीच आज शाम को सांसद दीपेंद्र हुड्डा के नेतृत्व में कांग्रेस नेताओं का प्रतिनिधमंडल खनौरी बॉर्डर पर पहुंचा और डल्लेवाल के स्वास्थ्य का हाल जाना। दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि सरकार तुरंत एमएसपी गारंटी की किसानों की मांग माने और डल्लेवाल का अनशन खत्म कराए।

खनौरी बॉर्डर पर 24 दिन से अनशन पर बैठे किसान नेता डल्लेवाल की तबीयत बिगड़ी, अचानक हुए बेहोश
खनौरी बॉर्डर पर 24 दिन से अनशन पर बैठे किसान नेता डल्लेवाल की तबीयत बिगड़ी, अचानक हुए बेहोश फोटोः सोशल मीडिया

पिछले 24 दिन से खनौरी बॉर्डर पर आमरण अनशन कर रहे किसान नेता सरदार जगजीत सिंह डल्लेवाल की गुरुवार को अचानक तबीयत बिगड़ गई और वह बेहोश हो गए। इसके बाद उनको तीन से चार बार उल्टी भी हुई। दो दिन से डल्लेवाल मंच पर भाषण देने में भी असमर्थ थे। इसके चलते तंबू में ही डल्लेवाल के स्वास्थ्य की देखभाल की जा रही थी। आज दोपहर को डल्लेवाल की तबीयत बिगड़ गई और वह बेहोश हो गए। फिलहाल डल्लेवाल की हालात स्थिर बनी हुई है।

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प्रतिदिन चिकित्सक डल्लेवाल के स्वास्थ्य की जांच कर रहे हैं। अनशन पर होने के कारण शरीर लगातार कमजोर हो रहा है। पिछले एक सप्ताह में उनका वजन भी 11 किलोग्राम कम हुआ है।डल्लेवाल के स्वास्थ्य को लेकर उच्चतम न्यायालय भी चिंता जाहिर कर चुका है लेकिन वह न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) समेत किसानों की अन्य मांगों को लेकर अनशन पर अडिग हैं।

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इस बीच, गुरुवार शाम को सांसद दीपेंद्र हुड्डा के नेतृत्व में कांग्रेस नेताओं का प्रतिनिधमंडल खनौरी बॉर्डर पर किसानों के बीच पहुंचा और पिछले 24 दिनों से अनशन पर बैठे डल्लेवाल के स्वास्थ्य का हाल जाना। सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि डल्लेवाल की हालत बेहद गंभीर है। उन्होंने कहा कि सरकार तुरंत एमएसपी गारंटी देने की किसानों की मांग माने और डल्लेवाल का अनशन खत्म कराए।

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हुड्डा ने कहा कि सरकार ‘‘हठधर्मिता’’ छोड़े और किसान आंदोलन के बाद 9 दिसंबर 2021 को सरकार और किसान संगठनों के बीच हुए समझौते को तुरंत लागू करे। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने किसानों से किया वादा अब तक पूरा नहीं किया। हुड्डा ने मांग की कि सरकार बिना किसी देरी के एमएसपी की गारंटी देने का कानून बनाए। उन्होंने कहा, ‘‘अगर 101 किसान दिल्ली जाकर अपनी मांगें रखना चाहते हैं तो इसमें सरकार को क्या आपत्ति है। क्या देश के किसानों को ये भी अधिकार नहीं है कि वे अपनी बात कहने के लिए देश की राजधानी में जा सकें।’’

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