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कोरोना से जुड़ी बच्चों की दुर्लभ बीमारी ने भारत में दी दस्तक, अब इससे कैसे निपटेंगे?

अमेरिका और यूरोपीय देशों के बच्चों को बीमार करने वाली एक दुर्लभ बीमारी ने भारत में भी दस्तक दे दी है। इस बीमारी में शरीर में सूजन आ जाती हैं। चेन्नई में 8 साल के बच्चे को कांची कामकोटि चाइल्ड्स ट्रस्ट अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया था।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

अमेरिका और यूरोपीय देशों के बच्चों को बीमार करने वाली एक दुर्लभ बीमारी ने भारत में भी दस्तक दे दी है। इस बीमारी में शरीर में सूजन आ जाती हैं। चेन्नई में 8 साल के बच्चे को कांची कामकोटि चाइल्ड्स ट्रस्ट अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया था। इस बच्चे के शरीर में टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम और कावासाकी बीमारी के लक्षण मिले थे। इस बारे में अस्पताल से रिपोर्ट आई जिसमें बताया गया कि पीड़ित बच्चे की गहन देखभाल की गई और 2 सप्ताह के बाद वो ठीक हो गया।

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क्या है कावासाकी रोग?

कावासाकी बीमारी शरीर की रक्तवाहिनियों से जुड़ी बीमारी है। इस बीमारी में रक्तवाहिनी की दीवारों में सूजन होती है। जिसके कारण यह हृदय तक खून पहुंचाने वाली धमनियों को कमजोर कर देती है। ऐसी स्थिति में बुखार के साथ स्किन पर चकत्ते दिखना, हाथों और गले में सूजन और आंखों का लाल होना आदि लक्षण नजर आते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि ये एक ‘नई बीमारी’ है जो कावासाकी डिज़ीज शॉक सिन्ड्रोम (KDSS) से मिलती जुलती है।

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केडीएसएस आम तौर पर पांच साल से कम उम्र के बच्चों को होता है। इसके लक्षण हैं: शरीर पर चकत्ते आना, गले की ग्रथियों में सूजन, होठों का सूखना और फटना।

लेकिन ये नई बीमारी बड़ी उम्र के बच्चों (14-16 साल) को भी प्रभावित कर रही है। इसकी वजह से कुछ बच्चों को गंभीर समस्याएं भी हो सकती हैं।

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अमेरिका के सीडीसी (Centers for Disease Control and Prevention) द्वारा आयोजित एक बैठक में डॉक्टर ने बताया कि इसके लक्षण कोरोना वायरस के स्पष्ट लक्षणों की तरह नहीं हैं और इसमें पेट दर्द के साथ-साथ, उल्टी, बुखार और शरीर पर चकत्ते पड़ जाते हैं।

Clinician Outreach and Communication Activity (COCA) की ब्रीफिंग में डॉक्टरों ने कहा, 'इस नए सिंड्रोम से कई बच्चों के दिल को नुकसान पहुंचा है और उन्हें तत्काल इलाज की जरूरत महसूस हुई है। डॉक्टरों का मानना है कि स्पष्ट रूप से इसमें Covid-19 की भूमिका है, भले ही कई बच्चों में इसके टेस्ट नेगेटिव आएं और उनमें इंफेक्शन जैसे लक्षण ना दिखें।

ये सिंड्रोम Covid-19 के संक्रमण के दो से छह सप्ताह बाद दिखाई देना शुरू होता है और ज्यादातर उन बच्चों में होता है जो पहले से बिल्कुल स्वस्थ थे। CDC ने पिछले सप्ताह एक चेतावनी जारी की थी, जिसमें बाल रोग विशेषज्ञों को ऐसे मामलों के प्रति सचेत रहने को कहा था।

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