कांग्रेस ने रविवार को कहा कि भारतीय जनता पार्टी के ‘‘झूठे वादों’’ और केंद्र सरकार के ‘‘विश्वासघात’’ के कारण लद्दाख में आंदोलन हुआ।
जम्मू-कश्मीर प्रदेश कांग्रेस कमेटी (जेकेपीसीसी) के अध्यक्ष तारिक कर्रा ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘यह आंदोलन बीजेपी द्वारा अपने घोषणापत्र में किये गये झूठे वादों का नतीजा है। उन्होंने (संविधान की) छठी अनुसूची का वादा किया था। यह आंदोलन पिछले पांच वर्षों में किए गए विश्वासघात और वादों को पूरा न करने के खिलाफ है।’’ उन्होंने कहा कि अगर बीजेपी ने अपने वादे पूरे किए होते, तो यह स्थिति नहीं आती।
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उन्होंने कहा, ‘‘लद्दाख के लोगों से बातचीत करने, अपनी (बीजेपी) गलतियों को स्वीकार करने और बातचीत को दिशा देने के बजाय, वे कांग्रेस पर निशाना साध रहे हैं। वे अपने कुप्रबंधन और वादे पूरे न करने का दोष कांग्रेस पर मढ़ने की कोशिश कर रहे हैं।’’
राज्य का दर्जा और लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग के समर्थन में आंदोलन ने 24 सितंबर को हिंसक रूप ले लिया था, जिसमें चार लोग मारे गये थे और कई अन्य घायल हो गये थे।
घटना के बाद, आंदोलन का नेतृत्व करने वालों में शामिल जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत हिरासत में लिया गया।
जेकेपीसीसी प्रमुख कर्रा ने कहा कि कांग्रेस बुधवार को हुई आगजनी और गोलीबारी का समर्थन नहीं करती है और उन्होंने पीड़ित परिवारों के साथ एकजुटता व्यक्त की।
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एनएसए के तहत कार्यकर्ता वांगचुक की हिरासत के बारे में पूछे गए एक सवाल पर कर्रा ने कहा कि इस तरह के कदम से वहां विरोध प्रदर्शन पर अंकुश नहीं लगेगा।
उन्होंने कहा, ‘‘यदि भारत सरकार सोचती है कि वांगचुक को गिरफ्तार करके और उन्हें केंद्र शासित प्रदेश से बाहर भेजकर वहां हिंसा पर अंकुश लग जाएगा, तो वे गलत सोच रहे हैं।’’
इस मुद्दे को ‘‘बहुत संवेदनशील’’ और राष्ट्रीय महत्व का बताते हुए, कर्रा ने कहा कि शायद बीजेपी इस तथ्य को नजरअंदाज कर रही है कि लद्दाख दो तरफ से दो शत्रु देशों - पाकिस्तान और चीन से घिरा हुआ है।
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उन्होंने कहा, ‘‘चीन पहले से ही लद्दाख क्षेत्र में घुस आया है। सोनम और स्थानीय सांसद ने भी यह बात कही है। राष्ट्रीय सुरक्षा को महत्व देने के बजाय, वे अपने अहंकार और अपनी ‘इस्तेमाल करो और फेंको’ की नीति का इस्तेमाल कर रहे हैं।’’
कर्रा ने यह भी कहा कि जो लोग स्थानीय प्रशासन और केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं, वे वही लोग हैं जिनका बीजेपी और केंद्र ने अनुच्छेद 370 को हटाए जाने का जश्न मनाने के लिए ‘‘इस्तेमाल’’ किया था। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वर्तमान में कांग्रेस का वांगचुक से कोई संबंध नहीं है।
उन्होंने कहा कि वांगचुक के पिता 1970 के दशक में जम्मू-कश्मीर सरकार में उप मंत्री हुआ करते थे, लेकिन पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण 1987 में उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया गया था।
कर्रा ने कहा, ‘‘तब से उनका कांग्रेस से कोई संबंध नहीं है। वांगचुक के एक भाई भाजपा की लेह इकाई के उपाध्यक्ष हैं।’’
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