
देश भर में सुर्खियां बटोर रहा ‘वोट चोरी’ का मामला गोवा तक पहुंच गया है, जहां विपक्षी दलों ने मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर हेराफेरी का आरोप लगाया है। स्थानीय स्तर पर छानबीन में सामने आए इस खुलासे के साथ चुनावी शुचिता पर छिड़ी राष्ट्रीय बहस और तेज हो गई है। यहां एक ही पते पर ऐसे बड़े समूह सामने आए हैं, जो वहां रहते ही नहीं, या जितने नाम एक ही पते पर दर्ज दिखाए गए हैं, उतने लोगों का वहां रहना संभव ही नहीं है। बार और खाली पड़ी इमारतों तक में फर्जी मतदाता दर्ज होने के मामले सामने आ रहे हैं।
मरकाइम निर्वाचन क्षेत्र में, रामनाथी स्थित मकान संख्या 24/बी ऐसी ही कथित गड़बड़ी का नया प्रतीक बनकर उभरा है। रिकॉर्ड बताते हैं कि विभिन्न धर्मों और जातियों के 119 मतदाता इसी एक छत के नीचे रहते हैं, जबकि जानकार मानते हैं कि अगर कोई राजनीतिक साजिश न हो, तो सांख्यिकीय रूप से ऐसा होना कतई नामुमकिन है। विपक्षी नेताओं का आरोप है कि यह सब सत्तारूढ़ दल को चुनावी लाभ पहुंचाने के लिए हुआ, और इसके लिए बीएलओ (बूथ-स्तरीय अधिकारी) के स्तर पर जानबूझकर खेल किया गया है। तल्ख तंज में उनका कहना है कि एक ही छत के नीचे “धर्मनिरपेक्षता” का ऐसा दुर्लभ आदर्श प्रस्तुत करने के लिए तो उन्हें “राष्ट्रपति पदक” दिया जाना चाहिए।
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मामला सिर्फ मरकाइम क्षेत्र तक सीमित नहीं है। वकील राधाराव ग्रेसियस ने चुनाव आयोग से औपचारिक शिकायत की है कि बेनौलिम विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले सेराउलिम में भी 100 गैर-स्थानीय मतदाता महज दो पतों पर पंजीकृत हैं। एक भवन जहां बार चलता है, के नाम पर पूरे भारत के 80 मतदाताओं के नाम दर्ज हैं, जबकि उसी व्यक्ति के स्वामित्व वाली एक अन्य संपत्ति में 20 और नाम मिले हैं। ग्रेसियस का कहना है कि इन गड़बड़ियों की सूचना स्थानीय अधिकारियों को जुलाई 2025 में ही दी गई थी, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं निकला।
स्थानीय समाचार चैनल हेराल्ड टीवी द्वारा कांग्रेस के सांताक्रूज ब्लॉक अध्यक्ष जॉन नाज़रेथ और संयुक्त सचिव एडविन वाज़ के सहयोग से की गई जांच में, शलान हाटांगे के स्वामित्व वाले मकान संख्या 404/7 की मतदाता सूची में भी 26 ‘गैर-गोवावासी’ नाम सामने आए हैं। इनमें से 15 ने कथित तौर पर 2024 के लोकसभा चुनावों में मतदान भी किया। ‘वोट चोरी’ अभियान के तहत कांग्रेस की टीम ने सांताक्रूज में बामोनभट का दौरा कर अपने दावों के समर्थन में वीडियो साक्ष्य जुटाए हैं।
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अपने तरह का शायद सबसे जोरदार उदाहरण भाग 23, बामनभाट का ही है, जहां 32 वर्ग मीटर का एक घर (जिस पर सालाना सिर्फ 30 रुपये हाउस टैक्स आता है) आधिकारिक तौर पर सात अलग-अलग उपनामों वाले 28 पंजीकृत मतदाताओं के पते के तौर पर दर्ज है। हालांकि यहां के असली निवासी इन नामों (वोटरों) के बारे में पूरी तरह अनभिज्ञ थे। उनका कहना था कि उन्हें तो कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा पर्दाफाश के बाद यह सब पता चला। माना जा रहा है कि इनमें से कम-से-कम 15 हवाई (आभासी) मतदाताओं ने 2022 के विधानसभा चुनावों में मतदान भी किया है।
स्थानीय कांग्रेस नेताओं का तर्क है कि यह सारी गड़बड़ियां मतदाता पंजीकरण प्रक्रिया की गंभीर खामियों का खुलासा करने के लिए पर्याप्त हैं, खासकर उन निर्वाचन क्षेत्रों में जहां प्रवासी आबादी ज्यादा है और जहां नकली या फर्जी नाम आसानी से दर्ज हो जाते हैं। उनका आरोप है कि मतदाता सूची में संख्या बढ़ाने और चुनावी नतीजों को प्रभावित करने के लिए बड़े पैमाने पर जाली दस्तावेजों और फर्जी पतों का इस्तेमाल किया जा रहा है।
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निर्वाचन आयोग के गोवा कार्यालय ने उच्च जोखिम वाले निर्वाचन क्षेत्रों में क्षेत्रीय जांच, फर्जी प्रविष्टियां स्वेच्छा से हटाने की सार्वजनिक अपील और उल्लंघनकर्ताओं के विरुद्ध संभावित कानूनी कार्रवाई के साथ सत्यापन का वादा किया है। लेकिन विपक्ष आगामी चुनावों की विश्वसनीयता खतरे में होने की चेतावनी के साथ तत्काल और पारदर्शी सुधारात्मक उपायों की मांग कर रहा है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा 7 अगस्त को नई दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह आरोप लगाए जाने के बाद से ‘मतदाता धांधली’ पर चर्चा तेज हो गई है कि 2024 के लोकसभा चुनावों के दौरान अकेले कर्नाटक के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में एक लाख से ज्यादा वोट “चोरी” हुए। राहुल गांधी ने अपनाई गई पांच अलग-अलग कार्यप्रणाली भी साझा की थी।
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महादेवपुरा में कांग्रेस पार्टी द्वारा मतदाता सूचियों की छह महीने के दौरान की गई समीक्षा में 40,000 से अधिक फर्जी या अमान्य पते पाए गए, जिनमें से कुछ के घर का नंबर “0” था। ऐसे स्थान भी दर्ज थे जिनका कोई अस्तित्व ही नहीं था। 10,000 से अधिक वोटर “थोक” में अविश्वसनीय रूप से ‘साझा’ स्थानों पर पंजीकृत पाए गए।
गोवा में विपक्षी नेताओं का कहना है कि ये समानताएं इतनी गहरी हैं कि उन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। उनकी नजर में यह लोकतंत्र को कमजोर करने वाले, ‘वोट चोरी’ के एक व्यापक, समन्वित तानेबाने का हिस्सा है, जो खतरनाक है। उन्होंने चुनाव आयोग और सर्वोच्च न्यायालय, दोनों से चुनावी प्रक्रिया में जनता का विश्वास बहाल करने के लिए निर्णायक हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है।
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