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सदी का सबसे लंबा चंद्रग्रहण आज, दोपहर बाद बंद हो जाएंगे देश के सभी बड़े मंदिर

आज सदी का सबसे बड़ा चंद्रग्रहण लगने वाला है, ये ग्रहण रात 11 बजकर 54 मिनट 02 सेकेंड पर लगेगा। जिसका असर 10:53 बजे से ही महसूस होने लगेगा, जबकि पूर्ण चंद्रग्रहण रात 01 बजकर 51 मिनट 08 सेकेंड पर होगा।

फोटो: सोशल मीडिया 
फोटो: सोशल मीडिया  सदी का सबसे लंबा चंद्रग्रहण आज

सदी का सबसे लंबा चंद्रग्रहण आज लगेगा, जो देश के सभी हिस्सों से दिखाई देगा। ग्रहण आज रात 11:54 बजे शुरू होगा जो अगले दिन सुबह 3:49 बजे तक रहेगा। इससे पहले आज दोपहर 2:54 बजे से 28 जुलाई को रात्रि 03: 49 बजे तक के समय को सूतक काल माना जा रहा है। चंद्रग्रहण के दौरान चंद्रमा थोड़ा सा लाल रंग का होगा और इस खगोलीय घटना को ‘ब्लड मून’ कहा जाता है। भारत के अलावा यह ग्रहण दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका, पश्चिम एशिया और मध्य एशिया के कुछ हिस्सों में भी ग्रहण दिखाई देगा।

इससे पहले 31 जनवरी को भी पूर्ण चंद्रग्रहण हुआ था। तब ग्रहण 1 घंटा 40 मिनट तक था। इसके अलावा सबसे छोटा चंद्रग्रहण 2015 को लगा था। जोकि 4 मिनट 48 सेकंड का था। इस पूर्ण चंद्र ग्रहण के दौरान भारत में अगला चंद्रग्रहण 31 दिसंबर 2028 को होगा।

चंद्रग्रहण के कारण देश के सभी प्रमुख मंदिर पूजा-अर्चना के बाद बंद हो जाएंगे। शनिवार की सुबह मंदिर एक बार फिर खुलेंगे। हरिद्वार, वाराणसी और इलाहाबाद में हर शाम होने वाली गंगा आरती भी दोपहर को की गई। चंद्रग्रहण के कारण ही दोपहर एक बजे गंगा आरती का विशेष आयोजन किया गया। देश के कई बड़े मंदिरों में दोपहर दो बजे के बाद दर्शन नहीं हो पाएंगे। बदरीनाथ और केदारनाथ मन्दिर के कपाट शुक्रवार दोपहर से शनिवार सुबह तक बन्द रहेंगे। ऐसा चन्द्रग्रहण के कारण हो रहा है।

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चंद्रग्रहण के सूतक काल से पहले 27 जुलाई को श्री बदरीनाथ मंदिर के कपाट दिन में 12 बजकर 30 मिनट एवं श्री केदारनाथ मंदिर के कपाट दिन में 2 बजकर 54 मिनट पर बंद हो जायेंगे। दूसरे दिन सुबह ग्रहण समाप्त होने के बाद नियमित पूजा अर्चना के लिए उन्हें फिर से खोल दिए जायेंगे।

इस बार गुरु पूर्णिमा के दिन चंद्रग्रहण लग रहा है। यह एक दिव्य संयोग माना जा रहा है। इससे पूर्व 16 साल पहले वर्ष 2000 में ऐसा संयोग बना था। इस अवसर पर स्नान और दान-पुण्य का लाभ सामान्य दिनों से कई गुना अधिक प्राप्त होगा। शास्त्रों के दिशानिर्देश के अनुसार, ग्रहण के मौके पर दान करने के लिए सबसे उत्तम समय वह माना गया है, जब ग्रहण का मोक्ष काल समाप्त हो जाता है।

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