मध्य प्रदेश के शिक्षा विभाग ने स्कूलों को खोलने और छात्रों की उपस्थिति को लेकर अपने दिशानिर्देशों में एक बार फिर बदलाव किया है। नए दिशानिर्देश में शिक्षा विभाग का कहना है कि छात्र स्कूल आने के लिए बाध्य नहीं हैं। स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति उनके माता-पिता की सहमति पर निर्भर रहेगी। शिक्षा विभाग को यह बदलाव स्कूल खोलने के फैसले का विरोध होने पर लेना पड़ा है।
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दरअसल राज्य के शिक्षा विभाग ने एक दिन पहले 10वीं और 12वीं के छात्रों की कक्षाएं 18 दिसंबर से नियमित रूप से शुरू करने का फैसला करते हुए दिशानिर्देश जारी किया था, जिसके बाद इस फैसले का बड़े पैमाने पर स्कूल संचालकों ने विरोध शुरू कर दिया था। ऐसे में एक दिन में ही शिक्षा विभाग को 15 दिसंबर के अपने दिशानिर्देशों में बदलाव करना पड़ा है। अब स्कूलों में विद्यार्थियों की उपस्थिति अनिवार्य नहीं होगी और छात्रों का स्कूल आना पूरी तरह से अभिभावकों की सहमति पर निर्भर होगा।
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इस बीच राज्य शिक्षा विभाग द्वारा स्कूल खोले जाने के गाइडलाइंस में मांग के अनुसार बदलाव के बाद विरोध कर रहे स्कूल संचालकों ने अपना आंदोलन स्थगित कर दिया है। शिक्षा विभाग द्वारा नियमित रूप से स्कूल खोलने के आदेश के खिलाफ स्कूल संचालकों ने बुधवार को प्रदर्शन करने का अल्टीमेटम दिया था। हालांकि, उससे पहले ही शिक्षा विभाग ने मंगलवार को अपना फैसला बदल दिया है, जिससे अब विरोध-प्रदर्शन भी टल गया है।
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गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में शिक्षा विभाग के आदेश के अनुसार 10वीं और 12वीं के स्कूल खुलने पर विभाग की ओर से जारी गाइडलाइंस का पालन अनिवार्य होगा। इसके तहत इस आदेश में आवासीय स्कूलों और हॉस्टल को खोलने की अनुमति नहीं होगी। इसके अलावा स्कूल खुलने पर प्रार्थना और खेल-कूद जैसी अन्य सामूहिक गतिविधियों पर पूरी तरह रोक रहेगी।
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