मध्य प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने किसानों को खाद न मिलने और खाद मांगने या कतार में लगने पर लाठी बरसाए जाने का आरोप लगाया है। मध्य प्रदेश कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष सिंघार ने गुरुवार को राजधानी भोपाल में संवाददाताओं से बात करते हुए कहा कि राज्य का किसान खाद के लिए परेशान है, उसको खाद नहीं मिल पा रही है। पिछले सालों के आंकड़े इस बात की गवाही दे रहे हैं कि राज्य में खाद का मांग से ज्यादा का आवंटन किया गया, मगर वितरण नहीं हुआ। जितनी खाद आई, उतना वितरण ही नहीं किया गया। सरकारी बुलेटिन बताते हैं कि राज्य में खाद की कमी नहीं रही, मगर किसानों को नहीं मिली।
नेता प्रतिपक्ष सिंघार ने केंद्र सकरार के रसायन और खाद मंत्रालय की ओर से लोकसभा में दिए गए जवाब के हवाले से बताया कि वर्ष 2022 से 2025 तक राज्य को सरप्लस खाद मिली। इससे जाहिर है कि खाद की समस्या नहीं है, बल्कि वितरण व्यवस्था और प्रबंधन ठीक नहीं है। यही कारण रहा कि बीते तीन सालों में सरकार लगभग 14 लाख टन (एलएमटी) यूरिया और सात लाख टन (एलएमटी) डीएपी किसानों को नहीं बांट पाई।
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार किसानों की आमदनी दोगुना करने का वादा करती है, मगर किसान खाद पाने के लिए लाठी खा रहे हैं। बीते दिनों भिंड और रीवा में सहकारी समिति में खाद के लिए कतार में लगे किसानों पर लाठीचार्ज किया गया।
राज्य की अर्थव्यवस्था और किसानों की चर्चा करते हुए नेता प्रतिपक्ष सिंघार ने कहा कि प्रदेश में लगभग 45 प्रतिशत किसान हैं, राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ खेती है। खाद की मांग और खपत के मामले में मध्य प्रदेश देश में दूसरे क्रम पर है, मगर किसानों को पर्याप्त खाद ही नहीं मिल पा रहा है।
सिंघार ने केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा, शिवराज सिंह चौहान और राज्य के मुख्यमंत्री मोहन यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि तीनों नेता किसानों की समस्या का हल नहीं निकाल पा रहे हैं। किसानों पर लाठी चलाई जा रही है, वे इसका हिसाब वोट से चुकाएंगे।
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राज्य में यूरिया की कमी करीब 3.5 लाख मीट्रिक टन बतायी जा रही है। यह कमी मक्का और धान की बढ़ी हुई खेती की वजह से मांग बढ़ने से पैदा हुई है।
लंबे समय से लाइन लगना, टोकन न मिलना, खाद न मिलना जैसी समस्याएं आम हैं।
अधिकारियों द्वारा घंटों "प्रतीक्षालय" (distribution centres) और मंडियों में इंतजार कराने पर किसान हंगामा कर चुके हैं।
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भिंड: खाद वितरण केंद्रों पर कमी का विरोध, किसानों में आक्रोश है।
मौरेना: किसानों का आरोप है कि समय पर खाद नहीं मिल रही।
शिवपुरी: मक्का के बढ़े रकबे की वजह से यूरिया की मांग बढ़ी है, कमी महसूस की जा रही है।
नर्मदापुरम: (पूर्व में होशंगाबाद नाम से जाना जाता था) यहां भी किसान खाद की कमी की किसान शिकायत कर रहे हैं।
रायसेन: वितरण की शिकायतों के बीच सर्विस की कमी और टोकन की समस्या सामने आ रही है।
खंडवा और बड़वानी: यह दक्षिण पश्चिम के जिलें हैं, जहां भी कालाबाजारी और वितरण व्यवस्था में गड़बड़ी के आरोप हैं।
जबलपुर: महाकोशल क्षेत्र में किसानों ने अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं।
रीवा में किसानों ने सरकारी अधिकारियों को बंद कमरे में बंद कर दिया वितरण केंद्रों पर खाद न पहुंचने पर नाराजगी जाहिर की।
सतना: यहां भी किसानों ने टोकन और खाद न मिलने की शिकायत की है।
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अधिकारियों का कहना है कि राज्य को इस सीजन में अपेक्षित मात्रा में खाद उपलब्ध हुई है, लेकिन वितरण व्यवस्था में कमी है।
बढ़ी हुई मांग (मक्का और धान की खेती बढ़ने से), कालाबाजारी और कुछ जिलों में होल्डिंग और मार्गों पर खाद न पहुंचने जैसी समस्याएं मुख्य कारण हैं।
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(आईएएनएस के इनपुट के साथ)
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