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मध्य प्रदेश: कांग्रेस का आरोप, मतदाता सूची में गड़बड़ी के असली दोषियों को बचाने की कोशिश

मध्य प्रदेश में मतदाता सूची से फर्जी मतदाता और प्रमुख लोगों के नाम काटे जाने के मामले सामने आने पर निचले दर्जे के कर्मचारियों पर गाज गिराने का दौर जारी है। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने छोटे कर्मचारियों पर कार्रवाई को लेकर सवाल उठाया है।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया मध्य प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिह 

मध्य प्रदेश में पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता यादवेंद्र सिंह और उनके परिवार के सदस्यों के नाम मतदाता सूची से गायब होने के मामले में विकास खंड स्तरीय अधिकारी (बीएलओ) और सहायक निरीक्षक रोहित मिश्रा को निलंबित किए जाने पर विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिह ने सवाल किया है। उन्होंने कहा कि छोटे कर्मचारी पर कार्रवाई कर प्रशासन असली अपराधी को बचाने और उसके पीछे छिपे चेहरे को छुपाने की कोशिश कर रहा है।

उन्होंने ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी कांताराव से मांग की है कि वे इस पूरे प्रकरण की अपने कार्यालय से जांच दल भेजकर परीक्षण करवाएं, ताकि इसके साथ ही पूरे प्रदेश में चल रही गड़बड़ी का सच सामने आ सके।

उन्होंने कहा कि मतदाता सूची में भी ई-टेंडर जैसा घोटाला हो रहा है, जिसमें एक प्राइवेट एजेंसी के ऑपरेटर के पास पासवर्ड हैं। उन्होंने आरोप लगाया, “राजनीतिक दलों और प्रदेश की जनता के लिए अति महत्वपूर्ण दस्तावेज की जिम्मेदारी निजी व्यक्ति के पास रहना यह बताता है कि इसके जरिए अगले चुनाव में व्यापक पैमाने पर गड़बड़ी की योजना बनाई जा रही है। जिस तरह लाखों फर्जी मतदाता सामने आ रहे हैं, उससे स्पष्ट है कि इसके पीछे एक बड़ी साजिश काम कर रही है।”

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उन्होंने कहा, “इस बात की जांच किए बगैर कि बीएलओ ने जो सूची अनुमोदित की, उसमें पूर्व मंत्री यादवेंद्र सिह और उनके परिवार वालों के नाम थे या नहीं, उन्हें (बीएलओ) निलंबित कर दिया गया। यहां यह भी बात गौरतलब है कि जिस व्यक्ति का नाम काटे अथवा जोड़े जाते हैं, उसका फॉर्म बीएलओ भरता है, जिसका परीक्षण सुपरवाइजर करता है। इसमें नाम जोड़ने और काटने का काम एसडीएम करता है।”

उन्होंने कहा, “इस मामले में जांच यह होनी चाहिए कि क्या बीएलओ ने नाम काटे थे और सुपरवाइजर ने इसका सत्यापन किया था, या नाम बाद में काटा गया। इस कार्यवाही से स्पष्ट है कि इसके लिए जिम्मेदार बड़े लोगों और असली चेहरों को हर बार की तरह इस मामले में भी बचाया गया।”

इससे पहले पूर्व मंत्री और उनके परिजनों के नाम गायब होने के मामले में जिला निर्वाचन अधिकारी अभिजीत अग्रवाल ने विकास खंड स्तरीय अधिकारी और सहायक निरीक्षक रोहित मिश्रा को निलंबित कर दिया था।

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