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बिहार में माफिया खुलेआम उड़ा रहे NGT प्रतिबंध की धज्जियां, नीतीश की पुलिस की नाक के नीचे जारी है रेत का खनन

बिहार में भोजपुर, औरंगाबाद, पटना, कैमूर ऐसे जिले हैं, जहां बालू माफिया काफी सक्रिय हैं। वे आमतौर पर रेत परिवहन के लिए ट्रैक्टर, ट्रक का उपयोग करते हैं। जब पुलिस कार्रवाई करती है, तो वे परिवहन के लिए नावों का उपयोग करते हैं।

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया 

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा 30 सितंबर तक बालू खनन पर रोक लगाने के बावजूद बिहार के कई जिलों में रेत माफिया खुलेआम प्रतिबंधों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। नीतीश राज में रेत खनन का अवैध धंधा पुलिस और जिला प्रशासन की नाक के नीचे जारी है। कहीं पुलिस अगर कड़ाई करती है, तो पुलिस पर हमले या अधिकारियों को तबादले का सामना करना पड़ता है।

बिहार में आधा दर्जन से अधिक ऐसे मामले देखे गए हैं, जहां माफियाओं ने अपने क्षेत्रों में पुलिस कर्मियों पर हमला किया और उन्हें घायल कर दिया। ऐसा लगता है कि बिहार में पुलिस और अधिकारियों के लिए केवल दो ही विकल्प रह गए हैं- या तो उनकी अवैध गतिविधियों पर आंखें मूंद लें या परिणाम भुगतें। नतीजतन, कई पुलिसकर्मियों और अधिकारियों ने कथित तौर पर रेत माफियाओं के साथ हाथ मिलाया है और अवैध कारोबार से होने वाली आय को साझा करते हैं।

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हाल में भोजपुर जिले के राकेश कुमार दुबे और औरंगाबाद जिले के सुधीर कुमार पोरिका नामक दो एसपी रैंक के अधिकारियों सहित 41 अधिकारियों को उनके जिलों में रेत माफियाओं के साथ कथित संबंधों के लिए निलंबित किए जाने से यह साबित हो गया है। उन्हें जुलाई में निलंबित कर दिया गया था और आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज की है और जांच जारी है।

ईओडब्ल्यू ने शुक्रवार को भोजपुर के पूर्व एसपी राकेश कुमार दुबे के चार ठिकानों पर छापेमारी कर 2.65 करोड़ रुपये की चल-अचल संपत्ति का खुलासा किया। इन दो अधिकारियों के अलावा, आरा और पालीगंज के एसडीपीओ रैंक के दो अधिकारी, रोहतास जिले के डेहरी के एक एसडीओ और पटना के एक निरीक्षक रैंक के अधिकारी को भी रेत माफियाओं के साथ कथित संबंधों के लिए निलंबित कर दिया गया था।

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इससे पहले सात सितंबर को बालू माफियाओं के गुर्गों ने गया जिले के रामपुर थाने की एक टीम पर हमला किया था। टीम सर्किट हाउस में इकट्ठी हुई थी और माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई की योजना को अंतिम रूप दे रही थी, जब उन पर आग्नेयास्त्रों से हमला किया गया। उस घटना में एक होमगार्ड कांस्टेबल नौरंगी मिस्त्री को गोली मार दी गई थी।

गया के एसएसपी आदित्य कुमार ने कहा, "एक कांस्टेबल के पैर में गोली लगी थी और उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था। हमने आमने-सामने के दौरान 14 रेत माफिया के गुर्गों को गिरफ्तार किया। हम हर संदिग्ध जगह पर लगातार छापेमारी कर रहे हैं जहां माफिया नदी की रेत निकालते हैं।" गया फाल्गु नदी के तट पर स्थित है जिसे 'पिंड दान' के लिए जाना जाता है। माफिया इसी नदी से रेत निकालते थे।

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एक अन्य घटना सारण जिले में 7 सितंबर को हुई थी जब 100 से अधिक बदमाशों ने जिला पुलिस की एक टीम पर हमला किया था, जिसमें आधा दर्जन से अधिक पुलिसकर्मी घायल हो गए थे। घटना अवतार नगर थाना क्षेत्र की है। पुलिस को अवैध खनन की जानकारी मिलते ही अवतार नगर, गरखा और डोरीगंज पुलिस के अधिकारियों की टीम ने मौके पर छापेमारी की। चूंकि माफियाओं को जाहिर तौर पर पुलिस की गतिविधि के बारे में पहले से ही जानकारी थी, वे बड़ी संख्या में इकट्ठा हो गए और पुलिस पर पथराव किया।

गरखा पुलिस स्टेशन के एसएचओ अमितेश सिंह ने कहा, "यह एक पुलिस दल पर अचानक हमला था। उस पथराव में मेरे सहित आधा दर्जन से अधिक पुलिसकर्मी घायल हो गए थे। अब, हम ठीक हो गए हैं और अवैध गतिविधियों को रोकने के लिए सभी प्रयास कर रहे हैं।"

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पुलिस और खनन विभाग की संयुक्त टीम पर एक सितंबर को बांका जिले में बालू माफिया सदस्यों ने हमला किया था। संयुक्त टीम बाराहाट थाना अंतर्गत मिजार्पुर गांव में छापेमारी करने गई थी। जब वे मिर्जापुर गांव के पास पहुंचे तो उन्होंने देखा कि रेत से लदे दो ट्रैक्टर विपरीत दिशा से आ रहे हैं। चालक व हेल्पर वाहन छोड़कर मौके से फरार हो गए। एसएचओ शंकर दयाल प्रभाकर ने कहा, "जब हम खनन स्थल के पास पहुंचे, तो बड़ी संख्या में बदमाशों ने हम पर डंडों और लोहे की रॉड से हमला किया। उन्होंने खनन और पुलिस विभागों के दो वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया। इस हमले में एक कांस्टेबल गंभीर रूप से घायल हो गया।"

आमतौर पर बिहार में सोन, गंगा, गंडक, फाल्गु, कमला बालन, कोसी, परमान नदियों की रेत का खनन किया जाता है। एनजीटी ने 1 जुलाई से 30 सितंबर तक रेत खनन पर रोक लगाई थी। इससे पहले खनन विभाग ने 19 जिलों में 195 स्थानों के लिए लाइसेंस जारी किया था। भोजपुर, औरंगाबाद, पटना, कैमूर कुछ ऐसे जिले हैं, जहां बालू माफिया काफी सक्रिय हैं। वे आमतौर पर रेत के परिवहन के लिए ट्रैक्टर, ट्रक का उपयोग करते हैं। जब पुलिस कार्रवाई करती है, तो वे परिवहन के लिए नावों का उपयोग करते हैं।

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बिहार के खनन मंत्री जनक राम ने कहा, "बिहार सरकार ने इस साल 1 अक्टूबर से फिर से शुरू होने वाली खनन गतिविधियों के लिए सख्त दिशा-निर्देश जारी किए हैं। हमने ड्रोन के माध्यम से खनन क्षेत्रों के साथ-साथ उन क्षेत्रों की निगरानी करने की योजना बनाई है जहां खनन संभव है लेकिन राज्य सरकार ने इसकी अनुमति नहीं दी है। अवैध खनन पर नजर रखने का विचार है।"

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