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भीमा कोरेगांव: गौतम नवलखा की नजरबंदी खत्म करने के फैसले के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार की सुप्रीम कोर्ट में याचिका

भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में गिरफ्तार किए गए गौतम नवलखा को दिल्ली हाई कोर्ट से मिली राहत के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। सोमवार को कोर्ट ने गौतम नवलखा के पक्ष में फैसला सुनाते हुए उनकी नजरबंदी खत्म करने का निर्देश दिया था।

फोटो: सोशल मीडिया 
फोटो: सोशल मीडिया  भीमा कोरेगांव मामले में गौतम नवलखा की नजरबंदी खत्म करने के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार पहुंची सुप्रीम कोर्ट

भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में गिरफ्तार किए गए कार्यकर्ता गौतम नवलखा के हाउस अरेस्ट खत्म करने के दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में ट्रांजिट रिमांड रद्द करने और हाउस अरेस्ट हटाने के फैसले को चुनौती दी गई है और हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाकर तुरंत हाउस अरेस्ट के आदेश बहाल करने की मांग की गई है।

Published: 03 Oct 2018, 1:32 PM IST

दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को गौतम नवलखा को नजरबंदी से रिहा करने का आदेश देते हुए कहा था कि उनकी हिरासत कानून के तहत असमर्थनीय है। कोर्ट ने कहा था कि सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा की नजरबंदी का कानून के मुताबिक कोई औचित्य नहीं है, इसलिए उन्हें आजाद किया गया है। न्यायमूर्ति एस मुरलीधर और न्यायमूर्ति विनोद गोयल की एक पीठ ने निचली अदालत के उस आदेश को भी रद्द कर दिया था, जिसमें महाराष्ट्र पुलिस को नवलखा को पुणे ले जाने की इजाजत दी गई थी। हालांकि हाई कोर्ट की पीठ ने कहा था कि महाराष्ट्र पुलिस कानूनी प्रावधानों के मुताबिक नवलखा के खिलाफ मामले में नए सिरे से कार्रवाई करने के लिए मुक्त है।

इसके पहले साकेत कोर्ट ने पुणे पुलिस को नवलखा को साथ ले जाने की मंजूरी दे दी थी। हालांकि बाद में दिल्ली हाई कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी। बता दें कि दिल्ली हाई कोर्ट का आदेश सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के बाद आया था जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने गौतम नवलखा के अलावा मानवाधिकार कार्यकर्ताओं वरवर राव, वरनन गोंजालविस, अरुण फरेरा और सुधा भारद्वाज की नजरबंदी चार हफ्तों के लिए बढ़ाई थी। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में एसआईटी जांच का आदेश देने से भी इनकार कर दिया था।

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Published: 03 Oct 2018, 1:32 PM IST

भीमा कोरेगांव हिंसा की साजिश रचने और नक्सलवादियों से संबंध रखने के आरोप में पुणे पुलिस ने बीते 28 अगस्त को देश के अलग-अलग हिस्सों से गौतम नवलखा, वरवर राव, सुधा भारद्वाज, अरुण फरेरा और वरनन गोंजालवेस को गिरफ्तार किया था। इसके बाद 29 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने इन गिरफ्तारियों और ट्रांजिट रिमांड पर रोक लगा दी और हिरासत में लिए गए सभी मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को अपने ही घर में नजरबंद रखने के लिए कहा था।

महाराष्ट्र पुलिस ने पिछले साल 31 दिसंबर को हुए एलगार परिषद सम्मेलन के बाद दर्ज की गई एक एफआईआर के सिलसिले में 28 अगस्त को इन कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था।

Published: 03 Oct 2018, 1:32 PM IST

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Published: 03 Oct 2018, 1:32 PM IST