सोमवार को विपक्ष ने दिल्ली हिंसा को लेकर दोनों सदनों में काफी हंगामा किया। कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और टीएमसी के सांसदों ने दिल्ली हिंसा के खिलाफ संसद भवन परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने विरोध प्रदर्शन किया। राहुल गांधी की अगुवाई में पार्टी सांसदों ने प्रदर्शन करते हुए गृह मंत्री अमित शाह की इस्तीफे की मांग की।
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दिल्ली हिंसा का लेकर कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा और उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इसके बारे में राष्ट्र को बताना चाहिए। उन्होंने आगे कहा, “हम चाहते हैं कि पीएम मोदी संसद में आकर जवाब दें। अब तक 56 इंच की बातें बहुत सुनी हैं, इतने लोगों की मौत दिल्ली में हुई, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने अब तक एक शब्द नहीं बोला। हम चाहते हैं कि वो आकर समझाएं कि चल क्या रहा है और उनकी सरकार का इरादा क्या है?
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वहीं कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा, “दिल्ली हिंसा के पीछे यह सरकार, उसका उकसाना, हर दिन एक भड़काऊ भाषण 'गोली मारो' का नारा जिम्मेदार है। आज भी वो नारा दिल्ली से लेकर कोलकाता तक गूंज रहा है। गोली मारते-मारते दिल्ली के तीन-चार इलाके खाली करवा दिए। यह अच्छे दिन होते हैं?”
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टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने सोमवार को कहा कि दिल्ली की हिंसा सुनियोजित नरसंहार है। ममता बनर्जी ने केंद्र की सत्ता से बीजेपी को हटाने का आह्वान भी किया। उन्होंने कहा कि हम आज संकल्प लेते हैं कि जब तक तानाशाह सरकार को जड़ से उखाड़ नहीं फेंकते हैं तब तक हम रुकेंगे नहीं।
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टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने कहा कि आंखों पर बांधकर हमने दर्शाया कि ये सरकार अंधी है. पहले तीन दिन पुलिस ने सिर्फ खड़े होकर तमाशा देखा। उंगली मुंह पर रखकर हमने बताया कि जब जरूरत होती है ये तब नहीं बोलती है।
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कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, “दिल्ली में तीन दिन और रात दंगे होते रहे। केंद्र सरकार चाहती थी कि जितने मरते हैं मरने दो, जो जलता है जलने दो, कहीं फायर ब्रिगेड भेजने की कोशिश नहीं की। भड़काऊ भाषण सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं ने दिए, इन दंगों के पीछे केंद्र सरकार खुद थी।”
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इस बीच दिल्ली हिंसा पर जवाब देने के बजाय बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने विवादित बयान दिया है। उन्होंने कहा, “विपक्ष को दंगाई विपक्ष कहने की आवश्यकता है।” उन्होंने कहा है कि भड़काऊ भाषण देने वाले सभी की आलोचना की जानी चाहिए, न कि केवल बीजेपी की। मनोज तिवारी ने इस बात को मानने से इनकार कर दिया कि केवल बीजेपी नेता भड़काऊ भाषण देने में शामिल हैं।
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