पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने देश भर में बांग्ला भाषी प्रवासियों पर कथित हमलों के विरोध में सोमवार को बीरभूम जिले के बोलपुर में विशाल मार्च निकालकर ‘भाषा आंदोलन’ की शुरुआत की और कहा, “मैं जान दे दूंगी, लेकिन किसी को अपनी भाषा छीनने की इजाजत नहीं दूंगी।” साथ ही ममता ने केंद्र सरकार को चुनौती देते हुए कहा कि वह पश्चिम बंगाल में एनआरसी लागू नहीं होने देंगी। ममता ने पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए सवाल किया कि जब वह (मोदी) अरब देशों की यात्रा पर जाते हैं, तो क्या शेख से यह पूछकर गले मिलते हैं कि वे हिंदू हैं या मुसलमान।
Published: undefined
मुख्यमंत्री ने बोलपुर में लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि वह भाषा के आधार पर विभाजन नहीं चाहतीं। उन्होंने कहा, ‘‘मैं किसी भाषा के खिलाफ नहीं हूं, मेरा मानना है कि विविधता में एकता ही हमारे राष्ट्र की नींव है।’’ ममता ने कहा, ‘‘आप सब कुछ भूल सकते हैं, लेकिन आपको अपनी ‘अस्मिता’, मातृभाषा और मातृभूमि को नहीं भूलना चाहिए।’’
Published: undefined
उन्होंने दावा किया कि बांग्ला दुनिया में पांचवीं और एशिया में दूसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है, फिर भी बंगालियों पर अत्याचार हो रहा है। ममता ने सवाल किया कि अगर हम बंगाल में 1.5 करोड़ प्रवासी श्रमिकों को आश्रय दे सकते हैं, तो आप अन्य राज्यों में काम करने वाले 22 लाख बंगाली प्रवासियों को क्यों नहीं स्वीकार कर सकते।
Published: undefined
मुख्यमंत्री ने पड़ोसी राज्य बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का परोक्ष संदर्भ देते हुए आरोप लगाया कि केंद्र सरकार के इशारे पर निर्वाचन आयोग पिछले दरवाजे से राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) लागू करने का प्रयास कर रहा है। उन्होंने केंद्र सरकार को चुनौती देते हुए कहा कि वह पश्चिम बंगाल में न तो एनआरसी लागू होने देंगी और न ही कोई निरुद्ध केंद्र स्थापित करने देंगी।
Published: undefined
ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधते हुए सवाल किया कि क्या आपने मालदीव के राष्ट्रपति से गले मिलते समय उनसे उनका धर्म पूछा था। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र ने पश्चिम बंगाल को उसका बकाया नहीं दिया, जबकि पड़ोसी देश को 5,000 करोड़ रुपये दान में दे दिए।
Published: undefined