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संसद को लेकर भी गंभीर नहीं हैं मोदी सरकार के मंत्री, राज्यसभा सभापति ने अनुपस्थित मंत्रियों को लगाई फटकार

वेंकैया नायडू ने कहा कि जिन मंत्रियों को आवश्यक दस्तावेज सदन पटल पर रखने हैं, उन्हें अनुपस्थित नहीं होना चाहिए। अत्यंत विषम परिस्थिति में ही उन्हें अनुमति लेकर अनुपस्थित होना चाहिए। उन्होंने कहा कि मंत्रियों के मौजूद नहीं होने की अग्रिम सूचना दी जानी चाहिए।

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया 

ऐसा लगता है कि मोदी सरकार के मंत्री संसद को भी गंभीरता से नहीं लेते। ऐसा ही नजारा आज राज्यसभा में उस समय देखने को मिला, जब सभापति वेंकैया नायडू ने सदन से अनुपस्थित मंत्रियों को फटकार लगाई, जिन्हें सदन के पटल पर आवश्यक दस्तावेज रखने थे। नायडू ने सदन को सामान्य रूप से चलाने के लिए आम सहमति पर पहुंचने के लिए सत्तारूढ़ और विपक्षी दोनों सदस्यों को समय दिया। बाद में उन्होंने सदन की कार्यवाही सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी।

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जिन अनुपस्थित मंत्रियों को पटल पर जरूरी कागजात या दस्तावेज रखने थे, उन्हें फटकार लगाते हुए नायडू ने उन्हें चेतावनी दी कि भविष्य में ऐसी चीजों की अनुमति नहीं दी जाएगी। राज्यसभा के दिन का कामकाज शुरू होने के तुरंत बाद नायडू ने सत्ता पक्ष के सांसदों के नाम एक-एक करके बुलाना शुरू कर दिया, ताकि वे पटल पर कागजात रख सकें।

मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद सिंह पटेल, अश्विनी कुमार चौबे, कृष्ण पाल, वी. मुरलीधरन, पंकज चौधरी, अनुप्रिया सिंह पटेल, दर्शन विक्रम जरदोश, कैलाश चौधरी, देवी सिंह चौहान सहित अन्य ने सदन के पटल पर अपने-अपने कागजात रखे। वी. मुरलीधरन और अनुप्रिया पटेल ने अपने साथी सदस्यों की ओर से कागजात प्रस्तुत किए थे।

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इस दौरान नायडू ने कहा कि जिन मंत्रियों को आवश्यक दस्तावेज सदन पटल पर रखने हैं, उन्हें अनुपस्थित नहीं होना चाहिए। अत्यंत विषम परिस्थिति में ही उन्हें सभापीठ से अनुमति लेकर अनुपस्थित होना चाहिए। उन्होंने कहा कि मंत्रियों के मौजूद नहीं होने की अग्रिम सूचना दी जानी चाहिए और इसकी अनुमति ली जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस समय सदन के नेता भी उपस्थित हैं। कुछ मंत्री सदन में अपनी मौजूदगी को औपचारिक तौर पर लेते है।

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वेंकैया नायडू ने कहा, "जिन मंत्रियों को सदन के पटल पर कागजात रखना होता है, उन्हें सभापति को नोटिस देना चाहिए और उन्हें सदन में अनुपस्थित नहीं होना चाहिए।" उन्होंने आगे कहा, "विपरीत परिस्थितियों में ऐसे अवसर होंगे, यदि कोई समस्या है, तो उन्हें पहले से ही सभापीठ से संपर्क करना चाहिए और फिर अनुमति लेनी चाहिए। उनमें से कुछ ऐसा कर रहे हैं, लेकिन अन्य लोग सोच रहे हैं कि यह कैजुअल (अनौपचारिक) है। यह कैजुअल नहीं हो सकता है। मैं भविष्य में ऐसी चीजों की अनुमति नहीं दूंगा।"

विभिन्न सदस्यों ने संसदीय समिति की स्थायी समितियों से संबंधित रिपोर्ट प्रस्तुत की जिसके बाद संसदीय मामलों के राज्य मंत्री वी. मुरलीधरन ने एक प्रस्ताव पेश किया, जिसे ध्वनि मत से पारित कर दिया गया। इसके तुरंत बाद, नायडू ने कहा, "आज, मैंने सदन के नेता और विपक्ष के कुछ वरिष्ठ सदस्यों के साथ बात की। मैं आप में से प्रत्येक से अपील करना चाहता हूं, कृपया किसी प्रकार की सहमति पर पहुंचें, देखें कि सदन सामान्य रूप से कैसे चल सकता है।" इसके बाद सभापति ने सदन को सोमवार तक के लिए स्थगित कर दिया।

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बता दें कि 29 नवंबर से 12 विपक्षी सांसदों को निलंबित किए जाने के बाद से विपक्षी दल निलंबन को रद्द करने को लेकर लगातार सदन में हंगामा कर रहे हैं। विपक्ष की ओर से सदन में किए जा रहे प्रदर्शन की वजह से सदन की कार्यवाही लगातार बाधित हो रही है। नायडू ने पिछले सत्र में 12 सांसदों के अभद्र व्यवहार के आरोप में उन्हें इस सत्र के लिए निलंबित कर दिया था।

(आईएएनएस के इनपुट के साथ)

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