कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने रविवार को मोदी सरकार पर सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम को ‘व्यवस्थित रूप से कमजोर’ करने और लोकतंत्र, नागरिकों के अधिकारों को ‘खोखला’ करने का आरोप लगाया।
खड़गे ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि 20 साल पहले, तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस-नीत यूपीए सरकार ने सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम 2005 को लागू कर पारदर्शिता और जवाबदेही के एक नए युग की शुरुआत की थी।
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उन्होंने अपने पोस्ट में कहा, ‘‘पिछले 11 वर्षों में मोदी सरकार ने व्यवस्थित रूप से आरटीआई अधिनियम को कमजोर किया है, जिससे लोकतंत्र और नागरिकों के अधिकार खोखले हो रहे हैं।’’
खड़गे ने आरोप लगाया कि 2019 में मोदी सरकार ने आरटीआई अधिनियम पर ‘कुठाराघात’ किया, सूचना आयुक्तों के कार्यकाल और वेतन पर नियंत्रण कर लिया और स्वतंत्र निगरानीकर्ताओं को गुलाम पदाधिकारियों में बदल दिया।
उन्होंने कहा, ‘‘केंद्रीय सूचना आयोग मुख्य सूचना आयुक्त के बिना काम कर रहा है- 11 वर्षों में सातवीं बार यह महत्वपूर्ण पद रिक्त पड़ा है। वर्तमान में इसमें आठ रिक्तियाँ हैं, जो 15 महीनों से अधिक समय से खाली हैं, जिससे अपील प्रक्रिया ठप हो गई है तथा हजारों लोगों को न्याय नहीं मिल पा रहा है।’’
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खड़गे ने दावा किया कि ‘‘कोई डेटा उपलब्ध नहीं है’’ जैसा एक भयावह सिद्धांत अब प्रचलित है, जहां सरकार कोविड के दौरान हुई मौतों, एनएसएसओ 2017-18, एसयूएसई 2016-2020, पीएम केयर्स और अन्य मुद्दों की जानकारी पर बंदिश लगाती है, तथा जवाबदेही से बचने के लिए तथ्यों में अस्पष्टता रखती है।
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘वर्ष 2014 से अब तक 100 से अधिक आरटीआई कार्यकर्ताओं की हत्या हो चुकी है, जिससे आतंक का माहौल पैदा हो गया है, जहां सच्चाई बताने वालों को सजा मिलती है और विरोध की आवाजों को दबा दिया जाता है।’’
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कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने कहा, ‘बीजेपी के लिए आरटीआई का मतलब ‘धमकाने का अधिकार’ है।’’ जयराम रमेश ने कहा कि इस क्रांतिकारी कानून का उद्देश्य और मंशा सरकार के कामकाज में पारदर्शिता लाना और उसे जवाबदेह बनाना था।
हालांकि, उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने 2019 में इस अधिनियम को कमजोर करने और सीआईसी को एक ‘दंतविहीन’ संस्था में बदलने के लिए इसमें संशोधन किए।
कांग्रेस नेता ने यह भी दावा किया कि मोदी सरकार आरटीआई को प्रभावी ढंग से खत्म करने के लिए आरटीआई अधिनियम के प्रावधानों में संशोधन करने के उद्देश्य से डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम लेकर आई।
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जयराम रमेश ने कहा कि केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) केवल दो सदस्यों द्वारा चलाया जा रहा है और मुख्य सूचना आयुक्त और सात अन्य आयुक्तों का पद पिछले दो वर्षों से खाली पड़ा है। उन्होंने कहा, ‘‘सीआईसी मुख्यालय एक भूतहा घर जैसा दिखता है।’’
जयराम रमेश ने मोदी सरकार द्वारा आरटीआई अधिनियम को ‘कमजोर’ करने के लिए इसके विरुद्ध कार्रवाई करने के पीछे पांच कारण भी गिनाए।
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जयराम रमेश ने कहा कि केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) केवल दो सदस्यों द्वारा चलाया जा रहा है और मुख्य सूचना आयुक्त और सात अन्य आयुक्तों का पद पिछले दो वर्षों से खाली पड़ा है।
उन्होंने कहा, ‘‘सीआईसी मुख्यालय एक भूतहा घर जैसा दिखता है।’’
रमेश ने मोदी सरकार द्वारा आरटीआई अधिनियम को ‘‘कमजोर’’ करने के लिए इसके विरुद्ध कार्रवाई करने के पीछे पांच कारण भी गिनाए।
उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि आरटीआई अधिनियम के तहत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ‘‘संपूर्ण राजनीति विज्ञान’’ में एमए की डिग्री के बारे में जानकारी प्रदान करने का मुख्य सूचना आयुक्त का आदेश पहला कारण था, जबकि दूसरा कारण वह आरटीआई जानकारी थी जो प्रधानमंत्री के उस दावे को गलत साबित करती है जिसमें उन्होंने देश में करोड़ों नकली राशन कार्ड होने की बात कही थी।
रमेश ने कहा कि तीसरा कारण आरटीआई के माध्यम से सामने आई जानकारी है कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा नोटबंदी की घोषणा से ठीक चार घंटे पहले, भारतीय रिजर्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड ने निष्कर्ष निकाला था कि इस कदम से काले धन या नकली मुद्रा पर अंकुश लगाने में मदद नहीं मिलेगी।
चौथा कारण बताते हुए, कांग्रेस नेता ने कहा कि आरटीआई अधिनियम के तहत, किसी ने जानबूझकर ऋण न चुकाने वाले देश के 20 शीर्ष लोगों की सूची मांगी थी, और केंद्रीय सूचना आयोग ने कहा कि यह सूची तत्कालीन आरबीआई गवर्नर द्वारा प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को सौंप दी गई थी।
कांग्रेस नेता ने दावा किया कि पांचवां कारण आरटीआई के माध्यम से यह खुलासा था कि विदेश से कोई काला धन वापस नहीं आया है, जैसा कि प्रधानमंत्री मोदी ने 2014 के लोकसभा चुनावों से पहले वादा किया था।
कांग्रेस नेता ने यह भी चेतावनी दी कि अगर डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम को उसके वर्तमान स्वरूप में लागू किया गया, तो यह आरटीआई के लिए ‘‘ताबूत में अंतिम कील’’ साबित होगा।
रमेश ने कहा कि अधिनियम की धारा 44(3) के अनुसार, किसी भी व्यक्ति की निजी जानकारी आरटीआई अधिनियम के तहत उपलब्ध नहीं होगी।
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘इस प्रावधान का दुरुपयोग ‘व्यक्तिगत जानकारी’ होने के बहाने महत्वपूर्ण जानकारी देने से इनकार करने के लिए किया जा सकता है।’’
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