बिहार में वोटर लिस्ट पुनरीक्षण प्रक्रिया अपने निर्णायक मोड़ पर है। चुनाव आयोग द्वारा करवाया जा रहा वोटर लिस्ट का गहन पुनरीक्षण अभियान अब अंतिम 11 दिनों में प्रवेश कर चुका है। 7 करोड़ 90 लाख मतदाताओं में से अब तक 6 करोड़ 60 लाख 67 हजार 208 मतदाताओं ने अपने विवरण की पुष्टि कर दी है। यह कुल मतदाताओं का लगभग 88 फीसदी है।
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अब तक के दो चरणों के सर्वेक्षण से मिले आंकड़ों के अनुसार, 35 लाख 50 हजार से अधिक मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से हटना तय माना जा रहा है।
जिन कारणों से नाम कटने की नौबत आई, उनमें प्रमुख हैं:
1.59% मतदाता मृत पाए गए
2.2% ने स्थायी निवास बदला
0.73% एक से अधिक जगहों पर दर्ज पाए गए
संभावित डिलीशन का कुल आंकड़ा 4.52% के आसपास है, जो किसी भी राज्य के चुनावी मानचित्र को प्रभावित कर सकता है।
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जहां एक ओर 88% मतदाता प्रक्रिया में शामिल हो चुके हैं, वहीं अभी भी 11.82% यानी करीब 93 लाख मतदाता ऐसे हैं जिन्होंने अभी तक अपने भरे हुए गणना फॉर्म जमा नहीं किए हैं। चुनाव आयोग की वेबसाइट पर 5 करोड़ 74 लाख से अधिक फॉर्म अपलोड किए जा चुके हैं, और तीसरे दौर का घर-घर सर्वे अभी भी चल रहा है।
इस कार्य में 1 लाख बीएलओ और 1.5 लाख राजनीतिक दलों के बीएलए मिलकर फील्ड में काम कर रहे हैं। साथ ही, बिहार के 261 शहरी निकायों के 5683 वार्डों में विशेष शिविर लगाए गए हैं ताकि अधिकतम संख्या में मतदाता इस प्रक्रिया का हिस्सा बन सकें।
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राज्य से बाहर अस्थायी रूप से गए लोगों के लिए विशेष जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है। आयोग यह सुनिश्चित करना चाहता है कि कोई भी पात्र मतदाता सूची से वंचित न रहे।
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इस पूरे पुनरीक्षण अभियान का सार 1 अगस्त को सामने आएगा, जब नई ड्राफ्ट मतदाता सूची प्रकाशित की जाएगी। यह सूची तय करेगी कि आने वाले स्थानीय और विधानसभा चुनावों में किसे वोट डालने का अधिकार होगा और किसे नहीं।
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