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उत्तराखंड में लौटकर वापस आ रहा है कीचड़ का मलबा, बचाव कार्य में आई नई रुकावट

इस माह की शुरुआत में उत्तराखंड में आए बर्फीले तूफान के बाद से 204 लोग लापता हो गए थे, जिनमें से 62 के शव मिल चुके हैं, जिनमें से 33 मानव शवों और एक मानव अंग की पहचान हो गई है। वहीं अभी तक मृत पाए गए 28 व्यक्तियों की शिनाख्त नहीं हो सकी है।

फोटोः IANS
फोटोः IANS 

उत्तराखंड में आई आपदा के बाद श्रृषिगंगा के निकट आपदा ग्रस्त क्षेत्र से अब तक 62 शव बरामद किए गए हैं। बीते कई दिनों से चलाए जा रहे रेस्क्यू ऑपरेशन के बावजूद यहां 142 व्यक्ति अभी भी लापता हैं। इस बीच कीचड़ का रुप ले चुका मलबा अब यहां राहत और बचाव कार्य में सबसे बड़ी रूकावट बन रहा है। राहत और बचाव कार्य में लगे अधिकारियों के मुताबिक साफ किए जाने के बाद भी कीचड़ का यह मलबा वापस लौट कर आ जा रहा है।

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उत्तराखंड प्रशासन ने आधिकारिक जानकारी देते हुए बताया कि अभी तक यहां से 162 मीटर मलबा साफ किया गया है। प्रशासन के मुताबिक यहां एक टनल में 25 से 35 व्यक्तियों के फंसे होने की आशंका है। इस चैनल में रेस्क्यू ऑपरेशन अभी भी जारी है, हालांकि अभी तक यहां से 13 शव निकाले जा सके हैं। अधिकारियों के मुताबिक मलबा कीचड़ के रूप में होने के कारण यहां समस्या आ रही है। कीचड़ रूपी यह मलबा बैक फ्लो कर रहा है। जिससे इलाका साफ करने में बाधा उत्पन्न हो रही है।

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उत्तराखंड में आए इस बर्फीले तूफान के बाद से 204 लोग लापता हो गए थे, जिनमें से 62 के शव मिल चुके हैं। वहीं 12 स्थानीय गांवों के 465 परिवार भी इस तूफान में प्रभावित हुए हैं। उत्तराखंड के इस आपदा ग्रस्त क्षेत्र से अभी तक बरामद किये गए 62 शव में से 33 मानव शव और एक मानव अंग की पहचान हुई है। वहीं अभी तक मृत पाए गए 28 व्यक्तियों की शिनाख्त नहीं हो सकी है।

इसके अलावा बर्फीले तूफान के कारण यहां एक विशाल झील भी बन गई है। उपग्रह से प्राप्त चित्र के आधार पर मिली जानकारी के अनुसार रौथीधार में बनी इस झील के आसपास पानी का उतार चढ़ाव हो रहा है और मलबे की ऊंचाई में कमी और नई जलधाराएं बन रही हैं। लेकिन अभी इससे किसी तरह के संकट की संभावना नहीं है।

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उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र के निदेशक डॉ. एमपी बिष्ट ने बताया कि उच्च उपगृह से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर रौथीधार में मलबा आने से बनी प्राकृतिक झील और उसके आसपास आ रहे परिवर्तन जैसे पानी का उतार चढ़ाव, मलबे की ऊंचाई में कमी और नई जलधाराओं का बनना चालू है। जिससे किसी भी तरह के संकट की संभावना नहीं है।

वहीं, वैज्ञानिकों का कहना है कि प्राकृतिक झील की स्थिति अभी खतरनाक नहीं है, लेकिन धरातल की वास्तविक जानकारी के उपरांत ही 2-3 दिन बाद कोई उचित कदम उठाया जा सकता है। हिमालय क्षेत्र के विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों का एक विशेष दल अब 21 फरवरी को ऋषि गंगा के निकट बनी इस झील का दौरा करेगा, जिसके आधार पर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाएगी।

(आईएएनएस के इनपुट के साथ)

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