हालात

यूपी पंचायत चुनाव के लिए नई आरक्षण नीति मंजूर, रोटेशन रिजर्वेशन होगा लागू, नए क्षेत्र होंगे आरक्षित

उत्तर प्रदेश के पंचायती राज विभाग ने बताया कि जहां पर भी पहले आरक्षण लागू था, वहां पर इस बार वह स्थिति नहीं होगी। प्रदेश में 2015 में आरक्षण की जो स्थिति थी, वह 2021 में नहीं होगी। पिछले पांच चुनावों के वह पद किनके लिए आरक्षित था, उसका संज्ञान लिया जाएगा।

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया 

उत्तर प्रदेश सरकार के पंचायती राज विभाग ने आगामी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव से पहले बड़ा फैसला लेते हुए नई आरक्षण नीति लागू करने का फैसला किया है। इसके तहत साल 2015 में जो आरक्षण की स्थिति थी, वो 2021 में नहीं होगी। पंचायतों के पदों के आरक्षण में बड़ा बदलाव होगा। सबसे पहले उन जिला, क्षेत्रों और ग्राम पंचायतों को आरक्षित किया जाएगा, जो अभी तक इससे वंचित रही हैं। आरक्षण की चक्रानुक्रम (रोटेशन) प्रणाली रहेगी, लेकिन इसमें तमाम नई शर्ते लागू की गई हैं।

Published: undefined

राज्य के पंचायती राज विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार ने त्रिस्तरीय पंचायतों के लिए जारी किए दिशा-निर्देशों की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि नई नीति का सबसे प्रमुख सिद्धांत यह है कि जो ग्राम, क्षेत्र या जिला पंचायतें अभी तक किसी वर्ग के लिए आरक्षित नहीं हुई हैं, उन्हें सबसे पहले उन्हीं वर्गो के लिए आरक्षित किया जाएगा। पंचायत निर्वाचन-2021 में अनुसूचित जाति व पिछड़े वर्ग की सर्वाधिक आबादी वाले जिला, क्षेत्र व ग्राम पंचायतों को रोटेशन में आरक्षित किया जाएगा। लेकिन 1995, 2000, 2005, 2010 और 2015 में जो पंचायतें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थीं, वे इस बार अनुसूचित जाति के लिए आवंटित नहीं की जाएंगी।

Published: undefined

इसके अलावा उन्होंने बताया कि जो पिछड़े वर्गो के लिए आरक्षित रह चुकी हैं, उन्हें पिछड़े वर्गो के लिए आरक्षित नहीं किया जाएगा। उनमें जनसंख्या के अवरोही क्रम में अगले स्टेज पर 1995 से लेकर 2015 तक पांच चुनावों में अनुसूचित जनजातियों, अनुसूचित जातियों, पिछड़े वर्ग और महिलाओं के लिए आरक्षित रही सीटें इस बार संबंधित वर्ग के लिए आरक्षित नहीं रहेंगी। माना जा रहा है कि इस व्यवस्था से करीब 15 हजार पंचायतों को पहली बार आरक्षण का लाभ मिलेगा।

Published: undefined

अपर मुख्य सचिव ने बताया कि विभाग पंचायत चुनाव की तैयारी में लगा है। इसी क्रम में परिसीमन का काम समाप्त होने के बाद आरक्षण प्रक्रिया पर काम किया गया। उन्होंने कहा कि जहां पर भी पहले आरक्षण लागू था, वहां पर इस बार वह स्थिति नहीं होगी। प्रदेश में 2015 में आरक्षण की जो स्थिति थी वह 2021 में नहीं होगी। पिछले पांच चुनावों के वह पद किसके लिए आरक्षित था। उसका संज्ञान लिया जाएगा। इसके साथ ही छह दिन में यानी दो से लेकर आठ मार्च तक आपत्ति आरक्षण को लेकर आपत्ति दर्ज कराई जा सकती है।

Published: undefined

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia

Published: undefined